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Sunday, May 19, 2024
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समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आज़म खां की हेट स्पीच मामले में विधानसभा सदस्यता रद्द

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | हेट स्पीच मामले में सज़ा सुनाए जाने के बाद समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और यूपी के पूर्व मंत्री आज़म खां की विधानसभा सदस्यता आज रद्द कर दी गई है। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना द्वारा आज़म ख़ान की सदस्यता रद्द किया गया।

रामपुर की एमपी/एमएलए कोर्ट ने गुरुवार को ही पूर्व मंत्री आज़म खां को 2019 के लोकसभा चुनाव के समय दिये गए चुनावी भाषण को हेट स्पीच मानते हुए उन्हें 3 साल की सज़ा सुनाई थी और उनके ऊपर 25 हज़ार रुपए का जुर्माना लगाया था।

साथ ही कोर्ट ने उन्हें ज़मानत दे दी थी और एक सप्ताह का समय आगे अपील करने के लिए दिया था। लेकिन आजम खां अभी आगे न्याय के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा भी नहीं पाए थे कि आज विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी।

आज़म खां की विधानसभा सदस्यता रद्द करने के बारे में विधानसभा सचिवालय से आज बकायदा एक पत्र भी जारी किया गया है। इस पत्र के ज़रिए यह बताया गया है कि आज़म खां को रामपुर के एमपी /एमएलए कोर्ट से 3 वर्ष की सज़ा सुनाई गई है और उनके ऊपर 2000 रुपए का अर्थदंड लगाया गया है।

पत्र में कहा गया है कि, “भारत निर्वाचन आयोग के पत्र संख्या 509/ जीईएन 2015/ आर सीसी, दिनांक 13 अक्टूबर 2015 के प्रस्तर -5 में उल्लखित रिट याचिका संख्या 490 ऑफ 2005 तथा 231ऑफ 2005 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय दिनांक 10 जुलाई 2013 के अनुसार दिनांक 27 अक्टूबर 2022 से निर्हर माने जाएंगे।”

पत्र में आगे कहा गया है कि, “अतः एतदद्वारा सर्वसाधारण की सूचनार्थ यह अधिसूचित किया जाता है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में श्री मोहम्मद आजम खां का उक्त स्थान दिनांक 27 अक्टूबर 2022 से रिक्त हो गया है।”

विधानसभा सचिवालय ने इस पत्र के ज़रिए से सूचना जारी कर आजम खां की सीट को रिक्त घोषित कर दिया है। विधानसभा सचिवालय से जारी पत्र पर प्रदीप कुमार दुबे प्रमुख सचिव के हस्ताक्षर हैं। इस तरह अब आज़म खां विधायक नहीं रह गए हैं, क्योंकि उनकी विधानसभा सदस्य के रूप में सदस्यता रद्द कर दी गई है।

राज्यसभा मेंबर और राष्ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता प्रोफेसर मनोज झा ने आज़म ख़ान की विधानसभा सदस्यता रद्द किए जाने को लेकर कटाक्ष किया है.

प्रोफेसर मनोज झा ने ट्वीट करते हुए कहा है, “आज़म खान जी की सदस्यता रद्द हुई, ये तथ्य अब अपने देश में उतना महत्व नहीं रखता क्योंकि वो ‘आज़म खान’ है जी! महत्वपूर्ण ये है कि ‘नफरत’ की तिजारत/सियासत वाले रसूखदार लोग आजभी ऊँचे पोजीशन पर बैठे हैं.ये कानून का निजाम तो कतई नहीं है!ये असल में ‘अमृत काल’ की विषाक्त हकीकत है. जय हिन्द।”

अब आजम खां की सीट रिक्त हो गई है और इस पर 6 माह के अंदर उपचुनाव भी करवाया जाएगा। जिस तरह से आज आज़म खां की विधानसभा सदस्यता रद्द की गई है, उस पर सवाल उठना लाजिमी है। आजम खां को रामपुर कोर्ट ने हाईकोर्ट जाकर अपील करने के लिए 7 दिन का समय दिया है। ऐसे में रामपुर के कोर्ट द्वारा दिए गए आजम खां को हाईकोर्ट में अपील करने के समय के भीतर ही उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करना सवाल खड़ा करता है।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि आज़म खां की विधायकी खत्म करने के लिए बहुत दिनों से योजनाएं बनाकर काम किया जा रहा था। इसलिए जैसे ही मौका मिला, वैसे ही उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई।

इतिहासकार अशोक कुमार पाण्डेय ने ट्विट कर कहा है कि, “आज़म ख़ान साहब को जो कहने की सज़ा मिली है उससे हज़ार गुना भयानक बातें कहने वाले साध्वी-संत बने घूम रहे हैं। ख़ैर नये भारत में सब सम्भव है.”

आजम खां को जिस मामले में 3 साल की सजा दी गई है, वह उस कानून के तहत अधिकतम सजा है। यूपी में एक चर्चा इस समय यह भी चल रही है कि न्यायालय निष्पक्ष होकर निर्णय नहीं कर रहे हैं।

इस प्रकार की चर्चा करने वाले इसका उदाहरण भाजपा नेता संगीत सोम के मामले से जोड़कर देते हैं। राजनीति के जानकारों का कहना है कि अभी कुछ दिनों पहले संगीत सोम को हेट स्पीच देने के एक मामले में कोर्ट ने मात्र 800 रुपये जुर्माना लगाया और उनको रिहा कर दिया था हालांकि आज़म ख़ान के मामले में ऐसा देखने को नहीं मिला।

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