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Sunday, October 6, 2024
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर वरिष्ठ पत्रकार ने जाति के आधार पर भेदभाव करने का लगाया आरोप

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर जाति के आधार पर भेदभाव करने का आरोप लग रहा है. कभी पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इस बात को प्रमुखता से उठाते हैं तो कभी वरिष्ठ पत्रकार इन आरोपों की पुष्टि करते हैं.

हाल ही में वरिष्ठ पत्रकार सुनील शुक्ल ने योगी आदित्यनाथ द्वारा मुसलमानों और यादवों को टारगेट करने पर सवाल उठाया है और उनके ऊपर जातिवाद की राजनीति करने का आरोप लगाया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर लगातार जतिवादी राजनीति के आरोप लग रहे हैं। एक मीडिया चर्चा के दौरान वरिष्ठ पत्रकार ने कहा है कि जब ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप लगते हैं, तो उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है लेकिन राजू पाल की हत्या के आरोप में अशरफ और अतीक का इनकाउंटर हो जाता है।

यूपी के वरिष्ठ पत्रकार सुनील शुक्ल ने योगी आदित्यनाथ के कामकाज करने के तरीके और मनमानेपन पर सवाल उठाया है और कहा है कि इनकाउंटर के पक्ष में पूरी भाजपा खड़ी हो जाती है। योगी नया नेरेटिव बनाना चाहते हैं, लेकिन नया नेरेटिव नहीं बनेगा। उन्होंने योगी आदत्यनाथ को सवालों के घेरे में खड़ा किया है।

उन्होंने कहा है कि, “लखनऊ में एक घटना हुई थी। पानी बहुत तेजी के साथ बरसा था और एक दम्पत्ति आ रहा है। वहाँ से आपने उसके क्लिप देखे होंगे। मुख्यमंत्री ने विधानसभा के भीतर 2 नाम लिए। एक यादव और एक मुसलमान। जाति की बात किसने की? और जब जाँच हुई तो, दोनों लड़के वहाँ नहीं पाए गए।”

उल्लेखनीय है कि उक्त घटना जुलाई के आखिरी सप्ताह में हुई थी, जिसमें कुछ लोगों ने संबंधित दम्पत्ति पर बरसात का पानी डाला था और छेड़खानी की थी। इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में यादवों और मुसलमानों को बदनाम करने के लिए उनको टारगेट किया था और यादव और मुसलमान का ज़िक्र करते हुए बयान दिया था। जबकि पकड़े गए अन्य लोगों की जातियों को छुपा लिया था। इस पर काफी विवाद हुआ था और योगी आदित्यनाथ की खूब आलोचना हुई थी।

सुनील शुक्ल ने योगी आदित्यनाथ के कामकाज करने के तरीके पर भी सवाल उठाया है और उन्होंने कहा है कि, “अगर ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कोई आरोप लगता है, तो (आप) योगी कोई कार्यवाही नहीं करते और मुख़्तार अंसारी के खिलाफ कार्यवाही कर उनका मकान गिरा देंगे। जतिवाद कौन कर रहा है?”

उन्होंने कहा, “राजू पाल के हत्या के आरोप में अशरफ और अतीक का इनकाउंटर हो जाता है। जवाहर यादव पंडित (विधायक) के मामले में जिसको आजीवन कारावास होती है, उसको आप छोड़ देते हैं। कौन राजनीति कर रहा है? “

जबकि सच्चाई है कि योगी सरकार में ब्रजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती है। मुख़्तार अंसारी का घर तक गिरा दिया गया है। राजू पाल के हत्या के आरोपी अशरफ और अतीक अहमद की इलाहाबाद में हत्या कर दी गई। भाजपा ने इसको अच्छा माना और खुशी जाहिर की।

इलाहाबाद में सपा विधायक जवाहर यादव पंडित की हत्या कर दी गई थी। इनकी हत्या के आरोपी उदयभान करवरिया भाजपा नेता को आजीवन कारावास हुआ था, जिसको योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अच्छा चाल चलन वाला बताकर उसकी सज़ा माफ कर दी और उसको जेल से रिहा कर दिया।

जवाहर यादव पंडित की पत्नी बिजमा यादव विधायक ने विधानसभा में इसका जोरदार विरोध किया और सरकार से अपनी सुरक्षा की मांग की। आज यूपी की जेलों में बहुत से वृद्ध कैदी बंद हैं, लेकिन सरकार उनकी सज़ा नहीं माफ कर रही है और न ही उनको रिहा कर रही है।

सुनील शुक्ल ने योगी आदित्यनाथ के द्वारा नए नेरेटिव बनाए जाने को गलत करार दिया है। उन्होंने कहा है कि, “आप (योगी) जो नेरेटिव बनाना चाहते हैं, वह नेरेटिव नहीं बनेगा। आप क्यों उन्हीं लोगों का नाम लेते हैं? केवल किसी यादव का नाम ले लेंगे, किसी मुसलमान का नाम ले लेंगे। आप मुख्यमंत्री हैं, सरकार आप चला रहे हैं, तो सरकार से तो उम्मीद की जाती है कि आप एक पारदर्शी तरीके से कानून सम्मत कार्रवाई करेंगे।”

उन्होंने सवाल किया कि, “इनकाउंटर के पक्ष में क्यों बीजेपी खड़ी हो गई? कौन सा सभ्य समाज कानून के राज में रहने वाला समाज इनकाउंटर का समर्थन करता है? कौन सा विकसित समाज है, जहां पर पुलिस को अधिकार दे दिए जाते हैं कि आप गोली मार दो किसी को और आप इसके पक्ष में खड़े हो जाएंगे।”

