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Monday, October 28, 2024
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उत्तर प्रदेश में पुलिस हिरासत में लगातार हो रही मौत के मामलों पर उठते सवाल

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | उत्तर प्रदेश में लगातार पुलिस हिरासत में मौतें हो रही हैं। पुलिस निरंकुश हो गई है और राज्य सरकार कार्यवाही के नाम पर खानापूर्ति कर रही है। यूपी में पुलिस हिरासत में लगातार मौतें हो रही हैं और मानवाधिकारों का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है, लेकिन राज्य सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ रहा है।

ऐसा लगता है कि राज्य में सरकार नहीं बल्कि पुलिसिया सरकार चल रही है। पुलिस इतनी निरंकुश हो गई है कि वह राज्य की राजधानी लखनऊ में जहां पर सरकार बैठी है, वहाँ पर भी पुलिस को सरकार का कोई खौफ नहीं है। पुलिस थानों में लाए गए लोगों को हिरासत में मार दिया जा रहा है और खानापूर्ति करके मामलों को रफा-दफा कर दिया जा रहा है।

पुलिस हिरासत में हो रही मौतों की ज़िक्र हम पहले लखनऊ के विकास नगर थाने से संबंधित घटना से करते हैं। विकास नगर थाने की पुलिस 11 अक्टूबर को एक जुए के अड्डे पर जाती है और वहाँ पर एक 24 वर्षीय युवक अमन गौतम को पकड़ती है और थाने पर लाती है। पुलिस ने उसको इतना पीटा कि अमन गौतम की पुलिस हिरासत में ही मौत हो गई।

अमन गौतम की मौत हो जाने के बाद पुलिस ने अपने बचाव के लिए उसकी तबियत खराब हो जाने की कहानी गढ़ी और बाद में उसकी मौत हो जाने की बात कहती है। अमन गौतम की मौत हो जाने की सूचना जब उसके परिजनों को मिली तो वह थाने पर पहुंचे।

पुलिस द्वारा उनसे अमन गौतम की तबियत खराब हो जाने और उसके चलते उसकी मौत हो जाने की बात कही जाती है। लेकिन उसके परिजन इस बात को नहीं मानें, परिजनों ने कहा कि अमन गौतम भीमराव अंबेडकर पार्क अपने मित्र के साथ घूमने गया था और पुलिस उसको जबरन पकड़ ले गई और उसको बाद में जुए के अड्डे से पकड़ने की कहानी बताया।

परिवार का आरोप है कि पुलिस ने उसको खूब पीटा, जिससे उसकी मौत हो गई। अमन की मौत हो जाने पर पुलिस अपने को बचाने के लिए नई कहानी गढ़ रही है।

अमन की मौत पुलिस हिरासत में हो जाने पर यह मामला काफी तूल पकड़ गया तब जाकर एफआई आरदर्ज हुई। मृतक अमन गौतम की पत्नी रोशनी गौतम ने विकास नगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई। एफआईआर में कहा गया है कि, “11 अक्टूबर की रात में 9 बजे मेरे पति अमन गौतम मोहल्ले में ही अम्बेडकर पार्क टहलने गए थे और वह अपने कुछ दोस्तों के साथ पार्क में बैठे हुए थे। तभी पुलिस की गाड़ी वहाँ अचानक पहुंच गई। पुलिस वाले उन्हें घेरकर पूछताछ करने लगे और उसके साथ मारपीट शुरु कर दी, जिससे वह बेहोश हो गया। बेहोश होने पर वह अमन को उठा ले गए। वहाँ पर मौजूद लोगों ने बताया कि, पुलिस कर्मी शैलेन्द्र सिंह और उसके साथ 3 अन्य पुलिस कर्मी थे, जिन्होंने अमन को जमकर पीटा, जब वह बेहोश हो गया तो घबराकर वह उसको अस्पताल में भर्ती करा दिए।”

रोशनी गौतम ने विकास नगर थाने में मुकदमा दर्ज करवाया है, जिसमें उसने एक पुलिस कर्मी सहित 3 अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज कराया है।

अमन के परिवार वालों ने एफआईआर में पुलिस द्वारा मारपीट करने और भददी गलियां देने का आरोप लगाया है। इस मामले की एफआईआर दर्ज होने के बावजूद इसमें कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है। अमन गौतम की पत्नी और मां इस मामले को हाईकोर्ट लेकर गई हैं और हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार और पुलिस से रिपोर्ट तलब की है।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने इस मामले को लेकर गहरी नाराज़गी जताई है और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की है। उन्होंने इसके साथ राज्य सरकार से इस मामले में सख्त कार्यवाही करने और मृतक के परिवार को उचित मुआवज़ा देने की मांग की है।

अमन गौतम की मौत के मामले में आजाद अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमिताभ ठाकुर ने कहा है, “मैंने पुलिस का पक्ष जाना है, जो पुलिस की कहानी पर गंभीर सवाल उठाता है। पुलिस ने इस मामले में मृतक के पास से गांजा बरामद होने की बात कही है जबकि मृतक पक्ष का कहना है कि मृतक नशे का सेवन नहीं करता है। इसके साथ ही पुलिस ने मृतक के पास से जुए में रूपये बरामद होने की बात कही है, लेकिन मृतक परिवार के लोगों का कहना है कि मृतक के पास किसी कार्यक्रम के लिए चंदा वसूलने की रशीद थी, जिसे पुलिस ने गायब कर दिया है।”

पुलिस का कहना है कि मृतक के बेहोश होते ही उसका भाई आ गया था, जबकि मृतक के परिवार का कहना है कि उसके परिवार का कोई भी सदस्य वहाँ नहीं गया था। उन्होंने मृतक को पहली बार अस्पताल में देखा था। पुलिस की भूमिका संदिग्ध बताते हुए इस मामले की जाँच सीबीसीआईडी से कराने की मांग की गई है।”

