इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | जमाअत इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने स्टॉकहोम, स्वीडन में तुर्की दूतावास के बाहर एक दक्षिणपंथी कार्यकर्ता द्वारा पवित्र क़ुरआन को जलाये जाने की निंदा की है।
मीडिया को जारी एक बयान में जमाअत के उपाध्यक्ष ने कहा, “हम स्वीडन में क़ुरआन जलाये जाने की घटना की स्पष्ट रूप से निंदा करते हैं। यह एक नस्लवादी एवं उत्तेजक कार्य और हेट क्राइम है। इस जघन्य कृत्य में शामिल व्यक्ति को तुरंत गिरफ्तार कर उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।”
जमाअत इस्लामी हिन्द का मानना है कि सभी धार्मिक पुस्तकें और व्यक्तित्व सम्मान के पात्र हैं और किसी के भी साथ अपमान एक निंदनीय कृत्य है। हमें ऐसे कृत्यों की निंदा में चयनात्मक रुख या कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
जमाअत उपाध्यक्ष ने कहा कि, “समुदायों के बीच दरार पैदा करने वाले इस तरह के हताशापूर्ण कृत्यों को किसी भी सभ्य समाज द्वारा माफ नहीं किया जाना चाहिए। हमें लगता है कि कुरआन से द्वेष रखने वालों को भी इसे एक बार पढ़कर इसके संदेश को समझने की कोशिश करनी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि, “यह एकमात्र धार्मिक पुस्तक है जो अंध विश्वास और हठधर्मिता से ऊपर उठकर बुद्धि और तर्क को अपील करती है।”
जमाअत ने कहा कि, कुरान आध्यात्मिक दुनिया के बारे में एक बहुत ही तर्कसंगत दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है जो तार्किक और ठोस दोनों है। हमें पवित्र पुस्तकों और व्यक्तित्वों के अपमान के कृत्य की निंदा करने के लिए एकजुट होना चाहिए। यह नैतिक पतन और अन्य धर्मों के प्रति अंध-आक्रामकता का प्रतीक है।”
उन्होंने कहा, “हमें उकसावे से बचना चाहिए और सभी से अत्यधिक संयम बरतने का आग्रह करना चाहिए। विरोध या निंदा कानून के दायरे में और सभ्य और शांतिपूर्ण तरीके से होनी चाहिए।”
जमाअत इस्लामी हिन्द ने मांग की है कि, “भारत सरकार इस कृत्य की निंदा करे और भारत में स्वीडिश दूतावास को अपनी नाराज़गी से अवगत कराए।”