अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल खत्म हो गया है और नए अध्यक्ष का चुनाव होना है। वसुन्धरा राजे सिंधिया को अगला भाजपा अध्यक्ष बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मैदान में कूद पड़ा है। संघ के मैदान में आ जाने से पीएम मोदी और अमित शाह की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
पीएम नरेन्द्र मोदी और ग्रह मंत्री अमित शाह अध्यक्ष के पद पर अपना आदमी बैठाना चाहते हैं। लेकिन संघ अब भाजपा अध्यक्ष के पद पर अपना आदमी बैठाना चाहता है, जिससे वह भाजपा को कंट्रोल में रख सके और अपने हिसाब से भाजपा को चलाए।
इसीलिए संघ ने भाजपा अध्यक्ष के पद पर अपनी पसंद के आदमी को बैठाने के लिए अभी से गोलबंदी और मोर्चेबंदी शुरु कर दी है। दरअसल संघ अब गुजरात लॉबी यानी मोदी और शाह की जोड़ी पर कंट्रोल करना चाहता है यानी गुजराती लॉबी को किनारे लगाना चाहता है।
लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जिस तरह से संघ को अपमानित किया था, संघ उसका भूला नहीं है। जेपी नड्डा ने कहा था कि, “भाजपा अब विश्व का सबसे बड़ा राजनैतिक संगठन हो गया है, उसे अब आर.एस.एस. की निर्भरता की जरूरत नहीं है।”
लोकसभा चुनाव के दौरान जेपी नड्डा द्वारा कही इस बात से संघ की बड़ी बेइज्जती हुई थी। संघ इससे काफी नाराज़ हो गया था। इसके बाद संघ ने लोकसभा चुनाव में चुप्पी साध ली थी। संघ के चुप्पी साध लेने से संघ के लोग अपने-अपने घरों में बैठ गए थे, जिसका परिणाम यह हुआ कि भाजपा को लोकसभा चुनाव में अपने दम पर अकेले बहुमत नहीं मिला और दूसरे दलों से से समर्थन लेकर अल्पमत वाली सरकार बनानी पड़ी।
इसके बाद गुजरात लॉबी को संघ के सामने घुटने टेक देने पड़े। अब मोदी और शाह की जोड़ी संघ के आगे नतमस्तक है। मोदी और शाह अब संघ को नाराज नहीं करना चाहते हैं, क्योंकि वह समझ रहे हैं कि अब संघ को अगर ऑंखें दिखाएंगे, तो हमें सत्ता से भी संघ हटा देगा। इसलिए वह अब संघ के साथ मिलकर चलना चाहते हैं।
संघ मोदी और शाह को काबू में रखने के लिए अब भाजपा अध्यक्ष के पद पर अपने खास आदमी को बिठाना चाहता है। इसीलिए संघ ने अभी से भाजपा के अगले अध्यक्ष के लिए कमर कस ली है और इसकी तैयारी शुरु कर दी है। इसी सिलसिले में संघ ने अगले अध्यक्ष के लिए संजय जोशी का नाम प्रस्तावित करके मोदी और शाह के पास भेज भी दिया था। लेकिन मोदी और शाह संजय जोशी के नाम पर राजी नहीं हुए।
उन्होंने अपनी तरफ से केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम संघ के पास भेजा। किंतु संघ ने अपना ट्रम्प कार्ड चल दिया और अध्यक्ष पद के लिए राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे का नाम प्रस्तावित कर दिया और वसुंधरा राजे के नाम के लिए अपना वीटो पावर भी लगा दिया। वसुंधरा राजे के नाम के आगे आने से मोदी और शाह के खेमा परेशान है।
वसुंधरा राजे भाजपा की ऐसी अकेली राजनेता हैं, जो मोदी और शाह के सामने नहीं झुकी हैं। मोदी और शाह ने वसुंधरा राजे को झुकाने के लिए बड़ा प्रयास किया और तमाम चालें चलीं, लेकिन वसुंधरा राजे के आगे उनकी एक भी नहीं चली। एक बार वसुंधरा राजे ने नाराज़ होकर 3 दिन तक अमित शाह का फोन नहीं रिसीव किया। अमित शाह बराबर फोन करते रहे।
मोदी और शाह ने वसुंधरा राजे को राजनीति में किनारे लगाने का बहुत प्रयास किया। उन्होंने महारानी वसुंधरा राजे के विरोधियों को राजस्थान की भाजपा की राजनीति में आगे बढ़ाया। जयपुर की महारानी दिया कुमारी को प्रमोट किया। उनको जयपुर से विधायक का टिकट देकर चुनाव लड़वाया गया और जीतने पर उप मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन वसुंधरा राजे के सामने वे कहीं भी नहीं ठहरती हैं।
उनकी राजस्थान में जयपुर को छोड़ कहीं पर पकड़ नहीं है। राजेंद्र राठौड़ को भाजपा में आगे बढ़ाया गया। घनश्याम तिवारी को आगे बढ़ाया गया, यह सभी वसुंधरा राजे के विरोधी हैं। लेकिन वसुंधरा राजे राजस्थान में भाजपा की राजनीति में कहीं भी नहीं पीछे हुई।
इस लोकसभा चुनाव में वसुंधरा राजे को पहले किनारे कर दिया गया था, लेकिन जब मामला बिगड़ने लगा, तो फिर उनको भाजपा नेतृत्व ने मनाया। तब कहीं जाकर भाजपा राजस्थान में लोकसभा सीटें जीत पाई, नहीं तो भाजपा जीरो पर आउट हो जाती। संघ वसुंधरा राजे की राजनीति में गहरी पकड़ और प्रभाव से अच्छी तरह से परिचित है, इसलिए संघ प्रमुख मोहन भागवत उनको भाजपा का अगला अध्यक्ष बनाना चाहते हैं।
सूत्र बताते हैं कि संघ ने मोदी और शाह को साफ-साफ संदेश दे दिया है कि वसुंधरा राजे ही अगली भाजपा अध्यक्ष होंगी। इसके साथ ही संघ ने यह भी कह दिया है कि अब पीएम पद और भाजपा अध्यक्ष के पद में से एक ही पद तुम्हारे पास रहेगा। तुम पीएम हो और संघ के खाते में भाजपा अध्यक्ष का पद है। संघ जिसको चाहेगा उसको भाजपा अध्यक्ष बनाएगा। अगर भाजपा अध्यक्ष का पद तुम्हें चाहिए तो पीएम का पद छोड़ दो।
संघ के इस रुख से मोदी और शाह की आँखों की नींद गायब हो गई है। उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि वह अब क्या करें। संघ भाजपा पर अपनी पकड़ बनाने और पकड़ को मज़बूत रखने के लिए अब भाजपा अध्यक्ष के पद पर हर हाल में अपनी पसंद वसुंधरा राजे को बैठाना चाहता है।
संघ के इस दांव से मोदी और शाह का दांव फेल होता दिखाई दे रहा है और मोदी और शाह की जोड़ी संघ के चक्रव्यूह में फंस गई है। अगर मोदी और शाह संघ से टकराने की कोशिश करते हैं, तो मोदी की पीएम की कुर्सी खतरे में पड़ जाएगी।
संघ मोदी के विकल्प के लिए भी योजना बना चुका है, इसलिए मोदी संघ से टकराने की जुर्रत नहीं करेंगे और वह समय व परिस्थिति के अनुसार चलने का प्रयास करेंगे।