–मसीहुज़्ज़मा अंसारी
नई दिल्ली | उत्तराखंड में हलद्वानी के बनभूलपुरा में गुरुवार को एक मदरसे को प्रशासन द्वारा अवैध बताकर गिराये जाने के विरोध में शुरू हुए प्रदर्शन पर पुलिस द्वारा बलप्रयोग ने हिंसा का रूप ले लिया. पुलिस फायरिंग में अब तक 6 लोगों की मौत की ख़बर सामने आरही है. हालांकि प्रशासन ने पुलिस फायरिंग से मौत होने के दावे को ख़ारिज किया है.
प्रदर्शन कर रही महिलाओं पर लाठीचार्ज और बलप्रयोग के बाद भड़की हिंसा और झड़प के बीच पुलिस कार्रवाई में मरने वालों में 3 बच्चे बताए जा रहे हैं.
रिपोर्ट में मरने वालों की संख्या 6 बताई जा रही है जबकि 300 से अधिक लोग ज़ख़्मी बताए गए हैं जिनमें पुलिस प्रशासन के लोग भी शामिल हैं.
वनभूलपुरा इलाके को छावनी में तब्दील कर दिया गया है. हिंसा की ख़बर के बीच इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं हैं. आज शुक्रवार सुबह से कहीं भी हिंसा या टकराव की ख़बर सामने नहीं आई है. हालांकि कर्फ्यू के बीच तनाव बना हुआ है.
इंडिया टुमारो से बात फोन पर बात करते हुए स्थानीय निवासी तस्लीम ने बताया कि इलाके में भारी पुलिस बल तैनात है और कर्फ्यू लगा दिया गया है. आज शुक्रवार को लोगों ने अपने घरों में नमाज़ अदा की है.
क्या है पूरा मामला ?
हल्द्वानी के बनभूलपुरा में मलिक का बगीचा नाम की ज़मीन पर निर्मित मदर्सा और मस्जिद को अवैध होने का दावा किया गया, जिसका मामला कोर्ट में चल रहा और केस की अगली सुनवाई 14 को होनी थी. हालांकि प्रशासन पिछले 15 दिनों से उस मदरसे को गिराने का प्रयास कर रहा था.
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब मामला कोर्ट में चल रहा तो प्रशासन मदरसे को कैसे गिरा सकता है. पिछले कुछ दिनों में प्रशासन कई बार इसे गिराने की कोशिश किया लेकिन लोगों ने इसका शांतिपूर्ण विरोध किया.
गुरुवार शाम पुलिस की देखरेक में कथित रूप से अवैध मदरसे को तोड़ा जाने लगा, यह घनी आबादी वाला इलाक़ा है, जहाँ मुसलमानों की संख्या अधिक है. मदरसे को गिराने में नगरपालिका के कर्मचारी शामिल थे तभी स्थानीय लोगों ने विरोध किया.
गुरुवार शाम जैसे ही मदरसे को तोड़ने का काम शुरू किया गया, बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर आ गए और प्रशासन की ‘अवैध’ कार्रवाई को रोकने की मांग करने लगे. इसी विरोध के बीच धक्का-मुक्की शुरू हो गई और फिर पुलिस द्वारा कार्रवाई की गई.
प्रदर्शन करने वालों की मांग थी कि जब मामला कोर्ट में चल रहा और 14 तारीख़ को सुनवाई है तो प्रशासन कोर्ट के निर्णय से पहले क्यों मदरसे को गिरा रहा है.
ज्ञात हो कि जिस ज़मीन पर मदरसा था उसे मलिक का बगीचा कहा जाता है. नगर निगम की नज़ूल भूमि के रूप में यह जगह दर्ज है.
नैनीताल की डीएम वंदना सिंह ने कहा है, “बीते 15-20 दिनों से हल्द्वानी के अलग-अलग क्षेत्रों में नगर निगम की परिसंपत्तियों से अतिक्रमण हटाने के लिए मुहिम चलाई जा रही थी और उससे पहले हाई कोर्ट के आदेश के बाद अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई की जा रही थी.”
