इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | जमात-ए-इस्लामी हिंद (जेआईएच) के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने लेबनान पर इज़रायल के हालिया हमलों की कड़ी निंदा की है और इसे “आतंकवादी कृत्य” कहा है, साथ ही इन हमलों को “अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानूनों और युद्ध मानदंडों का घोर उल्लंघन” बताया है.
मीडिया को दिए गए एक बयान में जमाअत अध्यक्ष हुसैनी ने कहा, “लेबनान पर अंधाधुंध हमले करके गज़ा में संघर्ष को बढ़ाने के लिए हम इज़रायल की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं. इन क्रूर हमलों के परिणामस्वरूप एक ही दिन में 45 बच्चों सहित 500 से अधिक लोगों की दुखद मौत हो गई है और 1,645 अन्य घायल हो गए हैं. हज़ारों निर्दोष नागरिकों को अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जिससे भारी मानवीय संकट पैदा हो गया है.”
जमाअत अध्यक्ष ने पिछले “पेजर” और “वॉकी-टॉकी” हमलों का भी उल्लेख किया, जो कि सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, यह इज़रायल की खुफिया सेवाओं और सैन्य बलों द्वारा एक संयुक्त अभियान का हिस्सा थे. हुसैनी ने बेल्जियम के उप प्रधान मंत्री सहित विभिन्न लोगों द्वारा इसे “आतंकवादी हमला” बताए जाने का समर्थन किया.
सआदतुल्लाह हुसैनी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इज़रायल लगातार अंतरराष्ट्रीय मानवीय सिद्धांतों का उल्लंघन कर रहा है. ‘कन्वेंशन ऑन सर्टेन कन्वेंशनल वैपन्स, के तहत ‘माइन्स, बूबी-ट्रैप्स और अन्य उपकरणों पर प्रोटोकॉल’ पर हस्ताक्षर करने के बावजूद, इज़रायल ने बड़े और विनाशकारी पैमाने पर बूबी ट्रैप्स का इस्तेमाल किया है, जो वैश्विक शांति के लिए इसके गंभीर खतरे को उजागर करता है.
सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा, “यह चिंताजनक है कि जिन लोगों ने एक बार वैश्विक ‘आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध’ की घोषणा की थी, वे इज़रायल के स्टेट टेररिज्म के सामने चुप हैं. आतंकवाद से निपटने के लिए चयनात्मक और राजनीतिक दृष्टिकोण इसे समाप्त करने में एक बड़ी बाधा है.”
उन्होंने सचेत किया कि इज़रायल की आक्रामक कार्रवाइयां गज़ा में पहले से ही चल रहे विनाशकारी संघर्ष को और बढ़ा सकती हैं तथा पूरे क्षेत्र में दीर्घकालिक शांति के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं. जमाअत अध्यक्ष ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से तत्काल कार्रवाई करने, गज़ा में तत्काल युद्ध विराम लागू करने तथा फिलिस्तीनी और लेबनानी नागरिकों के विरुद्ध इज़रायल के अत्याचारों के लिए उसे जवाबदेह ठहराने का आह्वान किया.
उन्होंने कहा, “संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक समुदाय की ओर से तत्काल और निर्णायक हस्तक्षेप के बिना, पूरे क्षेत्र के व्यापक संघर्ष में फंसने का खतरा है, जो विश्व के लिए विनाशकारी परिणाम होगा.”