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Thursday, October 17, 2024
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उत्तर प्रदेश: क्या भाजपा ने हार के डर से मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव टलवाया?

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | उत्तर प्रदेश में भाजपा ने हार के डर से मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव टलवा दिया है और इस मामले में चुनाव आयोग की भूमिका संदिग्ध है।

यूपी में इस समय 10 विधानसभा सीटें रिक्त हैं और इनका उपचुनाव होना है। लोकसभा चुनाव में भाजपा के 4, सपा के 4 और राष्ट्रीय लोक दल का 1 विधायक लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बन गया है।

सपा के 1 विधायक इरफ़ान सोलंकी को कोर्ट से सज़ा हो गई है, इसलिए उनकी सीट शीशामऊ भी रिक्त हो गई है। इन सभी 10 विधानसभा सीटों, जिनमें गाज़ियाबाद सदर, फूलपुर, मझवां, मीरापुर, करहल, कुंदरकी, खैर, कटेहरी शीशामऊ और मिल्कीपुर शामिल हैं।

इनमे मिल्कीपुर को छोड़कर शेष 9 सीटों पर चुनाव आयोग ने चुनाव कराने की घोषणा कर दी है और यहाँ पर 13 नवंबर को उपचुनाव होंगे। मिल्कीपुर में चुनाव आयोग ने उपचुनाव को टाल दिया है। चुनाव आयोग के इस फैसले पर राजनीतिक हलकों में विभिन्न तरह की चर्चाएं चल रही हैं।

मिल्कीपुर विधानसभा का उपचुनाव टालने के पीछे चुनाव आयोग द्वारा यह कारण बताया गया है कि मिल्कीपुर सीट का कोर्ट में मामला चल रहा है, इसलिए चुनाव टाल दिया गया है। लेकिन चुनाव आयोग का यह कारण तर्क संगत नहीं है, क्योंकि मिल्कीपुर के विधायक अवधेश प्रसाद ने फ़ैजाबाद से लोकसभा सदस्य चुने जाने के बाद मिल्कीपुर की सीट से विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

अवधेश प्रसाद के इस्तीफा देने के बाद विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना द्वारा अवधेश प्रसाद का इस्तीफा स्वीकार करने के बाद चुनाव आयोग ने मिल्कीपुर की सीट को रिक्त घोषित कर दिया है। इसलिए यह मामला स्वतः खत्म हो जाता है।

चुनाव आयोग ने इस मामले में निष्पक्षता नहीं बरती और वह मिल्कीपुर की सीट का कोर्ट में मामला होना बताकर चुनाव टाल दिया है। इसकी मुख्य वजह मिल्कीपुर में भाजपा के खिलाफ हवा का रुख होना है, इसलिए चुनाव आयोग ने भाजपा को हार से बचाने के लिए मिल्कीपुर का विधानसभा उपचुनाव टाला है।

चुनाव आयोग द्वारा मिल्कीपुर का चुनाव टालने का कारण कोर्ट में मामला होना बताया जाना सच से कोसों दूर है। मिल्कीपुर सीट को चुनाव आयोग ने रिक्त घोषित किया है, इसलिए चुनाव टालने का उसका बताया गया कारण सच नहीं है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर मिल्कीपुर सीट को चुनाव आयोग कोर्ट में होना मानता है तो उसने मिल्कीपुर सीट को रिक्त क्यों घोषित किया?

मिल्कीपुर सीट को रिक्त घोषित करते समय उसको कोर्ट की याद क्यों नहीं आई और उसने कोर्ट की अनदेखी कर सीट को क्यों रिक्त घोषित कर दिया?

यह दो ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब चुनाव आयोग ही दे सकता है। लेकिन चुनाव आयोग इसका जवाब नहीं देगा, क्योंकि इस मामले में उसकी भूमिका निष्पक्ष नहीं बल्कि संदिग्ध है। चुनाव आयोग ने जान बूझकर भाजपा को मिल्कीपुर में हार से बचाने के लिए यहाँ का विधानसभा उपचुनाव टाला है।

लोकसभा चुनाव में फ़ैजाबाद से सपा के अवधेश प्रसाद के निर्वाचित होने से भाजपा को बहुत बड़ा झटका लगा है और वह इससे अभी तक नहीं उबर पाई है। अवधेश प्रसाद मिल्कीपुर से विधायक थे और उनकी इस क्षेत्र में जनता के बीच अच्छी पकड़ और पैठ है।

यूपी में महंगाई, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार और बढ़ते अपराध से जनता बहुत ज्यादा परेशान है। इसका असर मिल्कीपुर में भी है। जनता यूपी की भाजपा सरकार के खिलाफ है और जनता का समर्थन भाजपा को नहीं मिल रहा है। भाजपा ने सारा गणित और जोड़तोड़ कर समझ लिया है कि उसकी मिल्कीपुर में हार हो जाएगी, क्योंकि जनता उसको समर्थन नहीं कर रही है।

इसलिए उसने जान बूझकर मिल्कीपुर का विधानसभा उपचुनाव टलवाया है। आम जनता की नज़र में चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं है। चुनाव आयोग को मोदी सरकार का पिछलग्गू और गुलाम माना जाता है। चुनाव आयोग मोदी सरकार की गोद में बैठकर काम कर रहा है, इसलिए उसने मोदी सरकार के इशारे पर मिल्कीपुर का विधानसभा उपचुनाव टाला है।

भाजपा ने चुनाव आयोग के जरिए मिल्कीपुर के चुनाव को टलवाया है, क्योंकि फ़ैजाबाद की लोकसभा म चुनाव में हुई हार से वह अभी उबर नहीं पाई है। अगर मिल्कीपुर में उसकी हार हो गई तो पूरे देश में इसका संदेश जाएगा और भाजपा की बड़ी फजीहत और बदनामी होगी। इसीलिए चुनाव आयोग के जरिए मिल्कीपुर विधानसभा का उपचुनाव भाजपा ने हार के डर से टलवाया है।

फ़ैजाबाद के सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने मिल्कीपुर सीट का उपचुनाव नहीं घोषित किए जाने पर नाराज़गी व्यक्त की है। अवधेश प्रसाद ने मिल्कीपुर का चुनाव टालने के पीछे योगी आदित्यनाथ और भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

अवधेश प्रसाद ने कहा है कि, “चुनाव आयोग ने मिल्कीपुर के जिस मामले को कोर्ट में होना बताकर चुनाव टाला है, वह मामला 12 जून को उनके विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद स्वयं खत्म हो गया है। विधानसभा अध्यक्ष ने उनके इस्तीफा को 13 जून को स्वीकार कर लिया है और इसकी सूचना चुनाव आयोग को भेज दी है। इसके बाद चुनाव आयोग ने मिल्कीपुर को रिक्त घोषित कर दिया है।”

उन्होंने कहा, “मेरे 2022 के विधानसभा चुनाव को चुनौती दी गई थी। अब जब हमने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है और इस्तीफा स्वीकार हो गया है, तो यह मामला खत्म हो गया है। लेकिन भाजपा ने मिल्कीपुर में अपनी संभावित हार को देखकर चुनाव को टलवा दिया है।”

हैरत की बात यह है की अवधेश प्रसाद के चुनाव को चुनौती देने वाले तत्कालीन भाजपा उम्मीदवार बाबा गोरखनाथ ने भी अवधेश प्रसाद के विधानसभा से इस्तीफा देने और उनका इस्तीफा स्वीकार होने के बाद इस मामले को खत्म हो जाना बताया है। हालांकि, भाजपा ने अपनी हार को देखते हुए चुनाव को टलवा दिया है।

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