अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | यूपी सरकार विकास का दावा कर रही है जबकि विधायक निधि का अरबों रुपए सरकारी खजाने में पड़ा है। विधायकों द्वारा संस्तुति किए जाने के बावजूद विकास कार्य नहीं हो रहे हैं।
यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार यह कहते हुए नहीं थकती है कि उनकी सरकार में खूब विकास हो रहा है और उनकी सरकार सबका साथ, सबका विकास के एजेंडे पर काम कर रही है। योगी आदित्यनाथ ही नहीं यूपी भाजपा के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी ने भी राज्य भाजपा कार्य समिति की कल हुई बैठक में कहा है कि यूपी में गांव -गांव में विकास की गंगा बह रही है।
राज्य भाजपा उपाध्यक्ष और नोयडा के विधायक पंकज सिंह ने भी कहा है कि यूपी सरकार के कार्यकाल में ढांचागत विकास हो रहा है। लेकिन यूपी के विकास को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी और राज्य भाजपा उपाध्यक्ष पंकज सिंह द्वारा किए जा रहे दावे फर्जी हैं।
विकास के आंकड़े कुछ और ही बात कहते हैं। सच्चाई इसके ठीक उलट है। विधायक निधि का अरबों रुपया सरकारी खजाने में पड़ा हुआ है। जब पैसा सरकारी खजाने में पड़ा हुआ है और वह निकला ही नहीं है, तो यूपी का विकास कैसे हो रहा है।
राज्य के विकास में विधायक निधि का बड़ा योगदान होता है और विधायक अपनी निधि से विकास कार्य किए जाने के लिए संस्तुति करते हैं। इसके बाद सरकारी मशीनरी यानी सरकारी विभाग उन संस्तुति पर अमल करते हुए विकास कार्य करवाने का काम करते हैं।
हालांकि, हालात ठीक इसके उलट हैं। विधायक निधि के अरबों रुपए सरकारी खजाने में पड़े हुए हैं और विकास कार्य नहीं हो रहे हैं।
राज्य के जिलों में विकास कार्य विधायकों की संस्तुति यानी सिफारिश पर होते हैं। विधायकों ने विकास कार्यों को करवाने के लिए अपनी संस्तुति दे दी है। लेकिन जिलों में विकास कार्यों को करवाने वाले ग्रामीण विकास अभिकरण स्तर पर विधायकों की संस्तुति को अभी तक स्वीकृति नहीं दी गई है और विकास कार्य नहीं हो रहे हैं।
अगर कहीं पर थोड़े -बहुत कार्य हो भी रहे हैं, तो उनकी गति बहुत ही धीमी है। जब विधायक निधि का काम नहीं होगा तो फिर पैसा नहीं खर्च होगा और न ही विकास कार्य होगा। यही वजह है कि यूपी में विधायक निधि का 1756 करोड़ रुपए (अरबों रुपए) से अधिक सरकारी खजाने में पड़ा हुआ है।
इतनी बड़ी धनराशि सरकारी खजाने में डंप पड़ी हुई है। योगी आदित्यनाथ की सरकार विकास कार्य के इस तरह से फर्जी दावे कर रही है।
अप्रैल 2022 में राज्य के सभी जिलों में ग्रामीण विकास अभिकरण के स्तर पर विधायक निधि के कुल 605.46 करोड़ रुपए सरकारी खजाने में जमा थे। इसके साथ ही कार्यदायी संस्था के स्तर पर 313.37 करोड़ रुपए जमा थे। इस प्रकार से सरकारी खजाने में 2021-22 का कुल 918.84करोड़ रुपए जमा था।
यूपी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए भी सभी विधायकों के लिए विधायक निधि का 3-3 करोड़ रुपए और जारी कर दिया।
