-परवेज़ बारी
भोपाल | वर्ष 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों और पीड़ितों के कल्याण के लिए काम कर रहे भोपाल के पांच संगठनों ने चिंता जताने और अमेरिकी न्याय विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ़ जस्टिस) से कानून के अनुसार काम करने और आपराधिक कंपनियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह के रूप में उनके देश की छवि को धूमिल होने से बचाने के लिए 12 अमेरिकी सांसदों को धन्यवाद दिया.
गोल्डमैन पर्यावरण पुरस्कार विजेता और भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा, “यह वास्तव में खुशी की बात है कि अमेरिकी कांग्रेस में कुछ सबसे शक्तिशाली आवाजें यूएस डिपार्टमेंट ऑफ़ जस्टिस को कानून के अनुसार कार्य करने के लिए कह रही हैं. यह एक अभूतपूर्व कार्रवाई है.”
भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने कहा, “अमेरिकी सांसदों की इस कार्रवाई में हमारी सरकार के उन विभागों के लिए एक सबक है जो अमेरिकी निगमों को सज़ा से बचाने में मदद कर रहे हैं. उम्मीद है कि हमारे देश में मौजूदा विपक्षी दलों की प्रमुख आवाजें इसका अनुकरण करेंगी.”
भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने कहा, “वर्ष 2024 भोपाल में यूनियन कार्बाइड आपदा की 40वीं वर्षगांठ भी है, जहां न्याय से वंचित किया जा रहा है.”
भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा के नवाब खान ने कहा, “हम I.N.D.I.A से एक विशेष अपील करते हैं कि वे बदलते भारत के अपने एजेंडे में भोपाल के पीड़ितों और उनके बच्चों तथा भूजल के कारण ज़हर का शिकार हुए लोगों को न्याय और गरिमापूर्ण जीवन का प्रावधान शामिल करें.”
चिल्ड्रन अगेंस्ट डाउ/कार्बाइड की नौशीन खान ने कहा, “अमेरिकी सांसदों की इस कार्रवाई के साथ अब हम डाउ केमिकल की एमी विल्सन से भोपाल जिला न्यायालय में भगोड़े हत्यारे यूनियन कार्बाइड को शरण देने के आरोपों का जवाब देने की उम्मीद कर रहे हैं.”
गौरतलब है कि 2-3 दिसंबर, 1984 की मध्यरात्रि को भोपाल में यूनियन कार्बाइड कीटनाशक निर्माण कारखाने से लगभग 40 टन जहरीली मिथाइल आइसो-साइनेट गैस शहर में फ़ैल गई थी, जिससे 5,00,000 से अधिक लोग ज़हरीले धुएं की चपेट में आ गए. लगभग 3,000 लोग तुरंत ही ख़त्म हो गए थे और पिछले कुछ वर्षों में इस से प्रभावित 25,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है. दुखद गाथा अभी भी निर्बाध रूप से जारी है. लगभग पांच लाख लोग अभी भी ज़हरीली गैस के दुष्प्रभाव से पीड़ित हैं और कई हज़ार लोग जीवन भर के लिए विकलांग हो गए.