अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | उत्तर प्रदेश के मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में भाजपा को बड़ी शिकस्त मिली है और वह चुनाव में बुरी तरह से पराजित हुई है। इस उपचुनाव को जीतने के लिए भाजपा ने सारी ताकत झोंक दी थी और चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का विषय बना लिया था।
यूपी के मैनपुरी में हुए लोकसभा उपचुनाव का परिणाम आ गया है, जिसमें सपा उम्मीदवार डिम्पल यादव 2 लाख से अधिक वोटों से जीत गई हैं। डिम्पल यादव ने अपने ससुर और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है। मैनपुरी में लोकसभा उपचुनाव मुलायम सिंह यादव के निधन हो जाने के कारण करवाया गया है।
मैनपुरी में सपा ने पार्टी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी को अपना उम्मीदवार बनाया था। भाजपा को यहां पर उसकी अपनी पार्टी में कोई उम्मीदवार तक नहीं मिला था, जिसके बाद भाजपा ने सपा से अलग हुए पूर्व सांसद रघुराज शाक्य को अपना उम्मीदवार बनाया था। भाजपा ने मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव जीतने के लिए सारे दांव-पेंच चले, लेकिन कोई भी काम नहीं आया और भाजपा को हार का स्वाद चखना पड़ा।
मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव जीतने के लिए भाजपा ने सारे नैतिक मूल्यों की धज्जियां उड़ा दी। यूपी सरकार के मंत्री यहां पर डेरा डाले रहे और उन्होंने यहां के प्रशासन और पुलिस पर दबाव बनाकर अपने मनमुताबिक काम करवाए। यही नहीं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद मैनपुरी चुनाव की कमान संभाली और अपने अनुसार चुनाव में प्रशासन और पुलिस का इश्तेमाल किया।
विरोधी पार्टी सपा के कार्यकर्ताओं के ऊपर फर्जी मुकदमे दर्ज कर उनका उत्पीड़न किया गया और उनको चुनाव प्रचार करने से लेकर चुनाव में भाग लेने तक से रोंकने का प्रयास किया गया। हद तो तब हो गई, जब इटावा और मैनपुरी के एसएसपी ने खुलेआम चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन कर भाजपा को जिताने का काम किया।
इटावा में जसवंतनगर विधानसभा क्षेत्र के 4 पुलिस थानाध्यक्ष को जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया। मैनपुरी में 6 पुलिस उपनिरीक्षक को बगैर चुनाव आयोग की अनुमति के नियुक्त किया गया। लेकिन चुनाव आयोग तक यह मामला पहुंच गया, जिस पर चुनाव आयोग ने संज्ञान लिया और इटावा और मैनपुरी के एसएसपी के खिलाफ एक्शन लिया।
चुनाव ड्यूटी में यादव और मुस्लिम समुदाय के पुलिस कर्मियों और राज्य कर्मचारियों की चुनाव में ड्यूटी तक नहीं लगाई गई। मतदान के दिन सपा के एजेंट बनाने में भी बाधा उत्पन्न की गई। सपा महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव ने चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। किंतु इस सबके बावजूद मतदाताओं ने चुनाव में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और मतदान किया।
आज मतगणना होने पर सपा उम्मीदवार डिम्पल यादव ने ऐतिहासिक जीत हासिल कर भाजपा उम्मीदवार रघुराज शाक्य को 2 लाख से अधिक वोटों से शिकस्त दी और मैनपुरी में सपा का परचम लहरा दिया।
भाजपा ने मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया था और भाजपा हर हाल में मैनपुरी को जीतना चाहती थी।इसके लिए उसने सारे उच्च मूल्यों को तिलांजलि दे दी और चुनाव जीतने के लिए नैतिकता को भुलाकर नियमों को ताक पर रखकर चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव में उसको मुंह की खानी पड़ी। जनता ने उसको नकार दिया और जीत का सेहरा सपा को पहना दिया।
भाजपा मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव जीतकर पूरे देश को यह संदेश देना चाहती थी कि यूपी और देश में भाजपा का अब कोई विकल्प नहीं बचा है और जनता की वह पहली पसंद है। भाजपा इस तरह से जबरन जीत हासिल कर विपक्षी दलों के मनोबल को तोड़ना चाहती थी, जिससे 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों द्वारा उसको कोई चुनौती न मिले। इसके साथ ही जनता मज़बूत विपक्ष के अभाव में भाजपा की ओर ही आने को मजबूर हो, जिससे 2024 के लोकसभा चुनाव में वह एक बार फिर भारी जीत हासिल कर केंद्र सरकार में बैठ सके।
मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सपा की जीत ने भाजपा को तगड़ा झटका दिया है और उसके लिए खतरे की घण्टी बजा दी है। अब सपा की जीत ने विपक्ष की मज़बूती का संदेश ही नहीं बल्कि भाजपा के खिलाफ मज़बूत विपक्षी दलों के भविष्य में बनने वाले राजनीतिक मोर्चे की नींव भी रख दी है। मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में भाजपा के खिलाफ सपा के साथ कांग्रेस, जदयू और राष्ट्रीय लोक दल चुनावी मैदान में खड़ा रहा है और मैनपुरी चुनाव के ज़रिए विपक्षी मोर्चे की ज़मीन भी तैयार हुई है।
