इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | कोलकाता रेप-मर्डर को लेकर चल रहे डॉक्टरों के प्रदर्शन के बीच पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने राज्य विधानसभा के विशेष सत्र के आखिरी दिन एंटी रेप बिल पेश किया जो सर्वसम्मति से पारित हो गया. बिल में दोषियो के लिए 10 दिन में फांसी का प्रावधान है.
नए कानून के तहत रेप मामलों की 36 दिन में जांच पूरी करनी होगी. ऐसे मामलों में पीड़ित के कोमा में जाने या मौत होने पर दोषी को 10 दिन में फांसी की सजा होगी. राज्यपाल के साइन के बाद यह कानून बन जाएगा.
पश्चिम बंगाल विधानसभा में मंगलवार को बलात्कार की घटनाओं के ख़िलाफ़ सख्त रुख़ अपनाते हुए एंटी रेप बिल सर्वसम्मति से पारित कर दिया. सदन ने विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा विधेयक में प्रस्तावित संशोधन स्वीकार नहीं किए.
ज्ञात हो कि ममता सरकार ने एंटी रेप बिल को ‘अपराजिता’ महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) बिल 2024 नाम दिया है.
राज्य सरकार ने एंटी रेप बिल को पारित करने के लिए 2 सितंबर से दो दिन का विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था जिसमें कानून मंत्री मलय घटक ने इसे विधानसभा में पेश किया.
विधेयक के मसौदे में बलात्कार पीड़िता की मौत होने या उसके स्थायी रूप से अचेत अवस्था में चले जाने की सूरत में ऐसे दोषियों के लिए मृत्युदंड के प्रावधान का प्रस्ताव किया गया है.
इसके अतिरिक्त, मसौदे में प्रस्ताव किया गया है कि बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के दोषी व्यक्तियों को आजीवन कारावास की सजा दी जाए, और उन्हें पेरोल की सुविधा न दी जाए.
‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024’ शीर्षक वाले इस प्रस्तावित कानून का उद्देश्य बलात्कार और यौन अपराधों से संबंधित नये प्रावधानों के जरिये महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा मजबूत करना है.
कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में पिछले महीने एक चिकित्सक के साथ कथित बलात्कार और हत्या की घटना के बाद सोमवार को विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया.
राज्य के कानून मंत्री मलय घटक ने विधानसभा में यह विधेयक पेश किया जिसके बाद यह सर्वसम्मति से पारित हो गया.