अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने दमघोंटू प्रदूषण पर सख्त नाराजगी जताते हुए दोटूक कहा है कि हर हाल में पराली जलाना बंद हो, लोगों को यूं मरते नहीं देख सकते। सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी दिल्ली और एनसीआर में लगातार 8 वें दिन दमघोंटू प्रदूषण के बढ़ने और बदतर होते हालत को देखते हुए की है।
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में पराली जलाने से दमघोंटू प्रदूषण की स्थिति बहुत ज्यादा ही खराब हो गई है, जिससे दिल्ली और एनसीआर में दमघोंटू प्रदूषण की स्थिति पैदा हो गई है। यह स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है। इसी को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर 2023 को इस मामले पर विशेष सुनवाई की।
इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने की। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले पर सख़्त नाराज़गी जताते हुए कहा कि, “हर हाल में पराली जलाना तत्काल बंद हो, लोगों को यूं मरते नहीं देख सकते।”
इसके साथ ही पीठ ने पंजाब से कहा कि, “राजनीति बंद कर जरूरी कदम उठाएं”
इस पर पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने कहा कि, “पिछले साल से पराली जलाने के मामलों में 40 फीसदी की कमी आई है।”
सुप्रीम कोर्ट की पीठ इस पर सख्त नाराज हुई। पीठ ने कहा कि, “आप राजनीति करना बंद करें। हर समय राजनीतिक लड़ाई नहीं हो सकती। हम नहीं जानते कि आप पराली जलाना कैसे रोक सकते हैं, यह आपका काम है। चाहें कार्रवाई करें, जुर्माना लगाएं या प्रोत्साहन देकर बंद कराएं। स्थानीय एसएचओ को जिम्मेदारी दें। तत्काल काम शुरु कर देना चाहिए।”
इस पर एडवोकेट जनरल गुर मिंदर सिंह ने कहा कि, “जुर्माना लगाना मुश्किल है।”
उनके इस तरह की बात कहने पर पीठ का रुख सख़्त हुआ और पीठ ने कहा कि, “जुर्माना कठिन है, पर दिल्ली के लोगों के स्वास्थ्य को बिगाड़ने में कोई दिक्क़त नहीं।”
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली की सरकारों को एक – दूसरे पर दोष मढ़ने से बचने और पराली जलाने पर तत्काल अंकुश लगाने का निर्देश दिया।
इसके साथ ही पीठ ने इस मामले पर सख़्त रुख अपनाते हुए कहा कि, “यदि हमने अपना बुलडोजर शुरु किया, तो फिर रुकेंगे नहीं।”
पीठ ने आगे कहा कि, “दिल्लीवासी साल दर साल स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, क्योंकि हम इसका समाधान नहीं ढूढ़ पा रहे हैं। इस पर तत्काल ध्यान देने व अदालती निगरानी की ज़रूरत है, भले ही मामले में सुधार हो या नहीं।”
जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि, “उन्होंने खुद पंजाब में सड़क के दोनों ओर पराली जलते देखी है। यह पूरी तरह से लोगों के स्वास्थ की हत्या है।”
उन्होंने कहा कि, “हम पंजाब सरकार और दिल्ली से सटे अन्य सभी राज्यों हरियाणा, राजस्थान और यूपी को यह सुनिश्चिचित करने का निर्देश देते हैं कि पराली जलाना तुरंत बंद किया जाए। पीठ पर्यावरणविद एम सी मेहता की वायु प्रदूषण को लेकर 1985 में दायर याचिका पर विचार कर रही है।”
दमघोंटू प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनवाई करने और दोटूक बात कहने और पराली जलाने पर तत्काल अंकुश लगाए जाने का निर्देश देने से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान यूपी और दिल्ली सरकार में सक्रिय हो गई हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की यूपी सरकार पर को कड़ा संदेश गया है कि राज्य के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने वायु प्रदूषण रोकने के लिए राज्य के सभी मंडलायुक्तों और जिलों के डीएम को तत्काल निर्देश दिया है और इस तरह के मामलों पर तुरंत कार्यवाही करने के लिए कहा है।
दुर्गा शंकर मिश्र ने पराली जलाने वाले क्षेत्रों के जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। अब वायु प्रदूषण पर कितना नियंत्रण होगा, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन वायु प्रदूषण रोंकने के लिए पराली जलाने पर तत्काल रोंक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर संबंधित राज्य सरकारें सक्रीय हो गई हैं।