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Thursday, April 25, 2024
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कश्मीरी पंडितों के लिए घाटी में फिर बन रही है पलायन की स्थिति, अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित

इश्फाक़-उल-हसन

श्रीनगर | कश्मीर के शोपियां ज़िले में हाल ही में एक कश्मीरी पंडित की हत्या की घटना हुई है. क्या इस घटना की वजह से घाटी में 1990 की तरह हालात बन रहे हैं, जब कश्मीरी पंडितों का सामूहिक रूप से पलायन हुआ था?

श्रीनगर स्थित गैर-प्रवासी हिंदुओं के संगठन कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (KPSS) ने सभी अल्पसंख्यक लोगों को घाटी छोड़ने के लिए कहा है.

हाल ही में शोपियां ज़िले के छोटिगम गांव में आतंकवादियों द्वारा सुनील कुमार की हत्या और उनके भाई पीतांबर को गंभीर रूप से घायल करने की घटना के बाद केपीएसएस का यह बयान आया है.

पुलिस ने कहा कि दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के छोटेपोरा इलाके में एक बाग में आतंकवादियों द्वारा नागरिकों पर की गई गोलीबारी में सुनील कुमार की मौत हो गई और उनका भाई घायल हो गया.

पुलिस ने मीडिया को बताया कि, “आतंकवादियों ने शोपियां के छोटीपोरा इलाके में एक सेब के बाग में नागरिकों पर अंधाधुंध फायरिंग की. इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हो गई और एक घायल हो गया. दोनों अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. घायल व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. क्षेत्र की घेराबंदी कर दी गई है.”

केपीएसएस के अध्यक्ष संजय कुमार टिक्कू ने घटना के बाद कहा कि, “कश्मीर घाटी में कोई भी कश्मीरी पंडित सुरक्षित नहीं है. कश्मीरी पंडितों के लिए, केवल एक ही विकल्प बचा है कि कश्मीर छोड़ दिया जाए या फिर स्थानीय आबादी का समर्थन प्राप्त धार्मिक कट्टरपंथियों द्वारा खुद की हत्या करवा ली जाए.”

उन्होंने आरोप लगाया कि कश्मीर में पर्यटक और अमरनाथ यात्री सुरक्षित रहते हैं, लेकिन गैर स्थानीय मुसलमान और कश्मीरी पंडित आतंकवादियों के निशाने पर हैं. उन्होंने कश्मीरी पंडित समुदाय की रक्षा करने में विफलता के लिए सरकार पर निशाना साधा.

डेटा से पता चलता है कि इस साल 2 जून तक 23 हत्याएं की गई हैं. इनमे 9 हिंदू और 14 अन्य शामिल हैं.

ये हत्याएं कोई नए मामले नहीं हैं. कश्मीर में निशाना बनाकर किये जा रहे लगातार हमलों ने एक मनोवैज्ञानिक भय पैदा कर दिया है. घाटी में हो रहे हमलों में न केवल हिंदू बल्कि मुस्लिम, पुलिस और अन्य लोग भी मारे गए हैं.

इन घटनाओं में वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब केंद्र अनुच्छेद 370 के निरस्त करने के बाद आतंकवाद से संबंधित घटनाओं में कमी का दावा करता आ रहा है.

आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि जब से 1990 से कश्मीर में उग्रवाद शुरू हुआ है उसके बाद से कश्मीर में लगभग 41,117 प्रवासी परिवार जम्मू में पंजीकृत हैं, और 21,000 दिल्ली और अन्य राज्यों में पंजीकृत हैं. जम्मू में रहने वाले कुल प्रवासी परिवारों में से 37,128 हिंदू हैं, 2246 मुस्लिम हैं और 1,758 सिख हैं.

2008 की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि उग्रवादियों ने 209 कश्मीरी पंडितों को मार डाला. जिनमें से 109 हत्याएं 1989 और 1990 में हुई थीं, जब हिंसा अपने चरम पर थी.

2008 में शुरू की गई प्रधान मंत्री नीति के तहत लगभग 3,800 पंडित घाटी में लौट आए थे. इस नीति का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदाय के लिए सरकारी नौकरी और सुरक्षित आवास प्रदान करना था.

जम्मू में तबादला करवाने के इच्छुक कश्मीरी पंडित कर्मचारियों में भय व्याप्त है. जून की हत्याओं के तुरंत बाद, सरकार ने कई पंडित कर्मचारियों को श्रीनगर स्थानांतरित कर दिया था.

हालांकि कश्मीरी पंडित कर्मचारी जम्मू स्थानांतरित करने की मांग कर रहे हैं. इस समुदाय से एक और व्यक्ति की हत्या के बाद पंडितों ने घाटी से स्थानांतरित करने की मांग को लेकर जम्मू शहर में विरोध प्रदर्शन किया.

प्रधानमंत्री के विशेष पुनर्वास पैकेज के तहत भर्ती किए गए और घाटी के विभिन्न हिस्सों में तैनात कश्मीरी पंडित कर्मचारियों का कहना है कि वे आतंकवादियों के लिए आसान निशाना बन गए हैं और सरकार उन्हें बचाने में विफल रही है.

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि हम घाटी में एक विशेष पैकेज के तहत कार्यरत थे, लेकिन वहां के हालात से सभी वाकिफ हैं. हम जम्मू में अपना स्थानांतरण चाहते हैं ताकि हम कम से कम जीवित तो रह सकें.”

पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि शोपियां में एक कश्मीरी पंडित की हत्या में शामिल दो लोगों की पहचान कर ली गई है और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

उन्होंने कहा, “जिस तरह से लोगों ने सकारात्मक कदमों का समर्थन किया वह काबिले तारीफ है. 5 और 15 अगस्त के उत्सव के दौरान शांत स्थिति काबिले तारीफ थी और लोगों ने हर संभव तरीके से अमरनाथ यात्रा का समर्थन किया, जो शांति विरोधी तत्वों की उम्मीदों के अनुकूल नहीं था, वे शांति भंग करने की कोशिश करते हैं, लेकिन उनकी कोशिशें भविष्य में भी नाकाम होती रही हैं और आगे भी होती रहेंगी.”

इस बीच शोपियां ज़िले में कश्मीरी पंडित की हत्या में शामिल आतंकी की संपत्ति कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. उसके परिजन को भी गिरफ्तार कर लिया गया है.

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