मुस्लिम काउंसलरों के पत्र में कहा गया है, ‘हमें अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के इन स्पष्ट उल्लंघनों में भागीदार नहीं होना चाहिए। अब कार्रवाई करना हमारा नैतिक दायित्व है।’
इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | ब्रिटिश प्रधानमंत्री से 100 से ज़्यादा मुस्लिम लेबर काउंसलरों ने इज़रायल को हथियारों की बिक्री पूरी तरह और तुरंत रोकने का आह्वान किया है, जिसने पिछले साल 7 अक्टूबर से गज़ा में 42,500 फ़िलिस्तीनियों को मार डाला है।
अनाडोलू न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, कीर स्टारमर को लिखे एक पत्र में, पूरे ब्रिटेन में समुदायों का प्रतिनिधित्व करने वाले हस्ताक्षरकर्ताओं ने ज़ोर देकर कहा कि गज़ा पट्टी में हुई दुखद मानवीय क्षति “अकल्पनीय” है।
पत्र में कहा गया है कि, एक साल में इज़रायली हमलों में घिरे फ़िलिस्तीनी क्षेत्र में 17,000 से ज़्यादा बच्चों के मारे जाने का अनुमान है, पट्टी में 31 अस्पताल और 88% स्कूल अब नष्ट हो चुके हैं या गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं।
शुक्रवार को लेबर मुस्लिम नेटवर्क द्वारा एक्स पर साझा किए गए पत्र में पार्षदों ने कहा, “हमें अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के इन स्पष्ट उल्लंघनों में भागीदार नहीं होना चाहिए। अभी कार्रवाई करना हमारा नैतिक दायित्व है।”
इसमें आगे कहा गया है कि, “इसलिए हम काउंसलरों, मुसलमानों और लेबर सदस्यों के रूप में एक साथ आए हैं, ताकि इस लेबर सरकार से हमारे नैतिक दायित्व को पूरा करने के लिए आह्वान किया जा सके कि वह इजरायल को सभी हथियारों की बिक्री को तब तक के लिए निलंबित कर दे, जब तक कि अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन और सम्मान न हो जाए।”
ज्ञात हो कि, तत्काल युद्ध विराम के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का उल्लंघन करते हुए, इजरायल ने 7 अक्टूबर, 2023 को फिलिस्तीनी समूह हमास द्वारा किए गए हमले के बाद से गज़ा पट्टी पर अपना क्रूर आक्रमण जारी रखा है।
इजरायल के हमले ने क्षेत्र की लगभग पूरी आबादी को विस्थापित कर दिया है, इलाके में चल रही नाकाबंदी के कारण भोजन, स्वच्छ पानी और दवा की भारी कमी हो गई है।
इजरायल और हमास के बीच गज़ा युद्ध विराम और कैदी अदला-बदली समझौते पर पहुंचने के लिए अमेरिका, मिस्र और कतर के नेतृत्व में मध्यस्थता के प्रयास इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के युद्ध को रोकने से इनकार करने के कारण विफल हो गए हैं।
गौरतलब हो कि इजरायल को गज़ा में अपने कार्यों के लिए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में नरसंहार के मामले का भी सामना करना पड़ रहा है।