इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अंतरिम आदेश पारित कर पतंजलि आयुर्वेद की दवाओं के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगा दिया. साथ ही पतंजलि के संस्थापकों बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को अदालत की अवमानना का नोटिस भी जारी किया है.
नाराज़गी जताते हुए न्यायालय ने कहा कि, “पूरे देश को धोखा दिया गया है! दो साल से आप इंतज़ार कर रहे हैं कि कब औषधि अधिनियम कहता है कि यह निषिद्ध है?”. कोर्ट ने कहा कि, “पूरे देश को चकमा दे दिया गया है.”
कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा है कि, पतंजलि यह भ्रामक दावे करके देश को धोखा दे रही है कि उसकी दवाएं कुछ बीमारियों का इलाज कर देंगी जबकि इसका कोई साक्ष्य नहीं है.
कोर्ट ने कहा है कि पतंजलि अपने किसी भी औषधीय उत्पाद का विज्ञापन नहीं कर सकती है, जिसके बारे में उनका दावा है कि ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम में निर्दिष्ट बीमारियों का इलाज होगा.
पतंजलि के संस्थापकों बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को भ्रामक दावों का प्रचार जारी रखने और अदालत के पिछले आदेशों का उल्लंघन करने के लिए अदालत की अवमानना का नोटिस भी जारी किया है.
बार एंड बेंच के अनुसार, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि, “पतंजलि यह भ्रामक दावे करके देश को धोखा दे रही है कि उसकी दवाएं कुछ बीमारियों का इलाज कर देंगी जबकि इसका कोई अनुभवजन्य साक्ष्य नहीं है.”
ज्ञात हो कि कोर्ट पीठ भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें कोविड-19 टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा अभियान के खिलाफ योग गुरु और उनकी कंपनी द्वारा बदनाम करने के अभियान का आरोप लगाया गया है.
पतंजलि आयुर्वेद उत्पादों के प्रत्येक विज्ञापन में किए गए झूठे दावे पर सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर में 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की धमकी दी थी.
अदालत ने अदालत के आदेशों की अवहेलना जारी रखने के लिए कंपनी को फटकार लगाईं और 2022 में रिट दायर होने के बावजूद भ्रामक विज्ञापनों से नहीं निपटने के लिए केंद्र सरकार की भी आलोचना की.
ज्ञात हो कि अगस्त 2022 में, सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव से कोरोनोवायरस महामारी के दौरान एलोपैथी और उसके अभ्यास करने वाले डॉक्टरों को बदनाम करने के उनके प्रयास पर सवाल उठाया था.
आईएमए ने पतंजलि राजदूत के खिलाफ कई आपराधिक कार्यवाही शुरू की हैं.
आईएमए ने जोर देकर कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां रामदेव द्वारा इस तरह के बयान दिए गए हैं, जिनमें से सभी कार्रवाई के अलग-अलग कारण हैं.
शीर्ष अदालत ने अपने पिछले आदेश में पतंजलि आयुर्वेद को भविष्य में झूठे विज्ञापन प्रकाशित नहीं करने और मीडिया में इस तरह के दावे करने से बचने का निर्देश दिया था, क्योंकि अंततः भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों के बारे में एक समाधान की आवश्यकता है.