पुलिस हिरासत में मौत का दूसरा मामला लखनऊ के चिनहट थाने का है। यहां पर नई बस्ती जैनाबाद निवासी व्यापारी मोहित कुमार पाण्डेय की मौत हो गई है। यहाँ पर दो पक्षों के बीच विवाद हो गया था। पुलिस दोनों पक्षों को लेकर चिनहट थाने ले गई। बाद में पुलिस ने एक पक्ष को छोड़ दिया और दूसरे पक्ष के मोहित कुमार पाण्डेय को थाने पर ही रोक लिया। पुलिस ने मोहित कुमार पाण्डेय को जमकर पीटा जिससे उसकी मौत हो गई।

पुलिस उसको आनन-फानन में ले जाकर लोहिया हॉस्पिटल में भर्ती कराया। मोहित कुमार पाण्डेय की मौत पिटाई से थाने पर ही हो गई थी। लेकिन पुलिस ने अपने को बचाने के लिए मोहित को लोहिया हॉस्पिटल में भर्ती कराया। मोहित के मर जाने की खबर जब उसके परिजनों को लगी तो परिजन लोहिया हॉस्पिटल पहुंचे, पुलिस ने उनको हॉस्पिटल के अंदर नहीं जाने दिया। इस पर परिजनों हॉस्पिटल का घेराव किया।

पुलिस ने बाद में परिजनों को अंदर जाने दिया। पुलिस ने मोहित पाण्डेय की मौत पर पर्दा डालने का बहुत प्रयास किया, लेकिन सफल नहीं हुई। पुलिस ने यह जताने का काम किया कि मोहित की तबियत खराब हो गई थी, इसलिए उसने उसको हॉस्पिटल में भर्ती कराया, जहां पर उसकी मौत हो गई।

मोहित पाण्डेय के भाई की बातों ने पुलिस की कलई खोल कर रख दी। मोहित पाण्डेय के भाई शोभाराम ने बताया कि मोहित के साथ उसको भी पुलिस ने पकड़ा था। पुलिस ने उसके सामने उसके भाई मोहित पाण्डेय को बेरहमी से पीटा था। बाद में शोभाराम को पुलिस ने छोड़ दिया था। शोभाराम के जाने के बाद ही मोहित पाण्डेय की मौत की खबर सामने आई।

मोहित पाण्डेय की पुलिस हिरासत में हुई मौत से राज्य की राजनीति में गर्माहट आ गई।विपक्षी दलों और उसके नेताओं ने योगी सरकार पर तगड़ा हमला बोला और राज्य सरकार को कटघरे में खड़ा किया तथा हिरासत में हुई मौतों के लिए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर कड़ा हमला किया। अखिलेश यादव ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, “उत्तर प्रदेश की राजधानी में पिछले 16 दिनों में पुलिस हिरासत में मौत (हत्या पढ़ा जाए) का दूसरा समाचार मिला है। नाम बदलने में माहिर सरकार को अब पुलिस हिरासत का नाम बदलकर “अत्याचार ग्रह रख देना चाहिए”। पीड़ित परिवार की हर मांग पूरी की जाए, हम उनके साथ हैं।”

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा है कि, “यह घटना अतिनिंदनीय है।” उन्होंने भी एक्स पर लिखा है कि, “उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पुलिस हिरासत में व्यापारी मोहित पाण्डेय की कथित तौर पर हुई मौत की घटना पर परिवार व लोगों में रोष व आक्रोश व्याप्त होना स्वाभाविक है। यह घटना अतिनिंदनीय है।सरकार पीड़ित परिवार को न्याय देने के लिए प्रभावी कदम उठाये।”

कांग्रेस महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी ने भी योगी सरकार पर इस घटना को लेकर तगड़ा हमला बोला है। उन्होंने एक्स पर लिखा है कि, “लखनऊ में पुलिस ने 2 युवकों को हिरासत में लिया और अगली सुबह एक की मौत हो गई। एक पखवाड़े में उत्तर प्रदेश पुलिस की हिरासत में यह दूसरी मौत है। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने उनके बेटे की हत्या कर दी।”

प्रियंका गांधी ने कहा है कि, “उत्तर प्रदेश हिरासत में होने वाली मौतों के मामले में पूरे देश में पहले स्थान पर है। प्रदेश में भाजपा ने ऐसा जंगलराज क़ायम किया है, जहां पुलिस क्रूरता का पर्याय बन चुकी है।जहां कानून के रखवाले ही जान ले रहे हों, वहाँ जनता न्याय की उम्मीद किससे करे ?”

पुलिस हिरासत में मोहित पाण्डेय की मौत के बाद योगी सरकार बैकफुट पर आ गई है।सीएम योगी आदित्यनाथ ने आज खुद मोहित पाण्डेय के परिवार से मुलाकत कर परिवार को आर्थिक मदद देने का एलान किया है। योगी आदित्यनाथ ने मृतक के परिवार को 10 लाख रुपये की सहायता देने और उसके बच्चों की पढ़ाई का खर्च सरकार के द्वारा उठाने की बात कही है। इस तरह से योगी आदित्यनाथ ने चुनावी मौसम में विपक्ष के मुंह को बंद करने का प्रयास किया है।

लखनऊ में विभूति खंड के सहायक पुलिस आयुक्त राधा रमन सिंह ने कहा है कि, “इस मामले में मृतक मोहित पाण्डेय की मां की शिकायत पर चिनहट थाने के निरीक्षक अश्वनी चतुर्वेदी तथा कई अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है और कार्यवाही शुरु कर दी गई है।”

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