मीडिया को प्रशासन ने बताया कि नाराज़ भीड़ ने बनभूलपुरा थाने पर हमला बोल दिया और पुलिस की कई गाड़ियों में आग लगा दी. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस की गोले छोड़े.
हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस द्वारा पहले लाठीचार्च करने के बाद मामला बढ़ा. आरोप है कि पुलिस ने महिलाओं पर लाठियां चलाई, उनके साथ धक्कामुक्की की और उन्हें जबरन प्रदर्शन करने से रोकने लगे.
इंडिया टुमारो से बात करते हुए हल्द्वानी के स्थानीय निवासी ने बताया कि जिस ज़मीन पर मदर्से को अवैध बताया जा रहा है उसका मुक़दमा न्यायालय में चल रहा और 14 फरवरी को मामले की अगली सुनवाई थी.
प्रशासन ने संपत्ति को लेकर कहा, “ये एक ख़ाली संपत्ति है, जिस पर दो ढांचे बने हुए हैं. ये न तो कहीं पर किसी धार्मिक संरचना के रूप में रजिस्टर है और न ही मान्यता प्राप्त है. इस ढांचों को कोई मदरसा कहते हैं, वहीं कुछ लोग उसे पूर्व नमाज़ स्थल कहते हैं. दस्तावेज़ों में वैध रूप से इनका कोई अस्तित्व नहीं है.”
हालांकि स्थानीय लोगों ने कहा कि, “जब मामला कोर्ट में लंबित है और अगले सप्ताह 14 फरवरी को केस की सुनवाई है तो प्रशासन को अवैध तरीके से मदरसा गिराने की जलदबाज़ी क्यों है? प्रदर्शन कर रहे लोग शांतिपूर्ण तरीके से यह मांग कर रहे थे जिनपर लाठीचार्ज किया गया.”
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि पुलिस द्वारा बल प्रयोग करने के बाद हिंसा भड़की हालांकि प्रशासन इस बात से इनकार कर रहा है.
हिंसा को लेकर डीएम ने मीडिया से कहा, “पुलिस और प्रशासन ने न तो किसी को भड़काया, न किसी को मारा और न ही किसी को किसी भी प्रकार से कोई नुक़सान पहुँचाने की कोशिश की.”
अपने बयान में डीएम ने कहा, “आगज़नी के बाद भीड़ में शामिल अराजक तत्वों ने बनभूलपुरा पुलिस स्टेशन का घेराव किया. आगज़नी के कारण पुलिस स्टेशन के भीतर धुंआ भर गया.”
उन्होंने कहा, “भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पहले भीड़ से वहाँ से हटने की अपील की गई. आग बुझाने के लिए पानी की बौछार का इस्तेमाल किया गया, इसी बीच भीड़ के भीतर से गोलियां चलाने की ख़बर आई. जवाब में पुलिस ने हवा में लोगी चलाई.”
उन्होंने पुलिस द्वारा फायरिंग से किसी की मौत होने के दावे से इंकार करते हुए कहा कि, “इसकी जांच की जाएगी कि लोगों की मौत जिस गोली से हुई है वो भीड़ ने चलाई थी या फिर पुलिस ने.”
हालांकि, स्थानीय लोगों ने पुलिस द्वारा फायरिंग किए जाने का आरोप लगाया है.
प्रशासन की नोटिस पर उठ रहे सवाल
प्रशासन ने मदरसे को गिराने से पहले नोटिस चस्पा किया था और उसके बाद यह कार्रवाई की गई. हालांकि प्रशासन द्वारा जारी की गई नोटिस पर भी सवाल उठ रहे हैं.
