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Sunday, September 8, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने यूपी में मदरसा कानून को रद्द करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में मदरसा कानून को रद्द करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 22 मार्च को एक जनहित याचिका पर फैसला सुनाया था और यूपी बोर्ड आफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक बताते हुए इसको रद्द कर दिया था।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद यूपी में मदरसों में पढ़ने वाले 17 लाख छात्रों और 10 हज़ार शिक्षकों के भविष्य पर तलवार लटक गई थी और उनका भविष्य अन्धकारमय हो गया था।

मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों की शिक्षा पर ग्रहण लग गया था और शिक्षकों के सामने बेरोजगारी का संकट उत्पन्न हो गया था। इस पर मदरसों की संस्था मैनेजर्स एसोसिएशन मदारिस ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार किया। इसके पश्चात सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई।

इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ में हुई।

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि, “इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानून के कुछ प्रावधानों को समझने में गलती की है। हाईकोर्ट ने मदरसा कानून के प्रावधानों की गलत व्याख्या की है, क्योंकि यह धार्मिक शिक्षा नहीं देता है। मदरसा बोर्ड को रेगुलेट किया जा सकता है और इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह कहना प्रथम दृष्ट्या सही नहीं है कि बोर्ड के गठन में धर्म निरपेक्षता का उल्लंघन होगा।”

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, “हाईकोर्ट को इस बात की चिंता थी कि मदरसों में पढ़ने वालों को भी क्वॉलिटी एजूकेशन मिले तो इसका समाधान मदरसा कानून रद्द करने से नहीं होगा। ऐसा करने के बजाए प्रापर गाइडलाइंस जारी करना होगा, ताकि छात्र क्वॉलिटी एजूकेशन से वंचित न रहें। हाईकोर्ट का आदेश 17 लाख बच्चों के भविष्य को प्रभावित करेगा।हमारी नजर में प्रथम दृष्ट्या ये फैसला सही नहीं था।”

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के मदरसा कानून को रद्द करने के फैसले पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा रोक लगाए जाने से अब यूपी में मदरसे चलते रहेंगे और इनमें पढ़ने वाले छात्र मदरसों में पूर्व की तरह ही पढ़ते रहेंगे।

इस फैसले से मदरसे में पढ़ने वाले छात्रों को बड़ी राहत मिली है। इस फैसले से मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की नौकरी भी सुरक्षित हो गई है और अब उनको बेरोज़गारी के संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।

मैनेजर्स एसोसिएशन मदरिस की ओर से पीठ के सामने पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस तर्क पर कि मदरसों में मॉडर्न सब्जेक्ट नहीं पढ़ाए जाते दलील दी कि हरिद्वार और ऋषिकेश में बहुत प्रसिद्ध गुरुकुल हैं जो बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। मेरे पिता के पास वहाँ की भी डिग्री है। क्या आप इन्हें यह कहकर बंद कर देंगे कि वहाँ धार्मिक शिक्षा दी जा रही है?

पीठ के समक्ष पेश हुए केंद्र सरकार की तरफ से अटार्नी जनरल के वेंकट रमनी ने कहा कि, “इस कानून के रद्द होने का एकमात्र असर ये होगा कि मदरसों को कोई सरकारी सहायता नहीं मिलेगी।”

यूपी सरकार की ओर से पीठ के सामने पेश हुए ए एस जी के एम नटराज ने कहा कि, “सरकार किसी भी मदरसे को बंद नहीं करेगी। सरकार हर साल मदरसों को 1.096 करोड़ रुपये की सहायता देती है।”

एएसजी, के एम नटराज ने पीठ के सामने कहा कि, “राज्य सरकार को हाईकोर्ट का फैसला मंजूर है।”

इस पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड ने उनसे पूंछा, “हाईकोर्ट में आपने अपने कानून का बचाव करने के बावजूद आप यहाँ कानून का बचाव क्यों नहीं कर रहे? “

इस पर के एम नटराज ने जवाब दिया, हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने विकल्प चुना है।

उल्लेखनीय है कि मदरसा बोर्ड कानून के खिलाफ अंशुमान सिंह राठौर ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी और मदरसा बोर्ड कानून की संवैधानिकता को चुनौती दी थी।

इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 22 मार्च 2024 को फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि, यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा बोर्ड एजूकेशन एक्ट 2004 असंवैधानिक है और इससे धर्म निरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन होता है।

साथ ही याचिका के माध्यम से राज्य सरकार को मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को सामान्य स्कूलिंग सिस्टम में शामिल करने का आदेश दिया था।

हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद यूपी में मदरसों के बंद होने की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। हालांकि, अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी में मदरसे नहीं बंद होंगे और मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो गया है।

साथ ही मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की नौकरी जाने का संकट भी टल गया है। हालांकि यह अलग बात है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यूपी की भाजपा सरकार को तगड़ा झटका लगा है, क्योंकि राज्य की योगी आदित्यनाथ की सरकार का यूपी में मदरसों को बंद करने का उसका मंसूबा पूरा नहीं हो सका है।

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