अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने यूपी में अपने 98 पार्टी जिलाध्यक्ष में से 69 को हटा दिया है और उनके स्थान पर नए अध्यक्ष नियुक्त कर दिया है। भाजपा ने मुसलमान, सिख, राजभर और निषाद समुदाय के किसी व्यक्ति को अध्यक्ष नहीं बनाया है, जबकि इनके वोट लेने के लिए भाजपा इनको हमेशा लुभाने का काम करती रहती है।
भाजपा लोकसभा चुनाव में यूपी में अपनी जीत को लेकर बहुत ही ज्यादा चिंतित है। दक्षिण भारत में भाजपा उखड़ गई है और उसकी वहाँ पर किसी भी राज्य में सरकार नहीं है। भाजपा को सबसे ज्यादा उम्मीद यूपी से है, क्योंकि यहाँ पर 80 लोकसभा सीटें हैं। इसीलिए भाजपा यूपी पर सबसे ज्यादा ध्यान दे रही है।
जब तक विपक्षी दलों का राजनीतिक मोर्चा इंडिया नहीं बना था, तब तक भाजपा बहुत ही खुश नजर आ रही थी। लेकिन इंडिया के बन जाने से और यूपी में घोसी में विधानसभा उपचुनाव में करारी हार मिलने के बाद अचानक भाजपा ने यूपी में पार्टी में बड़ा फेरबदल कर दिया और अपने 69 जिला अध्यक्ष हटाकर नए अध्यक्ष बना दिए हैं।
यूपी में भाजपा ने पार्टी को संगठन के हिसाब से 98 जिलों में बांट रखा है और यहाँ पर अपने जिला अध्यक्ष बना रखे हैं। इसके साथ ही भाजपा ने पार्टी संगठन के हिसाब से यूपी को अवध गोरखपुर, कानपुर, पश्चिम क्षेत्र, ब्रज क्षेत्र, और काशी क्षेत्र में बांट रखा है।
यूपी में भूपेंद्र सिंह चौधरी के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद से अभी तक पार्टी संगठन में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ था। भाजपा में आमतौर पर पार्टी के स्तर पर इतना बड़ा बदलाब कभी नहीं होता है, क्योंकि पार्टी के जिला अध्यक्ष संगठन में चुनाव के जरिए चुने जाते हैं। लेकिन इस बार इस परम्परा को ताक पर रख दिया गया है और पार्टी नेतृत्व ने जिलों में पुराने अध्यक्षों को हटाकर नए अध्यक्ष नियुक्त कर दिए हैं।
भाजपा ने अपने यह जिलाध्यक्ष लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर बनाए हैं, क्योंकि भाजपा के पुराने अध्यक्षों की क्षमता और नेतृत्व पर भरोसा नहीं बचा था और पार्टी नेतृत्व को लग रहा था कि पुराने जिला अध्यक्षों के ज़रिए उसकी चुनावी नैय्या पार नहीं लगेगी। कुछ जिला अध्यक्षों को बदलने की चर्चा जरूर चल रही थी, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर बदलाव होगा इसकी किसी को उम्मीद नहीं थी।
लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर बड़े पैमाने पर पार्टी ने अपने जिला अध्यक्षों को हटा दिया। पार्टी ने जो जिला अध्यक्ष बनाए हैं, उनमें लोकसभा चुनाव को ही ध्यान में रखा गया है। घोसी विधानसभा उपचुनाव के परिणाम से भाजपा इस कदर डरी हुई है कि उसने पिछड़ों पर बड़ा दांव लगाया है।
भाजपा के इस बदलाव की अगर हम चर्चा करें, तो भाजपा ने सबसे बड़ा दांव सवर्णों पर लगाया है। 98 में से 57 लोग सवर्णों में से जिला अध्यक्ष बनाए गए हैं। 21 ब्राम्हण, 20 ठाकुर, 8 वैश्य, 5 कायस्थ और 3 भूमिहार हैं।
