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Saturday, May 18, 2024
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समाज के अन्य समूह तक संदेश पहुंचाने के लिए ‘पैगंबर सब के लिए’ अभियान का शुभारम्भ

रिपोर्टर | इंडिया टुमारो

मुंबई | ईद-ए-मिलाद या 28 सितंबर को पैगंबर मुहम्मद (सल्ल.) के जन्मदिन का समय जैसे-जैसे करीब आ रहा है, कई मुस्लिम संगठनों ने इसे अलग तरीके से मनाने का फैसला किया है. पूर्व विधायक और मरीन लाइन्स में प्रतिष्ठित इस्लाम जिमखाना के अध्यक्ष एडवोकेट यूसुफ अब्राहनी के मार्गदर्शन और नेतृत्व में ‘पैगंबर सब के लिए’ अभियान शुरू किया गया है, जो पैगंबर (सल्ल.) के सार्वभौमिक संदेश और उनके मानवतावादी मूल्यों को फैलाने के लिए एक अनूठा अभियान है.

इस्लाम जिमखाना के अध्यक्ष और अभियान के प्रमुख एडवोकेट यूसुफ अब्राहनी ने बताया, “यह किसी का धर्म परिवर्तन करने या इस्लाम का प्रचार करने के लिए नहीं है. अभियान का उद्देश्य गैर-मुसलमानों तक पवित्र पैगंबर (सल्ल.) का संदेश पहुंचाना और इस्लाम के बारे में गलत धारणाओं को दूर करना है.”

उन्होंने कहा कि पिछले साल किए गए इसी तरह के प्रयोग ने कोर ग्रुप को प्रोत्साहित किया है जिसकी अब तक कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं. अब्राहनी ने कहा, “हम समाज के विभिन्न वर्गों तक अपना संदेश पहुंचाने के लिए स्कूल और कॉलेज के प्राचार्यों, गैर सरकारी संगठनों, छात्रों, कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों को शामिल कर रहे हैं. हमारा लक्ष्य समूह बहुसंख्यक समुदाय के सदस्य हैं और हमने एक महान उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए यह अभियान शुरू किया है.”

एसोसिएशन ऑफ मुस्लिम प्रोफेशनल्स (एएमपी) के अध्यक्ष और पैगंबर फॉर ऑल कोर कमेटी के वरिष्ठ सदस्य अमीर इदरीसी ने कहा कि, अभियान में प्रत्येक सदस्य एक ज़िम्मेदार है और यह अभियान किसी एक व्यक्ति या एक संगठन का काम नहीं है. इदरीसी ने कहा, “हम सभी हितधारक हैं और सभी के योगदान की आवश्यकता है. हमारा लक्ष्य अधिकतम संख्या में गैर-मुस्लिम मित्रों तक पहुंचना है और उन्हें बताना है कि हमारे प्यारे पैगंबर (सल्ल.) किन मूल्यों के लिए खड़े थे.”

कार्यकर्ता और अभियान के एक अन्य सदस्य सईद खान ने बताया कि अभियान को पैगंबर फॉर ऑल कहा जाता है क्योंकि हमारे पवित्र पैगंबर (सल्ल.) को अल्लाह ने सभी के लिए दया (रहमतुल-लिल-आलमीन) के रूप में भेजा था, न कि केवल मुसलमानों के लिए. खान ने कहा, “दुनिया को यह बताना हमारी जिम्मेदारी और नैतिक कर्तव्य है कि इस्लाम का संदेश सार्वभौमिक है और हम किसी का धर्म परिवर्तन नहीं करना चाहते हैं, बल्कि हम दुनिया को सिर्फ यह बताना चाहते हैं कि हमारे पैगंबर (सल्ल.) किस सन्देश के लिए उठे थे.”

इस अभियान को लेकर अलग-अलग व्यक्तियों को अलग-अलग वर्गों के लोगों के बीच काम करने के लिए कहा गया है. इसलिए, स्कूल और कॉलेज के छात्रों के बीच निबंध प्रतियोगिता आयोजित करने के लिए कुछ व्यक्तियों को प्रभारी बनाया गया है, कुछ व्यक्ति ऐसे हैं जिनका काम गैर-मुसलमानों के समूहों को मस्जिदों के दौरे पर ले जाना होगा.

अभियान का एक दिलचस्प पहलू गैर-मुसलमानों को मुस्लिम घरों में आमंत्रित करना, उन्हें भोजन, ‘शरबत’, चाय और कॉफी पेश करना और कुरान और हदीस (पैगंबर की बातें) के महत्व को समझाना है. वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के एक समूह को आमंत्रित करने और उन्हें पैगंबर के संदेश के महत्व को समझाने का भी प्रयास किया जाएगा.

इस बीच, वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री आरिफ नसीम खान ने महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे को पत्र लिखकर राज्य में 28 सितंबर के बजाय 29 सितंबर को ईद-ए-मिलाद की छुट्टी की घोषणा करने का अनुरोध किया है. खान ने अपने पत्र में कहा है कि, 28 सितंबर को भी गणेश चतुर्थी के जुलूस के हिस्से के रूप में लाखों हिंदू सड़कों पर दिखाई देते हैं, जब मूर्तियों को विसर्जित करने के लिए ले जाया जाता है. खान ने कहा, “किसी भी परेशानी से बचने के लिए, यह सुझाव है कि ईद-ए-मिलाद जुलूस गणेश चतुर्थी के एक दिन बाद 29 सितंबर को आयोजित किया जाए. मुस्लिम समूहों ने पहले ही 29 सितंबर को ईद-ए-मिलाद जुलूस निकालने का फैसला कर लिया है.”

बायकुला के ऐतिहासिक खिलाफत हाउस में मुस्लिम समूहों की एक बैठक की अध्यक्षता करने वाले वरिष्ठ आध्यात्मिक नेता मौलाना मोइन अशरफ कादरी (मोइन मियां) ने कहा कि लीडर्स ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया है कि ईद-ए-मिलाद जुलूस 29 सितंबर को निकाला जाना चाहिए.

बैठक में शामिल समाजवादी पार्टी के नेता और विधायक रईस शेख ने सुझाव दिया कि 29 मई को अवकाश है और उसी दिन जुलूस निकलना पॉवर लूम के शहर भिवंडी के लिए बेहतर है, क्योंकि उस दिन शुक्रवार है और पॉवर लूम शुक्रवार को बंद रहते हैं. शेख, भिवंडी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं और उन्होंने नेताओं से वादा किया था कि वह भी मुख्यमंत्री से 29 सितंबर को अवकाश घोषित करने का अनुरोध करेंगे.

माहिम दरगढ़ के प्रबंध ट्रस्टी और हाजी अली दरगाह के ट्रस्टी सोहेल खंडवानी ने भी अपनी इच्छा व्यक्त की थी और राज्य सरकार से 29 मई को छुट्टी घोषित करने की अपील की थी ताकि मुसलमान ईद-ए-मिलाद जुलूस में भाग ले सकें.

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