सपा की मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में हुई जीत का संदेश यूपी में ही नहीं बल्कि समूचे देश में जाएगा और देश में भाजपा के विरुद्ध बनने वाले विपक्षी दलों के मोर्चे को बनने से अब कोई नहीं रोंक पायेगा। मैनपुरी में लोकसभा उपचुनाव में सपा की जीत ने भाजपा को तगड़ा झटका दिया है। इस जीत में जनता का भी बड़ा योगदान है, क्योंकि जनता की अदालत में भाजपा खरी नहीं उतरी बल्कि बुरी तरह फेल हो गई है।
जनता मंहगाई, बेरोज़गारी, गरीबी, भ्रष्टाचार और राज्य की खराब कानून व्यवस्था से जूझ रही है, लेकिन भाजपा सरकार जनता को राहत देने के बारे में बिल्कुल नहीं सोच रही है। भाजपा जनता पर जबरन अपनी नीतियां थोप कर परेशान कर रही है। इसलिए जनता अब बदलाव चाहती है। यही वजह है कि मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में जनता ने भाजपा को नकार दिया है और सपा को जनता की आवाज़ बनने के लिए आगे आने का मौका दिया है। मैनपुरी की हार के बाद अब 2024 का लोकसभा चुनाव जीतना भाजपा के लिए आसान नहीं होगा।
आज का दिन सपा के लिए दोहरी खुशी लेकर आया है। आज डिम्पल यादव की जीत के साथ ही शिवपाल सिंह यादव ने अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का विलय सपा में कर दिया है। आज सैफई में शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश यादव के साथ मिलकर सपा के साथ अपनी पार्टी का विलय कर दिया और सपा की सदस्यता ग्रहण कर उसका झंडा थाम लिया।
अखिलेश यादव ने इस अवसर पर अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया। इस मौके पर शिवपाल सिंह यादव ने कहा कि, “आज से हम एक हो गए हैं, हम सही समय का इंतज़ार कर रहे थे, आज से हमारी गाड़ी में समाजवादी पार्टी का झंडा लगा रहेगा।”
यहां यह उल्लेखनीय है कि डिम्पल यादव को मैनपुरी में जिताने में शिवपाल सिंह यादव ने बड़ी मेहनत की है। उन्होंने रणनीति तैयार कर डिम्पल यादव को मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव जिताया है। शिवपाल सिंह यादव राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं और बड़े रणनीतिकार हैं। यही वजह है कि भाजपा शिवपाल सिंह यादव को अखिलेश यादव से अलग करना चाहती थी, लेकिन वह इसमें सफल नहीं हुई।
रामपुर विधानसभा क्षेत्र में आखिर वही हुआ, जिसकी आशंका जताई जा रही थी। यहां पर सपा के आसिम राजा चुनाव हार गए हैं। भाजपा के आकाश सक्सेना चुनाव जीत गए हैं। इस तरह पहली बार रामपुर में लगभग 45 साल बाद भाजपा का खाता चुनाव में खुला है और उसे जीत मिली है। रामपुर में मतदाताओं को चुनाव के वक्त वोट नहीं डालने दिया जा रहा था। पुलिस मतदाताओं के वोटर कार्ड, आधार कार्ड और अन्य आईडी चेक करने के बहाने उनसे ले रही थी और उनको देखकर मतदाताओं को उनके घरों में जाकर बैठने के लिए कह रही थी। जो मतदाता पुलिस की बात नहीं मान रहे थे पुलिस उनकी पिटाई कर रही थी।
भाजपा के इशारे पर मुस्लिम समुदाय के वोटरों को वोट डालने से रोकने के लिए पुलिस मतदाताओं की पिटाई कर रही थी। अगर मुस्लिम समुदाय के वोटर ही अकेले सपा को वोट देते, तो सपा को कोई नहीं हरा सकता था। क्योंकि आधे से अधिक मतदाता रामपुर में मुस्लिम समुदाय के हैं। इसलिए जानबूझकर मुस्लिम समुदाय के वोटरों को वोट नहीं डालने दिया गया, जिसका परिणाम यह हुआ कि यहां पर लगभग 32 प्रतिशत ही वोटिंग हुई।
कम वोटिंग के कारण भाजपा जीत गई और सपा हार गई। वोटिंग के दिन सपा के प्रतिनिधि मंडल ने यूपी के मुख्य चुनाव अधिकारी अजय कुमार शुक्ला से मुलाकात की और वोटरों को पुलिस द्वारा वोट न डाले देने जाने की बात कही। लेकिन उन्होंने इस पर कोई कार्यवाही नहीं किया।
आज चुनाव परिणाम घोषित किया गया, जिसमें भाजपा के आकाश सक्सेना को 80964 वोट मिले और सपा के आसिम राजा को 47262 वोट मिले। इस प्रकार भाजपा उम्मीदवार आकाश सक्सेना चुनाव जीत गए।
मुज़फ्फरनगर के खतौली विधानसभा क्षेत्र में रालोद-सपा उम्मीदवार मदन भैया ने भाजपा उम्मीदवार राजकुमारी सैनी को 22156 वोटों से हराया। यहां पर मदन भैया को 97071 और राजकुमारी सैनी को 74906 मत मिले। इस तरह यहां पर रालोद-सपा गठबंधन उम्मीदवार ने भाजपा को चुनाव में हरा दिया और भाजपा की महत्वपूर्ण सीट को हथिया लिया।
खतौली की जीत भाजपा के लिए बड़ा सदमा है। गठबंधन उम्मीदवार की इस जीत से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा का गणित फेल हो गया है और आगे आने वाले समय में भाजपा को बड़ी दिक्कत का सामना करना पड़ेगा।