अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में मच्छर जनित बीमारियों पर नियंत्रण करने में फेल रहने पर यूपी सरकार पर नाराज़गी जताई है। साथ ही हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से कहा है कि वह मच्छर जनित बीमारियों से लोगों को बचाने का उपाय करे।
हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से यह नाराजगी स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए जताई है।
यूपी में लगभग 3 महीने से मच्छर जनित बीमारियों ने अपने पैर पसार रखे है, जिसके करण राज्य में डेंगू, बुखार, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का प्रकोप जारी है। इन बीमारियों के चलते अब तक सैकड़ों से अधिक लोगों की मौत हो गई है।
रिपोर्ट के अनुसार इन बीमारियों के चपेट में लगभग 2 दर्जन जिले हैं। राज्य में फैली इन बीमारियों पर यूपी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है और न ही इन बीमारियों को नियंत्रित करने में सरकार ने कोई ठोस कार्यवाही की है। इन बीमारियों को खत्म करने और इनको नियंत्रित करने में योगी सरकार पूरी तरह से फेल हो गई है।
मच्छर जनित इन बीमारियों को नियंत्रित करने में यूपी सरकार के असफल रहने पर और इन बीमारियों के चलते राज्य में लगातार हो रही मौतों के मामलों को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले के स्वतः संज्ञान के रूप में स्वयं एक जनहित याचिका स्वीकार की और इसकी सुनवाई की। सोमवार 6 नवंबर 2023 को हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई हुई।
हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस अजय भनोट की पीठ में इसकी सुनवाई हुई। इस मामले की सुनवाई होते ही अपर मुख्य स्थाई महाधिवक्ता ए के गोयल ने पीठ को बताया कि, मच्छर जनित बीमारियों के प्रकोप के संबंध में अपर निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की ओर से जानकारी आई है। वह कोर्ट में यह रिपोर्ट प्रस्तुत करना चाहते हैं। लेकिन पीठ ने इसको नहीं स्वीकार किया।
पीठ ने कहा कि, “अपर निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की रिपोर्ट को हलफनामे पर दाखिल किया जाए।” इसीके साथ पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 नवंबर 2023 की तारीख निर्धारित कर दी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुक्रवार 17 नवंबर 2023 को इस मामले की फिर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस अजय भनोट की पीठ ने इसकी सुनवाई की।
पीठ ने यूपी सरकार (सरकारी अधिकारियों) पर कड़ी नाराज़गी जताई। पीठ ने नाराज़गी जताते हुए कहा कि, “प्रयागराज सहित यूपी के अन्य जिलों में डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया सहित मच्छरों से फैली बीमारियों पर नियंत्रण के लिए ठोस कर्रवाई नहीं की जा रही है। सरकार ठोस कर्रवाई करे और मच्छर जनित बीमारियों से लोगों को बचाए।”
पीठ की सुनवाई के समय न्यायमित्र की ओर से पीठ को इससे संबंधित जानकारी दी गई। इस पर हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के अधिकारियों पर कड़ी नाराजगी जताई।
इस मामले की सुनवाई के दौरान पीठ के समक्ष न्यायमित्र ने कहा कि, “मच्छरों पर काबू पाने के लिए कोई प्रभावी कर्रवाई नहीं की जा रही है। पर्याप्त मात्रा में फागिंग नहीं कराई जा रही है। जहां हो भी रही है, वहाँ डीजल का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका मच्छरों पर असर नहीं पड़ रहा है।”
इस पर चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस अजय भनोट की पीठ ने आदेश दिया कि, सरकार मच्छर जनित बीमारियों से लोगों को बचाए। यही नहीं, न्यायमित्र ने पीठ को यह भी बताया कि राज्य के शहरों में नालियां खुली हैं, जिसके कारण भी बीमारियां फैल रही हैं।
यूपी में मच्छर जनित बीमारियों के फैलने और उसके दुष्प्रभावों के कारण लोगों के बीमार होने व बहुत से लोगों के मर जाने के पीछे यूपी सरकार की गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली है।
सरकार ने समय रहते मच्छरों के उन्मूलन के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं बनाई और न ही मच्छरों को खत्म करने के लिए फागिंग कराया। अगर फागिंग कराया गया होता, तो इतने बड़े पैमाने पर मच्छर जनित बीमारियों का प्रकोप नहीं होता और न ही इन बीमारियों के चलते लोगों की मौतें होती।
कुछ स्थानों पर फागिंग कराई गई, तो वह भी डीजल से, जबकि फागिंग मिट्टी के तेल से की जाती है। हाईकोर्ट के द्वारा इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेकर कार्रवाई करने का आदेश देने के बाद भी अभी सरकार नहीं चेती है और यूपी में बड़े स्तर पर मच्छर जनित बीमारियों ने अपने पैर फैला रखे हैं।