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Monday, May 20, 2024
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किसान आन्दोलन की दूसरी वर्षगांठ पर 26 नवंबर को किसानों का देशव्यापी राजभवन मार्च का ऐलान

–मसीहुज़्ज़मा अंसारी

नई दिल्ली | किसान आंदोलन के दो वर्ष पूरे होने पर और किसानों की लंबित मांगें पूरी न होने को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 नवंबर को देशभर में किसानों के राजभवन मार्च का ऐलान किया है.

ऐतिहासिक किसान संघर्ष की दूसरी वर्षगांठ पर देश के विभिन्न राज्यों की राजधानी में हज़ारों की संख्या में किसान अपनी लंबित मांगों को लेकर राजभवन मार्च करेंगे और राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को ज्ञापन देंगे.

केंद्र सरकार ने तीनों विवादित कृषि क़ानूनों को वापस लेने के बाद किसानों से किये गए वादों को पूरा नहीं किया जिसे लेकर किसान संगठनों में नाराज़गी है. किसानों की लंबित मांगों में MSP गारंटी, इलेक्ट्रिसिटी बिल का मुद्दा, मृतक शहीद किसानों के परिवारों को मुआवज़ा, 46 हज़ार झूठे मुक़दमों को वापस लेने की मांग और पराली जलाने पर केस से छुटकारा आदि शामिल है.

किसान संगठनों की यह भी मांग थी कि भाजपा नेता और केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी जिसने लखीमपुर में किसानों के हत्या के लिए उकसाने का काम किया था उसके खिलाफ केस दर्ज हो और आरोपी मंत्री का त्यागपत्र लेकर उसपर कार्रवाई की जाए लेकिन भाजपा सरकार द्वारा किसानों की यह मांग भी नहीं मानी गई.

इंडिया टुमारो से बात करते हुए आल इंडिया किसान सभा के अध्यक्ष हन्नान मुल्ला ने आगामी कार्यक्रम को लेकर विस्तार से चर्चा की और बताया कि सरकार ने किसानों से जो वादे किये थे उसे पूरा नहीं किया गया जिसे लेकर दूसरे फेज़ का प्रदर्शन शुरू होगा.

संयुक्त मोर्चे की संयोजन समिति की बैठक में किसना संगठनों ने देशव्यापी मार्च का फैसला किया गया है. इस बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर सभी राज्यों की राजधानियों में किसानों का राजभवन मार्च करने का निर्णय लिया गया.

किसान नेताओं ने बताया कि विभिन्न राज्यों में राजभवन मार्च की तैयारियां जारी है तथा सभी राज्यों में किसान संगठनों की तैयारी बैठकें की जा रही हैं. राजभवन मार्च की तैयारियों को अंतिम रूप देने और राज्यपाल को दिए जाने वाले ज्ञापन के बिन्दुओं पर चर्चा के लिए 14 नवंबर को दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा से जुडे सभी संगठनों की मीटिंग आयोजित की जाएगी.

आल इंडिया किसान सभा के प्रमुख हन्नान मुल्ला ने इंडिया टुमारो को बताया कि अपनी मांगों को लेकर किसान संगठन संयुक्त रूप से विभिन्न राज्यों में विधान भवन का घेराव करेंगे और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे.

उन्होंने बताया कि, “384 दिन आन्दोलन चलने के बाद 9 दिसंबर को पहला फेज़ ख़त्म किया गया था, 19 नवंबर को नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद काला क़ानून वापस हुआ था, लेकिन बाकी मांगों पर फैसला बाकी था.”

हन्नान मुल्ला ने बताया कि, “किसानों की बाकी मांगों के बारे में जब सवाल किया गया था तो 9 दिसंबर को कृषि मंत्री ने लिखित में दिया था कि MSP गारंटी, इलेक्ट्रिसिटी बिल, मृतक और शहीद किसानों के परिवार को मुआवज़ा, 46 हज़ार झूठे मुक़दमों को वापस लेने की मांग और पराली जलाने पर केस से छुटकारा मिलेगा इत्यादि.”

उन्होंने बताया कि, “इसके साथ एक मांग ये भी थी कि केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी जो किसानों के हत्यारों को उकसाने का काम किया था उसके खिलाफ केस दर्ज हो. लेकिन 10 महीने के बाद भी सरकार का कोई जवाब और प्रतिक्रिया नहीं मिली और न ही आरोपी मंत्री पर कोई कार्रवाई हुई जिसे लेकर किसान संगठन नाराज़ हैं.”

इंडिया टुमारो को किसान नेता ने बताया कि, “हमारा ये मानना है कि सरकार ने अपने वादों के अनुसार कोई भी काम नहीं किया और न ही कोई मसला हल किया जिसका वादा किया गया था. इसलिए संयुक्त किसान मोर्चा ने मीटिंग में ये तय किया है कि हमें दूसरे फेज़ का प्रदर्शन शुरू करना होगा.”

उन्होंने कहा कि, “26 नवंबर को दो साल पूरा होगा और उसी दिन से हम आन्दोलन शुरू करेंगे. यह आंदोलन देशभर में होगा. देश के अलग अलग हिस्सों में प्रदेशों की राजधानी में बड़ा प्रदर्शन करेंगे.”

किसान नेता ने बताया कि, “किसान 15-20 हज़ार की संख्या में रैली निकालेंगे और राजभवन मार्च करेंगे साथ ही हमारी जो मांगे पूरी नहीं हुई हैं उसे लेकर राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे.”

किसान संगठनों की बैठक में वन संरक्षण कानून में केंद्र सरकार द्वारा किए जा रहे संशोधनों की निंदा की गई तथा इसके खिलाफ देशभर के आदिवासी संगठनों द्वारा किए जा रहे संघर्ष के साथ 15 नवंबर यह शहीद बिरसा मुंडा की जयंती दिन पर एकजुटता प्रदर्शित करने का भी निर्णय लिया गया.

संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में हन्नान मोल्ला, डॉ. दर्शन पाल, युद्धवीर सिंह, मेधा पाटकर, राजाराम सिंह, अतुल अंजान, सत्यवान, डॉ. अशोक ढवले, अविक साहा, सुखदेव सिंह, रमिन्दर सिंह विकास शिशिर एवं डॉ. सुनीलम और अन्य किसान नेता शामिल रहे.

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