इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | भारत में शेयर बाज़ार को नियंत्रित करने वाली संस्था सेबी पर हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा जारी ताज़ा रिपोर्ट के बाद पूरे भारत में हंगामा हो रहा है और जांच की मांग हो रही है.
अपनी ताज़ा रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि सेबी (SEBI) की प्रमुख माधबी पुरी बुच के पति अडानी ग्रुप की कंपनियों में स्टेक होल्डर हैं.
अमेरिकी शोध और निवेश कंपंनी हिंडनबर्ग रिसर्च की ताजा रिपोर्ट के बाद सोमवार को अडानी समूह की सूचीबद्ध 10 कंपनियों में से आठ के शेयर गिरावट दर्ज की गई. अडानी विल्मर के शेयर में चार प्रतिशत की गिरावट आई.
हिंडनबर्ग ने शनिवार देर रात जारी अपनी नई रिपोर्ट में कहा था कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा तथा मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ये वही कोष हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अडानी ने पैसों की हेराफेरी करने और समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था. विनोद अडानी, अडानी समूह के चेयरपर्सन गौतम अडानी के बड़े भाई हैं.
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने हिंडनबर्ग के खुलासे के बाद एक्स अकाउंट पर अपने बयान में कहा कि छोटे खुदरा निवेशकों की संपत्ति की सुरक्षा का ज़िम्मा संभालने वाली संस्था ‘सेबी’ के अध्यक्ष के खिलाफ इस तरह के आरोपों की वजह से सेबी की अखंडता से समझौता हुआ है.
राहुल गांधी ने एक्स अकाउंट पर लिखा कि देश भर के ईमानदार निवेशक सरकार से निम्न प्रश्न करते हैं :-
- सेबी अध्यक्ष माधबी पुरी बुच ने अभी तक इस्तीफा क्यों नहीं दिया?
- यदि निवेशक अपनी गाढ़ी कमाई खो देते हैं, तो किसे जवाबदेह ठहराया जाएगा- पीएम मोदी, सेबी अध्यक्ष, या गौतम अडानी?
- सामने आए नए और बेहद गंभीर आरोपों के आलोक में क्या सुप्रीम कोर्ट एक बार फिर इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेगा?
अब यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि प्रधानमंत्री मोदी जेपीसी जांच से इतने डरे हुए क्यों हैं और इससे क्या खुलासा हो सकता है.
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी एक्स अकाउंट पर मोदी सरकार से निम्न सवाल पूछे:
- क्या प्रधानमंत्री मोदी के संरक्षण के बगैर अडानी और सेबी प्रमुख की यह कथित मिलीभगत संभव है? • सेबी के इतने बड़े घपलेबाजी के आरोपों से घिरने पर पीएम मोदी को क्या कहना है? • क्या जो सरकार लगातार अडानी समूह पर लगे आरोपों पर पर्दा डाल रही थी, उसके लिए इस महाघोटाले की निष्पक्ष जांच कराना संभव भी है?
- सत्ता के गलियारों में पिछले 10 साल में सरकारी अफ़सर, रेग्युलेटर्स और संभवतः न्यायपालिका में नियुक्तियों में गौतम अडानी के भयंकर वर्चस्व और दखलंदाजी की फुसफुसाहट ज़ोर पकड़ती जा रही है, तो क्या माधबी बुच को सेबी प्रमुख नियुक्त कराने में भी गौतम अडानी का हाथ है? • आख़िर पिछले 10 साल में मोदी सरकार के कार्यकाल में अडानी इतने शक्तिशाली क्यों और कैसे हो गये?
- भारत के शेयर बाज़ार रेगुलेटर सेबी ने अपनी सारी विश्वसनीयता खो दी है, तो अब छोटे निवेशकों की सुरक्षा कौन सुनिश्चित करेगा? • कल जब बाजार गिरेगा तो निवेशकों की करोड़ों की संपत्ति स्वाहा होने के लिए क्या गौतम अडानी, माधबी बुच और नरेंद्र मोदी ज़िम्मेदार नहीं होंगे? • हम खुद को विश्वगुरु कहते हैं, लेकिन यह भारत के शेयर बाजार रेगुलेटर पर कलंक है, जो एक झटके में हमारे फाइनेंसियल मार्केट की विश्वसनीयता को ख़त्म कर देता है। आख़िर हम वैश्विक और घरेलू निवेशकों को कैसे विश्वास दिलायेंगे कि हमारे मार्केट में ‘rule of law’ है? • यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था, पर क्या conflict of interest के ये आरोप SEBI और सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने रखे थे या फिर सुप्रीम कोर्ट को भी अंधेरे में रखा गया था?
सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने भी इन आरोपों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. दोनों ने संयुक्त रूप से कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिंडनबर्ग रिसर्च, जिसके खिलाफ सेबी ने प्रवर्तन कार्रवाई की है और कारण बताओ नोटिस जारी किया है, ने उसी के जवाब में चरित्र हनन का प्रयास करने का विकल्प चुना है.”
माधवी बुच ने अपने बयान में कहा, “10 अगस्त, 2024 को हिंडनबर्ग रिपोर्ट में हमारे खिलाफ लगाए गए आरोपों के संदर्भ में, हम यह बताना चाहेंगे कि हम रिपोर्ट में लगाए गए निराधार आरोपों और आक्षेपों का दृढ़ता से खंडन करते हैं. इनमें कोई भी सच्चाई नहीं है. हमारा जीवन और वित्तीय स्थिति एक खुली किताब है.”
अडानी ग्रुप ने भी हिंडनबर्ग रिसर्च के आरोपों को बेबुनियाद बताया
अडानी ग्रुप ने रविवार को जारी किए अपने बयान में हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा जारी रिपोर्टों को बेबुनियाद बताया है. अडानी ने कहा, “हमारी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए जानबूझकर किए गए इस प्रयास में उल्लिखित व्यक्तियों या मामलों के साथ हमारा कोई व्यावसायिक संबंध नहीं है. हम पारदर्शिता और सभी कानूनी और नियामक आवश्यकताओं के अनुपालन के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं.”
वित्त मंत्रालय के पूर्व सचिव ने हिंडनबर्ग के आरोपों की न्यायिक जांच की मांग की
इस मामले में पूर्व नौकरशाह ईएएस शर्मा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर सेबी प्रमुख के मामले में हितों के टकराव के कारण अडानी समूह की जांच प्रभावित होने के आरोपों की न्यायिक जांच कराने की मांग की है.
उन्होंने अमेरिकी शोध और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च के सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के खिलाफ लगाए गए आरोपों को बेहद परेशान करने वाला बताया. उन्होंने कहा कि सरकार को स्वतंत्र एजेंसी से मामले की जांच कराकर वास्तविक स्थिति का पता लगाना चाहिए.
हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार को बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति पर अडानी से जुड़े विदेशी कोष में हिस्सेदारी होने का आरोप लगाया था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी चेयरपर्सन बुच और उनके पति धबल बुच के पास उस विदेशी कोष में हिस्सेदारी है, जिसका अडानी समूह के प्रमुख गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी ने समूह में कथित धन की हेराफेरी और शेयरों के दाम बढ़ाने को लेकर इस्तेमाल किया.