इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दुनिया को याद दिलाया है कि मुसलमानों को संस्थागत भेदभाव, बाधाओं और उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने के साथ-साथ मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ रहा है.
‘इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ पर अपने संदेश में उन्होंने इसे एक भयानक प्लेग बताते हुए कहा, “विभाजनकारी बयानबाजी और गलत बयानी, समुदायों को कलंकित कर रही है. ऑनलाइन हेट स्पीच वास्तविक जीवन में हिंसा को बढ़ावा दे रही है.”
उन्होंने दुनियाभर के देशों से इस्लामोफोबिया के खिलाफ एकजुट होने की अपील की. उन्होंने कहा कि दुनिया एक ‘शातिर प्लेग’ से संक्रमित है जो इस्लाम और मुसलमानों और उनके निर्विवाद योगदान को पूरी तरह से नकारने के साथ-साथ अज्ञानता का प्रतिनिधित्व करती है.
गुटेरेस 15 मार्च को ‘इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ मनाने के लिए एकत्रित संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) को संबोधित कर रहे थे. यह दिन 2022 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव पारित होने के बाद हर साल 15 मार्च को मनाया जाता है.
15 मार्च, 2024 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक और प्रस्ताव पारित किया जिसमें दुनिया से बड़े पैमाने पर इस्लामोफोबिया के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया गया. एक सौ पंद्रह देशों ने इसके पक्ष में मतदान किया और किसी ने भी इसके विरोध में मतदान नहीं किया, लेकिन भारत, ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी, इटली, यूक्रेन और ब्रिटेन सहित चौवालीस देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.
15 मार्च को इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का संकल्प न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च में दो मस्जिदों पर आतंकवादी हमलों के बाद अपनाया गया था. 15 मार्च 2019 को हुए उन हमलों में 51 लोग मारे गए थे.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस का भाषण भारतीय परिस्थितियों में भी काफी प्रासंगिक लगता है. गुटेरेस ने किसी का नाम नहीं लिया लेकिन कहा, “कुछ लोग राजनीतिक लाभ के लिए मुस्लिम विरोधी नफरत और बहिष्कार की नीतियों का शर्मनाक फायदा उठा रहे हैं. हमें इसे साधारण और सरल शब्दों में नफरत कहना चाहिए जो यह है.”
उन्होंने कहा, “दुनियाभर में हम मुस्लिम विरोधी नफरत और कट्टरता की बढ़ती लहर देख रहे हैं. यह कई रूपों में हमारे सामने है. संरचनात्मक और सुनियोजित भेदभाव, सामाजिक-आर्थिक बहिष्कार, असमान इमीग्रेशन नीतियां, अनुचित निगरानी और प्रोफाइलिंग, नागरिकता, शिक्षा, रोज़गार और न्याय तक पहुंचने में प्रतिबंध.”
उन्होंने आगे कहा, “ये और अन्य संस्थागत बाधाएं मानव अधिकारों और सम्मान के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता का उल्लंघन करती हैं. वे बहिष्कार, गरीबी और मताधिकार से वंचित होने का एक दुष्चक्र भी कायम रखते हैं जो पीढ़ियों तक चलता रहता है.”
उन्होंने कहा, “नफरत फैलाने वाले भाषण देने वाले अपनी घृणित विचारधाराओं को बढ़ाने और फैलाने के लिए इतिहास के सबसे शक्तिशाली मेगाफोन – सोशल मीडिया – का दुरुपयोग कर रहे हैं.”
गुटेरेस ने कहा, “आज की घटना एक भयावह प्लेग पर प्रकाश डालती है जो इस्लाम और मुसलमानों और उनके निर्विवाद योगदान को पूरी तरह से नकारने और अज्ञानता का प्रतिनिधित्व करती है: इस्लामोफोबिया का प्लेग।”
गुटेरेस ने कहा, “आज का कार्यक्रम एक भयावह और शातिर प्लेग ‘इस्लामोफोबिया का प्लेग’ पर प्रकाश डालता है जो इस्लाम और मुसलमानों और उनके निर्विवाद योगदान के पूर्ण इनकार और अज्ञानता का प्रतिनिधित्व करता है.”
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा, “एक समूह की नफरत दूसरे समूह के प्रति नफरत को बढ़ावा देती है. नफरत कहीं भी हो वह नफरत को सामान्य बना देती है. नफरत हमारे समाज के ताने-बाने को नष्ट कर देती है. और नफरत मानवाधिकारों के लिए समानता, समझ और सम्मान के भाव को कमज़ोर करती है, जिस पर एक शांतिपूर्ण भविष्य – और एक शांतिपूर्ण दुनिया – निर्भर करती है.”
