अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार देश के प्रधानमंत्री बनने के बाद सभी सांसदों से एक-एक गांव गोद लेकर उनका विकास करने के लिए कहा था। प्रधानमंत्री के कहने पर सांसदों ने गांवों को गोद लिया था, लेकिन इन गांवों का कोई विकास नहीं हो पाया। इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
2019 में दोबारा प्रधानमंत्री बनने पर नरेन्द्र मोदी ने इस योजना के दूसरे चरण की शुरुआत की और प्रत्येक लोकसभा और राज्यसभा सांसद से 5-5 गांव गोद लेकर उनका विकास करने के लिए कहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर यूपी के तमाम सांसदों ने गांवों को गोद लिया और उनके विकास की प्रक्रिया शुरू करवाई। किंतु मोदी सरकार के कई मंत्रियों ने और भाजपा सांसदों ने गांवों को गोद लेना और उनका विकास करना जरूरी नहीं समझा और आज भी इस ओर चुप्पी साधे हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के दूसरे कार्यकाल का 3 वर्ष से अधिक का समय हो गया है। लेकिन मोदी सरकार के इन मंत्रियों और भाजपा सांसदों ने अभी तक गांवों को गोद नहीं लिया है। जिन मंत्रियों ने गांवों को गोद नहीं लिया है, उनमें पहला नाम केंद्रीय शहरी विकास और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी का है। इनको गांवों को गोद लेने और उनका विकास करने में कोई दिलचस्पी नहीं है, शायद इसीलिए इन्होंने अभी तक एक भी गांव गोद नहीं लिया है।
इसी तरह केंद्रीय उद्योग मंत्री महेन्द्र नाथ पांडेय का हाल है। महेन्द्र नाथ पांडेय पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से लगे हुए चंदौली से लोकसभा सदस्य हैं। यह पीएम मोदी के नजदीकी भी हैं, लेकिन इसके बावजूद यह पीएम मोदी की बात को कोई तवज्जो नहीं दे रहे हैं और इन्होंने कोई गांव गोद नहीं लिया है।
इनके बाद केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री बीएल वर्मा का नाम आता है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इनको पहले राज्यसभा का सदस्य बनाया और फिर अपनी सरकार में मंत्री बनाया। लेकिन अब यह भी पीएम मोदी की बात को अनसुना कर रहे हैं। इन्होंने भी कोई गांव गोद लेने में दिलचस्पी नहीं दिखाई है।
इनके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और सुल्तानपुर से लोकसभा सदस्य मेनका गांधी का नम्बर आता है।मेनका गांधी ने भी अभी तक कोई गांव गोद नहीं लिया है। इसी प्रकार धौरहरा की लोकसभा सदस्य रेखा वर्मा ने भी कोई गांव गोद नहीं लिया है। यह सभी मोदी की बातों को अनसुना कर रहे हैं और मोदी को कोई महत्व नहीं दे रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातों को तवज्जो नहीं देने वालों में एटा के सांसद राजवीर सिंह राजू भैया हैं। यह यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे हैं। इनको पीएम मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी है, इससे यह पीएम मोदी से नाराज हैं। इसी कारण यह नरेन्द्र मोदी की बातों को अनसुना करते हैं। इन्होंने एक भी गांव गोद नहीं लिया है।
कैसरगंज के लोकसभा सदस्य बृज भूषण शरण सिंह ने भी कोई गांव गोद नहीं लिया है। यह यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खास आदमी हैं। इसी प्रकार अकबरपुर (कानपुर देहात) के लोकसभा सदस्य देवेंद्र सिंह भोले ने भी कोई गांव गोद नहीं लिया है और न ही गोद लेना जरूरी समझते हैं। भदोही से भाजपा के लोकसभा सदस्य रमेश चंद बिंद ने भी कोई गांव गोद नहीं लिया है।
यूपी से भाजपा के कई राज्यसभा सदस्यों ने भी पीएम मोदी की बातों को अनसुना कर दिया है और उन्होंने कोई भी गांव गोद नहीं लिया है। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के भतीजे नीरज शेखर, पूर्व डीजीपी और भाजपा के राज्यसभा सांसद ब्रजलाल, राज्यसभा सांसद हरिद्वार दुबे, राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने भी पीएम मोदी की बात को अनसुना करते हुए एक भी गांव गोद नहीं लिया है।
यूपी भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद गीता शाक्य और यूपी भाजपा इकाई के उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सुरेंद्र नागर ने भी एक भी गांव गोद नहीं लिया है। इस तरह से भाजपा के इन सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात को न मानकर उनको ठेंगा दिखा दिया है।
प्रत्येक सांसद को विकास के लिए 5-5 गांव गोद लेना है। लेकिन भाजपा के अधिकांश सांसदों ने गांवों को गोद लेना जरूरी नहीं समझा है। गांवों को गोद न लेने वाले सांसदों में अधिकांश भाजपा के हैं। केंद्रीय मंत्री और अमेठी की सांसद स्मृति ईरानी, केंद्रीय राज्यमंत्री और फतेहपुर की सांसद साध्वी निरंजन ज्योति, केंद्रीय राज्यमंत्री और मिर्जापुर की सांसद अनुप्रिया पटेल, अयोध्या के सांसद लल्लू सिंह, इटावा सांसद रामशंकर कठेरिया, बलिया सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त. अलीगढ़ सांसद सतीश गौतम, हरदोई सांसद जयप्रकाश, कन्नौज सांसद सुब्रत पाठक, मेरठ सांसद राजेंद्र अग्रवाल, प्रतापगढ़ सांसद संगम लाल गुप्ता और कौशाम्बी सांसद विनोद सोनकर ने मात्र एक-एक गांव गोद लेकर रश्म अदायगी कर योजना की खानापूर्ति की है।
यूपी का ग्राम्य विकास विभाग योजना को पूरा करने के लिए सांसदों को गांवों को गोद लेने के लिए बार-बार पत्र लिखकर उनको भेज रहा है, लेकिन सांसद गांवों को गोद नहीं ले रहे हैं। ख़बर है कि सांसदों द्वारा गांवों को गोद नहीं लिए जाने के बारे में अब ग्राम्य विकास विभाग भारत सरकार को इस संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर भेजने की तैयारी कर रहा है।
भाजपा सांसदों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातों को अनसुना कर गांवों को गोद न लिए जाने से यह बिल्कुल साफ हो गया है कि अब भाजपा के सांसदों का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मोहभंग हो गया है, इसीलिए भाजपा के सांसद पीएम मोदी को कोई तवज्जो नहीं दे रहे हैं। भाजपा के सांसदों द्वारा पीएम मोदी की बातों को न मानना सीधे -सीधे यह साबित करता है कि अब यूपी भाजपा में सब कुछ ठीक नहीं है। आगे आने वाले वक्त में इसका असर भाजपा की राजनीति को प्रभावित कर सकता है।