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Sunday, May 19, 2024
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अयोध्या: जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना, अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए!

–मसीहुज़्ज़मा अंसारी

नई दिल्ली | दीपावली पर इस बार भी अयोध्या ने एक ही स्थान पर सर्वाधिक 15.76 लाख दीये जलाने का कीर्तिमान स्थापित किया जिसे गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया. अयोध्या में सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर दीए जलाने की शुरुआत साल 2017 के दीपोत्सव में की गई थी जब 1.71 लाख दीपक जलाए गए थे.

दीपावली में नए रिकॉर्ड बनाने पर मुख्यमंत्री योगी ने गिनीज़ बुक के प्रमाणपत्र को हाथों में लेकर लोगों का अभिवादन किया. दीपोत्सव में पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी भी इसके साक्षी बने. इस मौके पर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल सहित अन्य विशिष्ट जनों की मौजूदगी रही.

आज जिस अयोध्या में लाखों दीपक जगमगा रहे हैं, विश्व रिकॉर्ड बन रहे हैं, देश के प्रधानमंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री और राज्यपाल मौजूद हैं उसी अयोध्या में सरकारी प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले गरीब परिवारों के बच्चे मिड डे मील में नमक और सूखा चावल खाने को मजबूर हैं. ठीक एक महीने पहले नमक और सूखा चावल खाते बच्चों का वीडियो वायरल हुआ था.

अयोध्या में दीपावली पर दिए जलाने का सिलसिला साल 2017 से जब शुरू हुआ है तब से दीपों की संख्या हर साल बढ़ रही है और अयोध्या हर वर्ष नया कीर्तिमान स्थापित कर रहा है.

साल 2017 में दीपावली पर 1.71 लाख दीपक जलाए गए, साल 2018 में 3.01 लाख, 2019 में 4.04 लाख, 2020 में 6.06 लाख एवं 2021 में 9.41 लाख दीप जलाए गए. (बाद में इसकी संख्या बढ़कर 11 लाख से अधिक हो गई). साल 2022 के दीपोत्सव में15.76 लाख दिए जलाकर विश्वरिकार्ड बनाया गया.

हालांकि, साल 2017 से ही हर साल अयोध्या के इस ऐतिहासित दीपोत्सव के अगले दिन कई मार्मिक तस्वीरें वायरल होती हैं जिनमें छोटे-छोटे बच्चे अपनी माँ के साथ उन लाखों दीपों से बचे तेल को इकठ्ठा करते हैं ताकि उनसे भोजन बनाया जा सके, उन्हीं दीपक से जिसके जलने से विश्व रिकॉर्ड बनता है.

दीपक से तेल इकठ्ठा करती उन तस्वीरों से एक बात तो साफ है कि अयोध्या में लोगों के लिए भूख और महंगाई का मुद्दा है जिसे लाखों दीपक के कृत्रिम उजालों से छिपाने की कोशिश की जाती है. हालांकि, हर वर्ष दीपावली की अगली सुबह का सूरज लाखों दीपक के उजालों में छिपाए गए भूख और भोजन के मुद्दे की तस्वीर को उजागर कर देता है.

हमें आपत्ति उन जलते दीपक को लेकर हरगिज़ नहीं है बल्कि राजनीतिक दियों पर है. दिवाली पर दीपक तो हर घर में जलते हैं और रौशनी बिखेरते हैं. आस्था का एक दीपक लाखों ‘राजनितिक दीपक’ से कहीं ज़्यादा रौशनी देता है.

हमें आपत्ति तो उन लाखों ‘राजनीतिक दीपकों’ पर है जो जलते तो हैं पर उजाला नहीं करते, जो प्रज्वलित होकर भी समाज में अंधेरों को दूर नहीं कर पाते. जबकि आस्था का एक दीपक गरीब की कुटिया में उजाला बिखेर देता है और अंधकार को दूर कर देता है.

अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए:

आज जिस अयोध्या में लाखों दीपक जगमगा रहे हैं, विश्व रिकॉर्ड बन रहे हैं, देश के प्रधानमंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री और राज्यपाल मौजूद हैं उसी अयोध्या के सरकारी प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे नमक और सूखा चावल खाने को मजबूर हैं.

