इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के विरुद्ध 27 सितंबर को बेंगलुरु की एक स्पेशल कोर्ट ने FIR दर्ज करने का आदेश दिया है. FIR में वित्त मंत्री पर इलेक्टोरल बॉन्ड्स के ज़रिए जबरन वसूली का आरोप लगाया गया है.
जनाधिकार संघर्ष परिषद (JSP) के आदर्श अय्यर द्वारा चुनावी बॉण्ड योजना से संबंधित शिकायत पर मामला दर्ज किया गया है. बेंगलुरु की एक अदालत के निर्देश पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अन्य के खिलाफ शनिवार को मामला दर्ज किया गया.
इलेक्टोरल बॉन्ड से जबरन वसूली के आरोप में अदालत ने निर्मला सीतारमण के अलावा भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा और ED अधिकारियों पर भी FIR दर्ज करने का आदेश दिया है.
पुलिस के अनुसार एक विशेष अदालत के आदेश पर केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के पदाधिकारियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 384 (जबरन वसूली के लिए सजा), 120 बी (आपराधिक साजिश) और 34 (सामान्य इरादे से कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कृत्य) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई.
गौरतलब हो कि जनाधिकार संघर्ष परिषद (JSP) के आदर्श अय्यर ने बेंगलुरु में शिकायत दर्ज कर केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश देने की मांग की थी.
उक्त याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई और अदालत ने बेंगलुरु के तिलक नगर पुलिस स्टेशन को FIR दर्ज करने का आदेश दिया. इस मामले में अगली सुनवाई 10 अक्टूबर काे होगी.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की कर्नाटक इकाई के प्रमुख बी वाई विजयेंद्र, पार्टी नेता नलिन कुमार कटील का भी नाम प्राथमिकी में दर्ज है.
जनाधिकार संघर्ष परिषद (जेएसपी) के सह-अध्यक्ष आदर्श आर अय्यर ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया है कि आरोपियों ने चुनावी बॉण्ड की आड़ में जबरन वसूली की और 8,000 करोड़ रुपये से अधिक का फायदा उठाया.
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि सीतारमण ने ईडी अधिकारियों की गुप्त सहायता और समर्थन के माध्यम से राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर दूसरों के फायदे के लिए हजारों करोड़ रुपये की जबरन वसूली की.
इसमें कहा गया है, “चुनावी बॉण्ड की आड़ में जबरन वसूली का काम विभिन्न स्तरों पर भाजपा के पदाधिकारियों की मिलीभगत से चलाया जा रहा था.”
जेएसपी के वकील एस बालन ने बीबीसी हिंदी से कहा, “निर्मला सीतारमण और ईडी निदेशालय सूत्रधार हैं जबकि नड्डा और विजेंद्र इसमें सहयोग करने वाले हैं.”
कोर्ट को दी गई शिकायत में कहा गया है, “आरोपी संख्या एक (निर्मला सीतारमण) ने आरोपी संख्या दो (ईडी) की गुप्त सहायता और समर्थन के ज़रिए राष्ट्रीय स्तर पर आरोपी संख्या तीन (नड्डा) और कर्नाटक राज्य में आरोपी संख्या चार (कतील) के लाभ के लिए हज़ारों करोड़ रुपये की उगाही करने में मदद की.”
उच्चतम न्यायालय ने फरवरी में चुनावी बॉण्ड योजना को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि इससे संविधान के तहत सूचना के अधिकार और भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन होता है.
मैसुरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूखंड आवंटन मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के कारण विपक्षी बीजेपी ने उनका इस्तीफा मांगा है.
सिद्धरमैया ने कहा, “बीजेपी नेताओं के तर्क के अनुसार, निर्मला सीतारमण को अब इस्तीफा दे देना चाहिए, है ना.”
अप्रैल 2024 में की गई थी शिकायत
रिपोर्ट के अनुसार यह शिकायत अप्रैल 2024 में की गई थी. जनाधिकार संघर्ष परिषद ने अप्रैल में 42वीं ACMM कोर्ट में दायर याचिका में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, ED अधिकारियों, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं, तत्कालीन भाजपा कर्नाटक अध्यक्ष नलिन कुमार कटील, बीवाई विजयेंद्र के खिलाफ शिकायत की थी.
एफआईआर के अनुसार, शिकायत में कहा गया है कि अप्रैल 2019 से अगस्त 2022 तक व्यवसायी अनिल अग्रवाल की फर्म से लगभग 230 करोड़ रुपए और अरबिंदो फार्मेसी से 49 करोड़ रुपए चुनावी बॉन्ड के जरिए वसूले गए.
इस खबर के सामने आने के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्रीय वित्त मंत्री के इस्तीफे की मांग की है.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, “कर्नाटक भाजपा के नेता सीतारमण के इस्तीफे के लिए कब प्रदर्शन और मार्च करेंगे. अगर निष्पक्ष जांच होती है, तो PM मोदी और कुमारस्वामी को भी इस्तीफा देना चाहिए.”