– ख़ान इक़बाल
नई दिल्ली | वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने बुधवार को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आख़िरी पूर्ण केंद्रीय बजट 2023-24 लोकसभा में प्रस्तुत किया. आज़ादी के 75 साल पूरे होने पर मनाए जा रहे अमृत महोत्सव के समय पेश किए गये इस बजट को सरकार “अमृत काल” का पहला बजट कह रही है.
हालांकि, विपक्षी नेताओं, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कई पहलुओं पर इसकी आलोचना की है और इसे गरीब- मज़दूर विरोधी बजट क़रार दिया है. केंद्रीय बजट पर बुद्धजीवियों ने कहा- ‘बजट ने हमें वहीं पहुंचा दिया जहां हम बीस साल पहले थे’
मशहूर अर्थशास्त्री और प्रोफेसर ज़्या ड्रेज़, सफाई कर्मचारी आंदोलन के संयोजक बेजवाड़ा विल्सन, माकपा महासचिव कामरेड वृंदा करात, राजसभा सांसद प्रोफ़ेसर मनोज झा, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, आम आदमी पार्टी नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह और अन्य कई हस्तियों ने इस केंद्रीय बजट को लेकर कई पहलुओं पर आलोचना की है.
2024 के आम चुनाव से पहले प्रस्तुत किए गए इस पूर्ण केंद्रीय बजट को विपक्ष “चुनावी बजट” कह रहा है, तो वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट की प्रशंसा करते हुए कहा कि ये बजट “एक मज़बूत अर्थव्यवस्था की नींव रखेगा.”
पीएम मोदी ने कहा कि, “सरकार ने मध्यम वर्ग को सशक्त बनाने के लिए फैसले लिए हैं, जो भारत की समृद्धि और विकास के पीछे “एक बड़ी ताकत” है.”
वहीं दूसरी ओर विपक्षी नेताओं ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कई पहलुओं पर इसकी आलोचना की है.
सफाई कर्मचारी आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक बेज़वाड़ा विल्सन ने बजट-2023-24 पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि, “अमृतकाल का यह बजट सफाई कर्मचारियों के लिए जुमला है. यह गरीब विरोधी और सफाईकर्मी विरोधी है.”
उन्होंने कहा कि, “सेप्टिक टैंकों में सैंकड़ों लोगों की मौत हो गई लेकिन वित्त मंत्री के मुँह से उनके लिए एक शब्द नहीं निकला, उनके पुनर्वास, मुक्ति और विशेष पैकेज की कोई बात नहीं गई, जो सफ़ाई कर्मचारी सैप्टिक टैंकों में मर रहे हैं उन्हें कैसे रोका जाए बजट में इसकी कोई साफ़ योजना नहीं हैं”
मशहूर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ ने बजट 2023-24 की आलोचना करते हुए इसे सामाजिक सुरक्षा विरोधी बताया. उन्होंने कहा कि, “बजट ने हमें वहीं पहुंचा दिया जहां हम बीस साल पहले थे.”
द्रेज़ कहा कि, “यह बजट सामाजिक सुरक्षा विरोधी है. बजट में सामाजिक सुरक्षा पेंशन, बाल पोषण कार्यक्रमों और मातृत्व लाभ योजनाओं के फंड में कटौती की गई है.”
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से राज्यसभा सांसद प्रोफेसर मनोज झा ने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे “ख़ास लोगों” का बजट बताया .
उन्होंने कहा कि, “मैंने वित्त मंत्री को कई बार कहा कि जब भी बजट बनाएं तो अनुच्छेद 39 को देख लें. संविधान से आंखें मूंद कर स्तुति गान वाला बजट बनाते हैं तो कुछ हासिल नहीं होगा.”
उन्होंने कहा कि, “रोज़गार के लिए आपने गोल-गोल बातें की. ये बजट खास लोगों का खास लोगों द्वारा खास तरह से बनाया गया बजट है.”
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बजट को किसान और दलित विरोधी बताते हुए कहा कि, “नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों के लिए बजट में कुछ नहीं दिया है, 2022 में किसानों की आय डबल करने का वादा किया था, उसको पूरा क्यों नहीं किया ? MSP गारंटी कहाँ है ? किसानों की अनदेखी चालू है.“
उन्होंने कहा कि, “इस बजट में दलित, आदिवासी, पिछड़े वर्ग के कल्याण के लिए कुछ भी नहीं है. उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए एक भी क़दम नहीं है. मनरेगा का बजट ₹38,468 करोड़ कम कर दिया तो ग़रीबों का क्या होगा ?”
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, “किसानों की MSP बढ़ी, न नौजवानों को रोज़गार मिला, लेकिन ये मोदी जी का अमृत काल है, निर्मला जी कह रहीं हैं “प्रति व्यक्ति आय दोगुनी हो गई” किसकी?
सीपीआई -एम की नेता बृंदा करात ने बजट की आलोचना करते हुए कहा की, “यह अमृत नहीं शोषण काल का बजट है.”
उन्होंने कहा कि, “आज पेश हुआ यूनियन बजट अमीरों को लाभ पहुंचाने वाला है. सरकार जनता से धोखा कर रही है, अनेक क्षेत्र में बजट में कटौती कर दी गई है.“
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के संसद में पेश आम बजट को जहां बिहार भाजपा ने सराहा है, वहीं बिहार में सत्तारूढ महागठबंधन में शामिल राजद, कांग्रेस और जदयू ने इसे आम लोगों के लिए धोखा बताते हुए कहा कि इस बजट से बिहार के लोगों को निराशा हाथ लगी है.
बिहार उप मुख्य्मंत्री तेजस्वी यादव ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि एक बार फिर बिहार के लोगों की अनदेखी की गई है.
इसी प्रकार राजस्थान के मुख्य्मंत्री अशोक गहलोत ने भी केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इस बजट में राजस्थान के लिए कुछ नहीं है.