इसके बाद पिछड़ों में से 36 को जिला अध्यक्ष बनाया गया है। इनमें जाट, गुर्जर, कुर्मी, सैनी, मौर्य, शाक्य, कुशवाहा लोधी और पाल जाति के लोग शामिल हैं। भाजपा ने सबसे ज्यादा जोर अवध क्षेत्र में लगाया है और अवध के 15 में से 10 जिलों में नए अध्यक्ष बनाए हैं। इनमें लखनऊ जिला, लखनऊ महानगर, रायबरेली, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, हरदोई, बाराबंकी, अयोध्या जिला, अयोध्या महानगर, सुल्तानपुर, अमेठी, अम्बेडकरनगर, गोंडा, बलरामपुर, बहराइच और श्रावस्ती जिले हैं।
इसके अलावा गोरखपुर क्षेत्र में 12 में से 9 जिलों के अध्यक्ष बदल दिए गए हैं। गोरखपुर जिले में युधिष्ठीर सिंह और गोरखपुर महानगर में राजेश गुप्ता और संत कबीरनगर में जगदम्बा लाल
श्रीवास्तव की कुर्सी बची है और बाकी सभी हटा दिए गए हैं।
काशी क्षेत्र चूँकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संबंधित है, इसलिए यहाँ पर भी बदलाव किया गया है, लेकिन बड़ी सावधानी बरतकर। इस क्षेत्र में 16 में से 10 जिला अध्यक्ष बदल दिए गए हैं। वाराणसी महानगर में विद्यासागर राय, वाराणसी जिला में हंसराज विश्वकर्मा, जौनपुर में पुष्पराज सिंह, मछलीशहर में रामविलास पाल और मिर्जापुर में ब्रजभूषण सिंह की कुर्सी बच गई है और बाकी को हटा दिया गया है।
कानपुर क्षेत्र में 17 में से 13 जिला अध्यक्ष हटाकर नए बनाए गए हैं। इटावा में संजीव राजपूत, फर्रुखाबाद में रुपेश गुप्ता, बांदा में संजय सिंह और ललितपुर में राजकुमार जैन को फिर से मौका मिला है।
पश्चिम क्षेत्र में 19 में से 16 जिलों में अध्यक्ष बदल दिए गए हैं। सहारनपुर में महेंद्र सैनी, गाजियाबाद महानगर में संजीव शर्मा और नोएडा महानगर में मनोज गुप्ता की कुर्सी बच गई है। चूँकि पश्चिम यूपी में जाट और मुसलमान की एकता, गुर्जर समुदाय की नाराजगी, किसानों की समस्याओं ने भाजपा की नींद उड़ा रखी है इसलिए भाजपा ने पश्चिम यूपी में पार्टी में बड़ा बदलाव किया है। भाजपा समझ रही है कि नए लोग उसका लोकसभा चुनाव में बेडा पार लगा देंगे।
ब्रज क्षेत्र में 19 जिला अध्यक्ष में से 11 को हटा दिया गया है। 8 की कुर्सी बच गई है। आगरा जिला में गिरिराज कुशवाहा, आगरा महानगर में भानु महाजन, फिरोजाबाद महानगर में राकेश शंखवार, एटा में संदीप जैन, कासगंज में केपी सिंह, बरेली में
पवन शर्मा, बदायूं में राजीव गुप्ता और पीलीभीत में संजीव प्रताप सिंह को फिर से जिला अध्यक्ष बनाया गया है।
भाजपा ने अपने नए जिला अध्यक्ष नियुक्त करते समय मुसलमानों, सिख और राजभर एवं निषाद समुदाय को कोई तवज्जो नहीं दी है। मुसलमानों को अगड़ो और पिछड़ों में बांटकर उनका वोट हासिल करने का ख्वाब देखने वाली भाजपा ने पसमांदा मुसलमानों को भी ठेंगा दिखा दिया है।
किसी भी पसमांदा मुसलमान को भाजपा ने जिला अध्यक्ष नहीं बनाया है। इसके साथ ही मुस्लिम समुदाय के किसी भी व्यक्ति को भाजपा ने अपना जिला अध्यक्ष नहीं बनाया है। जबकि पीएम मोदी से लेकर समूची भाजपा मुसलमानों के हितैषी होने का बड़ा दावा करती है।