कुल 1480.50 करोड़ रुपए जारी किया। इस प्रकार से जिलों में विधायक निधि का कुल 2373.83 करोड़ रुपए जमा था। राज्य के विधायकों ने अब तक कुल 18931 कार्य कराए जाने की संस्तुति की है, जिनमें से 17180 कार्यों को स्वीकृति प्रदान की गई है।
इनके लिए 915.10 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं और कार्यदायी संस्थाओं को 830.39 करोड़ रुपए जारी कर दिए गए हैं। कार्यदायी संस्थाओं के पास 1143.77 करोड़ रुपए में से 632.64 करोड़ रुपए कराए जाने वाले कार्यों पर खर्च किए गए हैं।
विधायकों ने अपनी विधायक निधि से कुल 18,931 कार्यों को कराए जाने की संस्तुति की है। इनमें 17,345 कार्य स्वीकृत और इनमें से 3095 कार्य पूरे हो गए हैं। 11,583 कार्यो पर काम हो रहा है और 2667 कार्य अभी शुरू ही नहीं हुए हैं। मजे की बात यह है कि 2021-22 में स्वीकृत 272 कार्य अभी तक शुरू ही नहीं हुए हैं।
विधायकों की विधायक निधि से होने वाले विकास कार्यों में सबसे ज्यादा कार्य सड़क निर्माण से संबंधित हैं। विधायकों ने अपनी विधायक निधि से सड़कों के निर्माण की संस्तुति की है। 7395.11 किलोमीटर लंबी सड़कें विधायक निधि से बननी हैं।
इसके अलावा स्कूल भवन, पुस्तकालय और छात्रावास से संबंधित 565,798 हैंडपंप और पेयजल आपूर्ति से संबंधित 268 कार्य स्वीकृत किए गए हैं। इसके साथ ही 6265 अन्य कार्य भी मंजूर किए गए हैं। लेकिन सब अधर में हैं।
यूपी की योगी आदित्यनाथ की सरकार और राज्य भाजपा की ओर से यूपी के विकास के बड़े- बड़े दावे किए जा रहे हैं कि यूपी का बहुत विकास हो रहा है। जबकि हकीकत इसके ठीक उलट है। योगी आदित्यनाथ की सरकार और यूपी भाजपा राज्य के विकास का फर्जी ढिंढोरा पीट रही है।
यूपी सरकार के विकास के दावे की पोल और राज्य भाजपा के यूपी के विकास की पोल उत्तर प्रदेश के माननीय विधायक विधानसभा में खोल चुके हैं। विधानमंडल के बजट सत्र और शीतकालीन सत्र में सत्तारूढ़ दल और विपक्षी दलों के विधायक इससे संबंधित मामला सदन में उठा चुके हैं।
सत्तारूढ़ दल और विपक्षी दलों के विधायकों ने इस मामले को उठाते हुए सदन में कहा था कि, “विधायक निधि से कार्य की संस्तुति करने के बाद उनकी स्वीकृति से लेकर निर्माण तक में अधिक समय लगता है। लेकिन इसके बावजूद आज भी हालात जस के तस हैं।”
अब सवाल यह उठता है कि यूपी में भाजपा की सरकार है, विधायक निधि के विकास कार्य क्यों देर से हो रहे हैं? सरकारी मशीनरी विधायक निधि के विकास कार्य क्यों देर से करवा रही है? क्या यूपी सरकार ने विधायक निधि से होने वाले विकास कार्यों को नहीं करवाने या देरी से करवाने के लिए सरकारी मशीनरी (अधिकारियों को) कोई गुप्त आदेश दिया है?
इन सवालों का जवाब योगी आदित्यनाथ ही अच्छी तरह से जानते होंगे और वह ही बेहतर तरीके से इसका जवाब दे सकते हैं। लेकिन वह इसका जवाब नहीं देंगे। योगी आदित्यनाथ की सरकार और भाजपा लोगों को केवल विकास की बातें बताकर सिर्फ उनको लॉलीपॉप चटा रही है।