इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मोदी सरकार में व्यक्तिगत आयकर संग्रह के कॉरपोरेट कर संग्रह से अधिक होने को लेकर चिंता जताई है.
उन्होंने कहा है कि मोदी सरकार में कॉरपोरेट कर में की गई कटौती के कारण दो लाख करोड़ रुपये अरबपतियों की जेब में चले गए हैं, वहीं दूसरी तरफ मध्यम वर्ग भारी करों के बोझ तले दबा हुआ है.
कांग्रेस नेता ने कहा, “जब डॉ. मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री पद छोड़ा था तब व्यक्तिगत आयकर कुल कर संग्रह का 21 प्रतिशत था, जबकि कॉरपोरेट कर 35 प्रतिशत. जो आज कुल कर संग्रह में कॉरपोरेट कर का हिस्सा तेजी से गिरकर एक दशक के सबसे निचले स्तर पर आ गया है.”
कांग्रेस की तरफ से लगाए गए इस आरोप के एक दिन पहले केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में दिखाया गया है कि 5,74,357 करोड़ रुपये (11 जुलाई, 2024 तक) का शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह हुआ है, जिसमें 2,10,274 करोड़ रुपये का कॉरपोरेट आयकर और रिफंड को छोड़कर, 3,46,036 करोड़ रुपये का व्यक्तिगत आयकर शामिल है.
कांग्रेस महासचिव और संचार प्रभारी जयराम रमेश ने कहा अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट में कहा कि, बजट की तारीख़ धीरे-धीरे नज़दीक आ रही है, 23 जुलाई को इसे पेश किया जाना है.
उन्होंने कहा है कि, “अभी जारी डेटा से पता चलता है कि 1 अप्रैल से 1 जुलाई 2024 के दौरान सकल व्यक्तिगत आयकर संग्रह 3.61 लाख करोड़ रुपए था, जबकि सकल कॉर्पोरेट कर संग्रह 2.65 लाख करोड़ रुपए. यह उस बात की फ़िर से पुष्टि करता है जिसे हम लगातार कहते आ रहे हैं – लोग कंपनियों की तुलना में अधिक टैक्स का भुगतान कर रहे हैं.”
ज्ञात हो कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने जब पद छोड़ा था तब व्यक्तिगत आयकर कुल कर संग्रह का 21% था. आज दशक के सबसे निचले स्तर पर आ गया है.
कॉर्पोरेट टैक्स दरों में 20 सितंबर 2019 को इस उम्मीद से कटौती की गई कि इससे निजी निवेश में उछाल आएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ है.
इसके बजाय, निजी निवेश डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में सकल घरेलू उत्पाद के 35% के उच्च स्तर से गिरकर 2014-24 के दौरान 29% से भी नीचे आ गया है. कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती से अरबपतियों की जेब में 2 लाख करोड़ रुपए चले गए हैं.”
उन्होंने कहा कि इस बीच कुल कर संग्रह में व्यक्तिगत आयकर की हिस्सेदारी बढ़कर 28 प्रतिशत हो गई है.