अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | विवादों से घिरे बिजली के स्मार्ट मीटर को लगाने की प्रक्रिया शुरु हो गई है। लेकिन बिजली उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करने वाली उपभोक्ता परिषद ने इसका विरोध किया है और स्मार्ट मीटर बनाने वाली कम्पनियो के नाम व उपकरणो की जानकारी सार्वजनिक करने की मांग की है।
यूपी में काफी लंबे समय से बिजली उपभोक्ताओं के घरों में बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने की कवायद चल रही है। स्मार्ट मीटर को लेकर काफी विवाद भी है। इन मीटर के बारे में यह चर्चा है कि स्मार्ट मीटर बहुत तेज़ चलते हैं, जिससे उपभोक्ताओं का बिजली का बिल अधिक आता है और बिजली उपभोक्ताओं की जेब पर इसका भारी असर पड़ता है। इसके अलावा यह स्मार्ट मीटर गुणवत्ता परक नहीं हैं।
यही वजह है कि स्मार्ट मीटर विवादों में घिरे हैं, जिसके कारण अभी तक यह राज्य में उपभोक्ताओं के यहाँ नहीं लगाए गए हैं। लेकिन अब इनके लगाने के प्रक्रिया शुरु हो गई है।
बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया के शुरु होते ही राज्य उपभोक्ता परिषद ने इसका खुलकर विरोध किया है और इन स्मार्ट मीटर के लगाए जाने के पहले मीटर की गुणवत्ता और इनको बनाने वाली कम्पनियों के नाम सार्वजनिक किए जाने की मांग की है।
यही नहीं, उपभोक्ता परिषद ने इन स्मार्ट मीटरों के बारे में यह आरोप लगाया है कि इनमें लगे उपकरण चीन निर्मित हैं। इसको लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है।
बिजली उपभोक्ता परिषद के राज्य अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने उपभोक्ताओं के यहाँ स्मार्ट मीटर लगाए जाने के पहले मीटरों में लगे उपकरणों और उन्हें बनाने वाली कम्पनियों के नाम सार्वजनिक किए जाने की मांग की है।
अवधेश कुमार वर्मा ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस इस संबंध में मांग की है और और उन्होंने कहा है कि, “मुख्यमंत्री बिजली कम्पनियों को निर्देश दें कि स्मार्ट मीटर से संबंधित जानकारी विद्युत् वितरण निगम अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करें, जिससे उपभोक्ताओं का भ्रम दूर हो सके।”
बताया जा रहा है कि उपभोक्ता परिषद ने यह भी मांग की है कि, जो अभियंता स्मार्ट मीटरों को उच्च गुणवत्ता वाला बता रहे हैं पहले उनके घरों में स्मार्ट मीटर लगा कर ट्रायल किया जाए। ट्रायल होने के बाद उपभोक्ताओं के घरों में इनको लगाया जाए।
आरोप है कि स्मार्ट मीटर की खरीद से जुड़े रहे तमाम अभियंता अब विद्युत वितरण निगमों में निदेशक बनकर बैठे हुए हैं। यही अभियंता स्मार्ट मीटर लगाने की वकालत कर रहे हैं और उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डालने का इंतजाम कर रहे हैं।
स्मार्ट मीटर के तेज चलने की स्थिति में उपभोक्ताओं के यहाँ बिजली का बिल अधिक आएगा और उसकी मार बिजली उपभोक्ताओं को सहनी पड़ेगी।
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि यूपी में लगभग 25000 करोड़ रुपये के स्मार्ट मीटर बिजली उपभोक्ताओं के यहाँ लगाए जाने हैं। इनकी गुणवत्ता को लेकर देश के कई अन्य राज्यों में इसका भारी विरोध हो रहा है।
राज्य उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि, “मेरी आशंका है कि स्मार्ट मीटर में जो उपकरण लगाए गए हैं, वो चीन निर्मित हैं। यह सरासर गलत है, यह नहीं होना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “यही नहीं बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने के लिए टेंडर पाने वाली ज्यादातर कम्पनियां पुराने मीटरों को ही उपभोक्ताओं के घरों में लगाने की फिराक में हैं। इसलिए स्मार्ट मीटर में लगे उपकरणों और स्मार्ट मीटर बनाने कम्पनियो के नाम सार्वजनिक किए जाने चाहिए।”
यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार जनता यानी बिजली उपभोक्ताओं की जेब कटवाने पर आमादा है। इसके लिए वह बिजली कम्पनियों को स्मार्ट मीटर लगाने का काम दे रही है और दे दिया है।
ऐसा लगता है कि राज्य सरकार जनता की हितैषी होने का फर्जी ढोंग रचती है। वह बगैर जांचे – परखे बिजली उपभोक्ताओं के घरों में स्मार्ट मीटर लगवा रही है।
इससे बिजली उपभोक्ताओं के घरों में लगने वाले स्मार्ट मीटर तेज गति से चलेंगे और उनका बिजली का बिल अधिक आएगा। इस तरह से यूपी सरकार जनता को और बिजली उपभपक्ताओं को उनकी जेबों को लूटने के लिए काम कर रही है।