उन्होंने कहा कि, “कानून के अनुसार न्यायालय जो भी आदेश दे, उसका पालन किया जाना चाहिए। लेकिन आप कहते हैं कि न्याय की प्रक्रिया बड़ी लम्बी होती है, तो क्यों होती है? अगर न्याय की प्रक्रिया लम्बी होती है, तो सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह प्रक्रिया को तेज़ करे और जाँच की व्यवस्था तेज कर दे। सबूत जुटाने का काम तेज कर दे। लेकिन इसके बिना पर आप गैरकानूनी प्रवृत्ती को बढ़ावा देंगे। बढ़ावा कौन दे रहा है।”

उन्होंने कहा कि, “दूसरी बात यह है कि यह जाति कि लड़ाई नहीं है, यह धर्म की लड़ाई की पराजय है। ये सामाजिक न्याय और सामाजिक सशक्तिकरण की जो राजनीति हो रही उसको और बढ़ावा देना है। जो बढ़ता चला जा रहा है।”

अभी कुछ दिन पूर्व सुल्तानपुर जिले में जिला मुख्यालय पर एक सर्राफ के यहाँ दिनदहाड़े डकैती की घटना हुई थी। इस डकैती का मास्टर माइंड मुखिया विपिन सिंह था। इस घटना के बाद योगी सरकार की काफी फजीहत हुई थी। सरकार की फजीहत होने के बाद पुलिस ने इस डकैती के पर्दाफाश होने का दावा किया था। लेकिन विपिन सिंह ने रायबरेली में अदालत में सरेंडर कर दिया। विपिन सिंह को बचाने में पुलिस की भूमिका संदिग्ध रही।

विपिन सिंह चूँकि ठाकुर था, इसलिए पुलिस ने उसको बचाने का काम किया। जबकि मंगेश यादव को उसके घर जौनपुर से पुलिस ने 2 दिन पहले उठाया और बाद में 2 दिन बाद में उसका सुल्तानपुर में पुलिस ने इनकाउंटर कर दिया। मंगेश यादव के इनकाउंटर में पुलिस की पोल भी खुल गई, क्योंकि इनकाउंटर करने वाली पुलिस टीम के लीडर डी के शाही स्वयं पैरों में चप्पल पहने हुए थे। चप्पल पहनकर पुलिस इनकाउंटर के समय कैसे अपराधी के पीछे दौड़ सकती है। यह संभव नहीं है। पुलिस इनकाउंटर की कहानी किसी के गले नहीं उतरी।

मंगेश यादव के इनकाउंटर पर अखिलेश यादव ने योगी सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा, “यह इनकाउंटर फर्जी है। जाति देखकर इनकाउंटर किया गया है। असली मुल्ज़िम स्वजातीय है इसलिए उसको बचाने के लिए उसको सरेंडर करवा दिया गया।”

अखिलेश यादव के बयान के बाद योगी आदित्यनाथ ने अपना बचाव करते हुए अखिलेश यादव को अपराधियों का संरक्षणदाता बताया था। लेकिन इस सबके बावजूद मंगेश यादव का पुलिस इनकाउंटर में मारा जाना सवालों के घेरे में बना हुआ है।

पत्रकार सुनील शुक्ल ने अपनी बात रखते हुए आगे कहा है कि, “भारतीय जनता पार्टी की कल्याण सिंह की जब सरकार थी तो पिछड़ों की सरकार थी। कौन सी सरकार 1952 से लेकर 2014 के पहले तक जो यह बताती थी कि साहब मेरे कैबिनेट में कितने पिछड़े हैं, कितने दलित हैं और कितने किस जाति के हैं। ये सरकार बताती है कि हमारे में इतने दलित आ गये हैं। दलितों का और पिछड़ों का कौन बड़ा नेता है।”

उन्होंने कहा कि, “आप तो मंडल की राजनीति के खिलाफ में थे। कर्पूरी ठाकुर की सरकार आपने गिराई। मंडल आंदोलन विरोध आपने किया झारखंड में। पिछड़ों का जो 27 प्रतिशत आरक्षण था, उसको घटाकर के अब नीचे ले आये। आप भी तो राजनीति ही कर रहे थे तो फिर आप क्यों सवाल करते हैं।”

सुनील शुक्ल ने कहा, “कैलाशपति जी का बयान याद कर लीजिये। ये ऐसा नहीं था कि आज राजनीति शुरु हुई। जब मंडल कमीशन की राजनीति आई, विश्वनाथ प्रताप सिंह लेकर आए। जिस सरकार को बीजेपी चला रही थी उसी सरकार में सोमनाथ यात्रा शुरु कर दी। इस राजनीति से कोई इंकार नहीं कर सकता है। अगर ध्रुवीकरण की राजनीति के खिलाफ, सांप्रदायिकता की राजनीति के खिलाफ सामाजिक सशक्तिकरण की राजनीति ही सफल हो सकती है।”

उन्होंने कहा कि, “उस राजनीति को इंडिया दल समूह ने चाहे उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी अगर आप कहते हैं तो यह आगे बढ़ती हुई नज़र आ रही है। अगर आप गवरनेंस की बात नहीं करेंगे, तो इन बयानों से कि आप बुलडोज़र चला देंगे और इनकाउंटर कर देंगे तो इससे परसेप्शन नहीं बनने वाला है। परसेप्शन आपका तब बनेगा, जब लोगों के जीवन के जो ज़रूरी सवाल हैं उनको कितना हल करते हुए आप दिख रहे हैं। अगर आप इसका जवाब नहीं दे पाएंगे , तो कोई भी आप परसेप्शन बनाने की कोशिश कीजिये वह सफल नहीं होने वाला है।”

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