इसके अलावा किसी भी सिख को भाजपा ने अपना जिलाध्यक्ष नहीं बनाया है, जबकि सिख समुदाय के वोट भाजपा को खूब मिलते हैं।
पूर्वांचल में राजभर और निषाद जातियों के वोटर भारी संख्या में हैं। इन जातियों के बहुत से लोग भाजपा में हैं, लेकिन किसी को भाजपा ने जिला अध्यक्ष नहीं बनाया है यानी उनके ऊपर भरोसा नहीं किया है।
सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर की पार्टी से और संजय निषाद की पार्टी निषाद पार्टी से भाजपा का गठबंधन है। भाजपा लोकसभा चुनाव इनके साथ मिलकर लड़ना चाह रही है और इन जातियों के वोट भी वह चाहती कि। लेकिन घोसी विधानसभा उपचुनाव के परिणाम से भाजपा काफी डरी हुई है, इसलिए वह इन जातियों के लोगों पर भरोसा नहीं कर पा रही है।
यूपी में दलित वोटर की आबादी लगभग 22 प्रतिशत है। जबकि भाजपा ने दलित समुदाय से केवल 5 जिला अध्यक्ष बनाए हैं। भाजपा ने रायबरेली में दलित समुदाय में से बुद्धिलाल पासी को जिला अध्यक्ष बनाया है। वह भी इसलिए कि जबसे कांग्रेस अध्यक्ष मललिकार्जुन खड़गे के रायबरेली से लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चा चली थी। भाजपा ने इनको दलित होने के नाते जिला अध्यक्ष बनाया है। भाजपा समझती है कि बुद्धिलाल पासी दलित वोटों को कांग्रेस यानी इंडिया की ओर जाने से रोकने का काम करेंगे। जबकि हकीकत में बुद्धिलाल पासी अपने परिवार के ही पूरे वोट भाजपा को नहीं दिलवा सकते हैं।
भाजपा ने 4 महिलाओं को भी अपना जिला अध्यक्ष बनाया है। इनमें प्रयागराज गंगापार में कविता पटेल को जिला अध्यक्ष बनाया गया है। कविता पटेल कुर्मी जाति से ताल्लुक रखती हैं और प्रयागराज के गंगापार क्षेत्र में कुर्मी जाति के वोटरों की संख्या काफी है। भाजपा यह मानती है कि इनके अध्यक्ष बनने से कुर्मी वोट उसे मिलेगा। शाहजहांपुर महानगर में शिल्पी गुप्ता, जालौन में उर्विजा दीक्षित और मऊ में नूपुर अग्रवाल को अध्यक्ष बनाया गया है।
यूपी में भाजपा ने जिस तरह से अपने पुराने जिला अध्यक्ष हटाकर नए अध्यक्ष बनाए हैं, उससे लोकसभा चुनाव में भाजपा की तैयारी की आहट मिलती है। इसके साथ ही यह भी बात अब खुलकर पता चल गई है कि भाजपा सवर्णों के जरिए लोकसभा चुनाव लड़ने और जीतने के मूड में है।
सवर्णों के बाद उसकी सूची में पिछडों का नंबर है। इनके जरिए ही भाजपा अपनी चुनावी नैय्या पार लगाने का सपना देख रही है। इसके आलावा भाजपा को मुस्लिम, दलित, राजभर और निषाद जातियों के वोटरों पर भरोसा नहीं है। भाजपा की नजर में यह है कि सिख वोटर उसको ही वोट देंगे और वह कहीं नहीं जाएंगे।
भाजपा ने जिस तरह से अपने नए जिला अध्यक्ष बनाए हैं, उससे एक बात का यह भी पता चलता है कि भाजपा इंडिया गठबंधन के दबाव में है। भाजपा का सारा दारोमदार यूपी पर है, वह इसलिए यूपी पर सारी ताकत लगाए हुए है। लेकिन लोकसभा चुनाव में ऊंट किस करवट बैठेगा, यह अभी तो समय ही बताएगा।