अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | उत्तर प्रदेश में इलेक्ट्रानिक बिजली मीटरों की चाल से उपभोक्ता बेहाल हैं, क्योंकि उनको इससे अधिक बिजली मूल्य चुकाना पड़ रहा है।
बिजली विभाग यानी पावर कारपोरेशन भी परेशान है और इलेक्ट्रानिक मीटरों की चाल उसके ऊपर भारी पड़ रही है। इसका खुलासा बिजली विभाग (पावर कार्पोरेशन) की एक रिपोर्ट से हुआ है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में बिजली विभाग पश्चिमांचल के नाम से काम करता है। इसका कार्यक्षेत्र पश्चिमी यूपी है। यहाँ पर ज्यादातर संख्या में इलेक्ट्रानिक बिजली मीटर लगे हुए हैं। यहाँ पर कुछ समय पूर्व इलेक्ट्रानिक बिजली मीटरों की जाँच की गई, तो बिजली विभाग को बिजली मीटरों की चाल के चलने के ढंग अजीबोगरीब देखने को मिले।
7 हजार इलेक्ट्रानिक बिजली मीटर तेज रफ्तार से चलते हुए मिले। इसके साथ ही 5 हजार मीटर बैक रफ्तार से चलते हुए मिले। बैक रफ्तार का मतलब यह हुआ कि आज जिन इलेक्ट्रानिक बिजली मीटर में बिजली रीडिंग 500 यूनिट दिखाई दे रही तो, तो अगले दिन वही रीडिंग घटकर 300 यूनिट दिखाई दे रही थी।
इलेक्ट्रानिक बिजली मीटरों की इस चाल से जहां एक ओर आम उपभोक्ताओं को बिजली का अधिक पैसा देना पड़ रहा है तो वहीं दूसरी ओर बिजली विभाग को भी राजस्व के रूप में कम पैसा मिल रहा है।
यही नहीं, 8238 मीटरों की जाँच में नो डिस्प्ले देखने को मिला। इसका मतलब यह हुआ कि बिजली मीटरों में कोई रीडिंग दिखाई ही नहीं पड़ी। इससे बिजली विभाग की जाँच टीम बहुत ही परेशान हुई और उसने अपनी जाँच रिपोर्ट विभाग को पेश कर दी।
रिपोर्ट मिलने के बाद पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में बिजली मीटर निर्माता कम्पनियों की परीक्षण खंड और स्टोर खंड के अधिकारियों के साथ एक बैठक हुई, जिसमें यह बात सामने आई कि क्षेत्र में कुल 7167 मीटर तेज रफ्तार से चलते पाए गए और आम उपभोक्ताओं से बिजली बिल के रूप में अधिक पैसे वसूले गए और आज भी वसूले जा रहे हैं।
इसमें कहा गया कि इस तरह से बिजली उपभोक्ता बिजली मीटर की अजीबोगरीब चाल से बेहाल हैं और न चाहते हुए भी बिजली के लिए अधिक पैसे का भुगतान कर रहे हैं।
मजेदार बात यह है कि अभी तक यह सभी इलेक्ट्रानिक बिजली मीटर गारंटी की अवधि में हैं, लेकिन इस मामले में अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। आम बिजली उपभोक्ताओं से वसूले जा रहे अधिक पैसे का न तो कोई समायोजन किया गया है और न ही आगे ऐसा होता दिखाई दे रहा है।
लेकिन इसके बावजूद यूपी में सभी विद्युत वितरण निगम में इलेक्ट्रानिक बिजली मीटर लगाए जा रहे हैं और लगाए जाने की होड़ मची है। इलेक्ट्रानिक बिजली मीटर लगाने वाली कम्पनियों को फायदा पहुंचाने के लिए यूपी के बिजली विभाग के अफसर जी जान से जुटे हुए हैं।
ऐसे अफसरों को जनता के नुकसान की कोई चिंता नहीं और और वह इन कम्पनियों से मिलकर जनता की जेब कटवाने में लगे हैं। इलेक्ट्रानिक बिजली मीटर की गुणवत्ता को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैं, लेकिन इस पर राज्य की योगी आदित्यनाथ की सरकार भी चुप्पी साधे हुए है।
यूपी उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बिजली मीटर कम्पनियों पर आरोप लगाया है और उनको कटघरे में खड़ा किया है।
उन्होंने कहा है कि, “घटिया मीटर के जरिये उपभोक्ताओं से अधिक पैसा वसूला जा रहा है। इलेक्ट्रानिक मीटर घटिया हैं। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की रिपोर्ट इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। इसलिए जिन कम्पनियों के इलेक्ट्रानिक बिजली मीटर में गड़बड़ी मिली हैं,उन्हें तत्काल प्रतिबंधित किया जाए।”