इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | मणिपुर में हिंसा की भयावह स्थिति और इस बीच महिलाओं के साथ अमानवीय व्यवहार को लेकर वायरल वीडियो पर जमाअत इस्लामी हिन्द ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इस घटना को शर्मनाक बताया है. घटना की निंदा करते हुए जमाअत इस्लामी ने इसे देश की अंतरात्मा को झकझोरने वाला बताया है.
जमाअत इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय मीडिया सचिव सुहेल केके द्वारा मीडिया को जारी बयान में कहा गया है कि, “मणिपुर में तीन महीने से हो रही हिंसा की रोकथाम में राज्य और केंद्र सरकार पूरी तरह से विफल साबित हुई है.” जमाअत ने कहा है कि, “केंद्र और राज्य सरकारों के सक्रिय हस्तक्षेप से हिंसा को इतने बड़े पैमाने पर बढ़ने से रोका जा सकता था.”
अपने बयान में जमाअत ने कहा है कि, “महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का भयावह दृश्य देश की अंतरात्मा को झकझोरने वाला है और महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान पर घातक प्रहार है. इस घटना ने एक बार फिर सांप्रदायिक शक्तियों के महिला विरोधी रवैये को उजागर कर दिया है.”
गौरतलब है कि मणिपुर के उस भयावह वीडियो पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को स्वत: संज्ञान लिया है जिसमें भीड़ द्वारा दो महिलाओं को नग्न अवस्था में घुमाने और राज्य में जातीय संघर्ष के बीच यौन हिंसा का शिकार होते दिखाया गया है.
कोर्ट ने कहा, मणिपुर में दो महिलाओं की परेड के बारे में सामने आए हैं. हम अपनी गहरी चिंता व्यक्त कर रहे हैं. यह मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन है. कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा, “हम सरकार को कार्रवाई करने के लिए थोड़ा समय देंगे अन्यथा हम हस्तक्षेप करेंगे.”
सुप्रीम कोर्ट ने घटना पर स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से कहा है कि वह अपराधियों को क़ानून के दायरे में लाने के लिए उठाए गए कदम की जानकारी कोर्ट को दे.
जमाअत इस्लामी ने इंटरनेट बंद किये जाने को लेकर भी राज्य सरकार पर सवाल उठाया है.
बयान में कहा गया है कि, हमेशा की तरह, सरकार उन सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बात कर रही है, जिन्होंने इस अपराध की ख़बर को व्यापक रूप से साझा किया. यह शासन की विफलता को छुपाने और हिंसा से ध्यान हटाने का प्रयास है.
जमाअत ने राज्य में तुरंत इंटरनेट बहाल किए जाने की मांग की है. बयान में कहा गया है कि, आवश्यक जानकारी तक पहुंचने से रोकने के लिए इंटरनेट बंद करना लोकतंत्र के लिए सही संकेत नहीं है.
जमाअत ने कहा है कि, इसे 2014 के बाद से भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरत और हिंसा के बढ़ते हजारों कृत्यों के रूप में देखा जाना चाहिए. सरकार को अपराधियों के खिलाफ कड़ी सजा देकर मणिपुर में दंगों को खत्म करने के लिए जल्द और ठोस कदम उठाना चाहिए.
मणिपुर की घटना शर्मनाक : रहमथुन्निसा, राष्ट्रीय सचिव, जमात-ए-इस्लामी हिंद- महिला विभाग
जमात-ए-इस्लामी हिंद महिला विभाग की राष्ट्रीय सचिव रहमथुन्निसा ने मणिपुर की घटना को शर्मनाक बताया है. उन्होंने कहा कि मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने की तस्वीरें बेहद चौंकाने वाली हैं. इस घटना ने हर भारतीय का सिर शर्म से झुका दिया है.
उन्होंने कहा कि, यह अमानवीय कृत्य मानवता के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है और इसने एक बार फिर सांप्रदायिक दंगाइयों की महिला विरोधी भयावह मानसिकता को उजागर कर दिया है.
उन्होंने मांग की है कि, बिना किसी विलंब के दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए और मणिपुर में दंगों को रोकने के लिए सरकार को त्वरित और ठोस क़दम उठाना चाहिए.
पुलिस अधीक्षक (थौबल जिला- मणिपुर) सचिदानंद सोइबम ने मीडियाकर्मियों को बताया कि पुलिस को 19 जुलाई को वायरल वीडियो के माध्यम से घटना के बारे में पता चला. उन्होंने कहा कि पुलिस वीडियो के ज़रिए दोषियों की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है.
हालाँकि, जीवित बचे लोगों के परिवार के सदस्यों ने पुलिस के दावे का खंडन किया है. उन्होंने मीडियाकर्मियों को बताया कि उन्होंने 18 मई को एफआईआर दर्ज कराई थी लेकिन पुलिस ने इस पर ध्यान नहीं दिया.
पीड़ित परिवारों ने कहा कि पुलिस ने मामले को उस पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित करने में एक महीना लगा दिया जिसके अधिकार क्षेत्र में यह घटना हुई थी. लेकिन केस ट्रांसफर होने के बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने बताया कि 19 जुलाई को वीडियो वायरल होने के बाद ही कार्रवाई शुरू हुई.
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने ट्वीट कर कहा, “मामले में गहन जांच चल रही है और हम सुनिश्चित करेंगे कि सभी अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए….”