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ पूर्वाग्रह पर प्रकाश डाला जो वर्तमान में विश्व स्तर पर देखा जा रहा है. उन्होंने कहा, “विभाजनकारी बयानबाजी और गलत बयानी रूढ़िवादिता को बढ़ावा दे रही है, समुदायों को कलंकित कर रही है और गलतफहमी और संदेह का माहौल बना रही है. इससे मुसलमानों के खिलाफ उत्पीड़न और यहां तक कि पूरी तरह से हिंसा में वृद्धि हो सकती है – जिसके बढ़ते मामले दुनिया भर के देशों में नागरिक समाज समूहों द्वारा रिपोर्ट किए जा रहे हैं. कुछ लोग राजनीतिक लाभ के लिए मुस्लिम विरोधी नफरत और बहिष्कार नीतियों का शर्मनाक ढंग से शोषण कर रहे हैं. हमें इसे साधारण और सरल शब्दों में घृणा कहना चाहिए.”
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने ज़ोर देकर कहा, “जब नफरत और कट्टरता व्याप्त हो तो हम किनारे पर खड़े नहीं रह सकते. आज का कार्यक्रम हमें याद दिलाता है कि मुस्लिम विरोधी कट्टरता के संकट का मुकाबला करने और उसे जड़ से उखाड़ फेंकने की हम सभी की जिम्मेदारी है. राजनीतिक नेताओं को रास्ता दिखाना चाहिए और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा देना चाहिए न की डर को. सरकारों को भड़काऊ भाषण की निंदा करनी चाहिए और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए – विशेष रूप से अल्पसंख्यकों के लिए. और मैं उन धार्मिक नेताओं का आभारी हूं जो अंतरधार्मिक संवाद को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं.”
गुटेरेस ने सलाह देते हुए कहा, “डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को उपयोगकर्ताओं को उत्पीड़न से बचाने के साथ-साथ घृणित सामग्री के प्रसार को नियंत्रित करना चाहिए और उस पर रोक लगानी चाहिए. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को पूर्वाग्रहों और रूढ़िवादिता को कम करना चाहिए, न कि उन्हें पुन: उत्पन्न करना और बढ़ाना चाहिए.”
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख गुटेरेस ने दुनिया भर की सरकारों से अपील की है कि, “हम सभी को असहिष्णुता और विभाजन की दीवारों को ध्वस्त करने के लिए अपनी भूमिका निभानी चाहिए. शहरों, कस्बों, गांवों में, स्कूलों में, सड़क पर, और ऑनलाइन हर जगह. आइए हम सभी मुस्लिम विरोधी कट्टरता को उजागर करने की प्रतिज्ञा करें, चाहे हम इसे कहीं भी देखें या सुनें. मुसलमान सभी देशों, संस्कृतियों और जीवन के क्षेत्रों से आते हैं. वे मानव समाज की अद्भुत विविधता का प्रतिनिधित्व करते हैं.”
उन्होंने “रमज़ान के इस पवित्र महीने में और हर दिन दुनिया भर के मुसलमानों के साथ एकजुटता से खड़े होने” की अपील की.
गुटेरेस ने कहा, “रमज़ान के पवित्र माह में, मैंने गज़ा और सूडान में शांति का आह्वान किया है. आज, इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में, मैं सभी राजनीतिक, धार्मिक और सामुदायिक नेताओं से- हर किसी को, हर जगह से हमारी इस याचिका में शामिल होने का आह्वान करता हूं. यह शांति का समय है.”
उन्होंने कहा कि दुनिया भर के लगभग 2 अरब मुसलमानों के लिए इस्लाम, आस्था, विश्वास और प्रार्थना का एक स्तंभ है जो दुनिया के हर कोने में लोगों को एकजुट करता है. और हमें याद रखना चाहिए कि यह हमारे साझा इतिहास का भी एक स्तंभ है.
गुटेरेस ने दुनिया भर के लोगों से विभाजन के स्रोत के बजाय विविधता को एक ताकत के रूप में अपनाकर सहानुभूति को बढ़ावा देने और सामाजिक एकजुटता में निवेश करने की अपील की.
प्रतिष्ठित मुस्लिम और इस्लामी हस्तियों के योगदान को सूचीबद्ध करते हुए उन्होंने कहा, “मुसलमान सदियों से संस्कृति, दर्शन, योग्यता और विज्ञान का एक महत्वपूर्ण स्रोत रहे हैं.”
उन्होंने, “विज्ञान, प्रौद्योगिकी और चिकित्सा से लेकर साहित्य, कला, संगीत और वास्तुकला तक – हर क्षेत्र में मुसलमानों के अनगिनत योगदान” का उल्लेख किया.
गुटेरेस ने एविसेना (इब्ने सिना), अल-ख्वारिज्मी और एवरो (इब्ने रुश्द) के नामों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा, “महान चिकित्सक और दार्शनिक एविसेना (इब्ने सिना) से प्रभावित प्लेटो और अरस्तू की व्याख्याओं ने पश्चिमी यूरोपीय दर्शन के विकास को आकार देने में मदद की. मुस्लिम गणितज्ञ और खगोलशास्त्री अल-ख्वारिज्मी जिन्होंने हिंदू-अरबी अंक दिया और जो बीजगणित के जनक थे. एवरो (इब्ने रुश्द) जो ‘तर्कशास्त्र’ के जनक हैं, जिनकी ज़बरदस्त टिप्पणियों ने इस्लामी और पश्चिमी विचारों को जोड़ा.”