नैनीताल की डीएम वंदना सिंह ने कहा है, “बीते 15-20 दिनों से हल्द्वानी के अलग-अलग क्षेत्रों में नगर निगम की परिसंपत्तियों से अतिक्रमण हटाने के लिए मुहिम चलाई जा रही थी और उससे पहले हाई कोर्ट के आदेश के बाद अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई की जा रही थी.”
इंडिया टुमारो से बात करते हुए एडवोकेट यूसुफ़ ने कहा कि, प्रशासन द्वारा दी गई नोटिस में कई क़ानूनी ख़ामियां हैं. नोटिस में यह नहीं बताया गया है कि किस धारा के तहत नोटिस दी जा रही है और जवाब तलब करने पर प्रशासन ने कोई उत्तर भी नहीं दिया और कार्रवाई शुरू कर दी.
प्रशासन ने संपत्ति को लेकर कहा, “ये एक ख़ाली संपत्ति है, जिस पर दो ढांचे बने हुए हैं. ये न तो कहीं पर किसी धार्मिक संरचना के रूप में रजिस्टर है और न ही मान्यता प्राप्त है. इस ढांचों को कोई मदरसा कहते हैं, वहीं कुछ लोग उसे पूर्व नमाज़ स्थल कहते हैं. दस्तावेज़ों में वैध रूप से इनका कोई अस्तित्व नहीं है.”
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए एडवोकेट यूसुफ़ ने इंडिया टुमारो से कहा कि पूरा हल्द्वानी नज़ूल की ज़मीन पर बसा है. क्या प्रशासन शहर को ही ध्वस्त कर देगा?
उन्होंने कहा कि नोटिस क़ानूनी रूप से सही नहीं है और उसके बावजूद प्रशासन यह कार्रवाई कर रहा है जिसे कहीं से भी क़ानूनी रूप से सही नहीं ठहराया जा सकता है.
मुख्यमंत्री ने दिया दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया है.
मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “सीएम ने हल्द्वानी के बनभूलपुरा में अवैध निर्माण को हटाए जाने के दौरान पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों और कार्मियों पर हुए हमले तथा क्षेत्र में अशांति फैलाने की घटना को गंभीरता से लिया है.”
बयान में कहा गया है, “सीएम ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि प्रदेश में किसी को भी क़ानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने की छूट नहीं दी जानी चाहिए. प्रशासनिक अधिकारी निरंतर क्षेत्र में क़ानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कोशिश कर रहे हैं.”
सीएम कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है, “जिलाधिकारी ने फ़ोन पर मुख्यमंत्री को बताया है कि अशांति वाले क्षेत्र बनभूलपुरा में कर्फ्यू लगाया गया है और स्थिति को सामान्य बनाए रखने के लिए दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं.”
स्थानीय लोगों ने क्या कहा
इंडिया टुमारो से बात करते हुए स्थानीय निवासी एडवोकेट यूसुफ़ ने बताया कि पिछले कई दिनों से स्थानीय लोग शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे. कई दिनों से पुलिस और प्रशासन इसे तोड़ने का प्रयास कर चुका था.
उन्होंने बताया कि गुरुवार को जब प्रशासन भारी पुलिस बल और मशीनों के साथ मदरसे को गिराने पहुंचा तो लोगों ने विरोध किया जिसके बाद लाठीचार्ज की गई.
उन्होंने बताया कि मदरसा जिस स्थान पर है वह नज़ूल की ज़मीन और इसका मामला कोर्ट में चल रहा है.
स्थानीय निवासी सिराज ने बताया कि महिलाओं पर लाठीचार्ज के दौरान एक महिला पुलिसकर्मी गड्ढे में पैर फंसने से गिर गई जिसे मुस्लिम युवकों ने अस्पताल पहुंचाया.
एक और स्थानीय निवासी ने कहा कि पुलिस प्रशासन को कोर्ट के फैसले का इंतज़ार करना चाहिए फिर कोई कार्रवाई करनी चाहिए. जब मामला कोर्ट में है तो उसे कैसे गिराया जा सकता है?