जो शहर लाखों दीपक जलाकर विश्व रिकॉर्ड बना रहा उसी शहर में स्कूली बच्चों को मिड डे मील में खाने के लिए नमक भात दिया जा रहा. लाखों दीपक के उजाले उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में छिपे अंधकार को दूर कर पाने में असमर्थ हैं.

इस मामले का एक वीडियो भी पिछले दिनों सोशल मडिया पर वायरल हुआ था जिसमें साफ देखा जा सकता था कि बच्चे ज़मीन पर बैठे भात और नमक खा रहे हैं. हालांकि, स्कूल के मेन्यू में लम्बी लिस्ट लगी थी जिस पर हर दिन अलग-अलग प्रकार के भोजन की व्यवस्था होने की बात लिखी थी लेकिन धरातल पर कुछ और ही था.

यह मामला अयोध्या के बीकापुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत बैंती चौरे बाजार स्थित प्राथमिक विद्यालय का था जहां दोपहर के भोजन में बच्चों को सादा चावल और नमक दिया गया. वहां ग्रामीणों का आरोप था कि यह पहली बार नहीं है जब बच्चों को ऐसा भोजन दिया गया, ऐसा कई दिनों से चल रहा.

जब मामला चर्चा में आया तो आनन फानन में कार्रवाई शुरू की गई. बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) संतोष कुमार राय ने कहा कि, खंड शिक्षा अधिकारी से रिपोर्ट तलब की गई और दोषी पाए जाने वाले शिक्षकों और जिम्मेदारों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की बात की गई.

खंड शिक्षा अधिकारी अमित कुमार श्रीवास्तव ने मीडिया को बताया कि मामले की जांच करके कार्रवाई की जाएगी.

नमक और सूखा चावल खाते हुए बच्चों के वीडियो वायरल होने पर डीएम अयोध्या ने कार्रवाई करते हुए स्कूल प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया और प्रधान को नोटिस भेजा गया था.

हालांकि, सवाल यह है कि आख़िर ऐसा कैसे कई दिनों से चल रहा था और अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी?

उत्तर प्रदेश में सरकारी प्राइमरी स्कूलों में बच्चों को मिड डे मील के लिए मेन्यू पोषण युक्त खाने का दिखाया जाता है लेकिन अयोध्या के सरकारी प्राइमरी स्कूल में बच्चों को नमक और सूखा चावल परोसा गया?

हैरत की बात यह है कि विश्व रिकॉर्ड बनाने में 15.76 लाख दीपक जलाने में सरकार और प्रशासन द्वारा छात्रों की ही मदद ली गई. यह कीर्तिमान स्थापित करने में अयोध्या के अवध विश्वविद्यालय के शिक्षकों व छात्रों ने लाखों दीपक को सजाने और जलाने में बढ़ी भूमिका निभाई.

कितना अच्छा होता अगर हम इन छात्रों से राजनीतिक दीपक जलाने और किसी पार्टी विशेष को फायदा पहुँचाने के बजाए उनके जीवन में शिक्षा का दीपक जलाने को तत्पर रहते.

कहा जाता है कि शिक्षा, शिक्षक या शिक्षा अर्जित करने वाले दीपक के समान हैं, शिक्षित बच्चों से और शिक्षित पीड़ी से ही देश में फैले अंधकार को दूर किया जा सकता है. लेकिन हमने लाखों दीपक जलाकर विश्व रिकॉर्ड तो बनाया मगर उसी अयोध्या में न जाने कितने भविष्य के दीपक हमारी कुव्यवस्था के कारण अंधकार में डूबे हुए हैं.

जब देश में ज्ञान का दीपक अंधकारमय होगा तो देश दीप जलाने का विश्व रिकॉर्ड तो बना लेगा लेकिन विश्वगुरु नहीं बन सकता. चराग तले अँधेरा इसी को कहते हैं.

मशहूर कवि गोपालदास ‘नीरज’ ने इसीलिए हम भारतीयों को चेताया था और कहा था:

जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना
अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।

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