अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | मुज़फ्फ़रनगर में मुस्लिम छात्र की पिटाई करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश देने के बाद भी यूपी सरकार द्वारा पीड़ित छात्र की काउंसिलिंग न कराये जाने पर योगी सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और अगली सुनवाई में यूपी के शिक्षा सचिव को अदालत में पेश होने के लिए कहा है।
इस मामले को लेकर महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी और सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में उचित कार्यवाही करने की मांग की थी।
मुज़फ्फ़रनगर में बीती 24 अगस्त 2023 को नेहा पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल तृप्ति त्यागी ने मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखने वाले एक छात्र को अपने स्कूल के छात्रों से इसलिए पिटवाया था कि वह मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखता था। बाद में इस मामले का एक वीडियो भी वायरल हुआ था।
इस मामले के सामने आने के बाद इसको लेकर तमाम लोगों ने इसकी जाँच करने और दोषी प्रिंसिपल और संबंधित स्कूल के खिलाफ कार्यवाही की मांग की थी। लेकिन इस मामले में कोई निर्णायक कार्यवाही नहीं हुई थी।
इस मामले की जानकारी जब महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी को हुई, तो उन्होंने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के माध्यम से सुप्रीम अदालत से यह मांग की थी कि इस संबंध में उचित कार्यवाही की जाए।
तुषार गांधी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 25 सितंबर 2023 को सुनवाई की। इसकी सुनवाई जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ में हुई। पीठ ने समुदाय विशेष के बच्चे को स्कूल में शिक्षिका के कहने पर सहपाठियों से पिटवाने के मामले में यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई।
इसके साथ ही पीठ ने एफआईआर दर्ज करने में देरी और उसमें संप्रदायिक आरोपों को हटाने पर सवाल उठाते हुए इसकी जाँच वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी से कराने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस पर कहा कि, “यह अंतरात्मा को झकझोर देने वाला मामला है। ऐसा ही रहा तो स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे मिलेगी?”
पीठ ने आगे कहा कि, “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में संवेदनशील शिक्षा भी शामिल है। पहली नजर में प्रदेश सरकार शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) और उसके नियमों के अनुपालन में विफल रही है। यह अधिनियम छात्रों के शारीरिक, मानसिक उत्पीड़न व धर्म – जाति के आधार पर भेदभाव को रोकता है।”
इस पर यूपी सरकार की ओर से एडशिनल सालिसीटर जनरल के एम नटराज पीठ के सामने पेश हुए। उन्होंने कहा कि, “सांप्रदायिक पहलू को बढ़ा चढ़ाकर पेश किया गया है।” इस पर पीठ ने नाराजगी जताई। पीठ ने कहा कि, “यह बेहद गंभीर मामला है। शिक्षक ने बच्चे को उसके धर्म के कारण पीटने का आदेश दिया?”
इसके साथ ही पीठ ने उनसे पूंछा कि, “आरोप पत्र कब दाखिल किया जायेगा? गवाहों और बच्चे को क्या सुरक्षा दी जाएगी? इन सभी की काउंसिलिंग पेशेवर तरीके से होनी चाहिए।”
किंतु यूपी सरकार ने इस मामले पर सकारात्मक रुख नहीं अपनाया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद यूपी सरकार ने संबंधित मुस्लिम छात्र की काउंसिलिंग नहीं करवाई। इस मामले की 10 नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस पंकज मित्थल की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की।
पीठ ने इसकी सुनवाई करते हुए यूपी सरकार को कड़ी फटकार लगाई और अगली तारीख पर यूपी सरकार के शिक्षा सचिव को हाजिर होने का आदेश दिया। पीठ ने अपने पिछले आदेश के अनुपालन में देरी पर शख्त नाराज़गी जताई।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस पंकज मित्थल की पीठ ने कहा कि, “हमने 25 सितंबर को आदेश पारित किया। यदि राज्य में छात्रों के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है तो क्या 3 माह बाद विशेषज्ञ काउंसिलिंग की उपयोगिता है?”
पीठ ने कहा कि, “सरकार तब तक कुछ भी नहीं करेगी, जब तक अदालत आदेश पास न करे।” इसके साथ ही पीठ ने सख्त लहजे में यूपी के शिक्षा सचिव को तलब करते हुए उन्हें अगली सुनवाई में अदालत में पेश होने को कहा।
पीठ ने यह भी कहा कि, “वह चाहती है कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई बच्चे की काउंसिलिंग के तरीके को लेकर सुझाव दे।” सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी की योगी सरकार बैकफुट पर आ गई है।
यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अभी तक इस मामले की वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी से न तो जाँच करवाई है और न ही संबंधित बच्चे की काउंसिलिंग करवाया है। अब सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के शिक्षा सचिव को अदालत में हाजिर होने के आदेश दे दिया है।
यूपी सरकार को अब यह नहीं समझ में आ रहा है कि वह इस मामले का कैसे समाधान करे, क्योंकि राज्य के शिक्षा सचिव
के सुप्रीम कोर्ट में हाजिर होने से योगी सरकार की दिक्क़तें बढ़ सकती हैं।