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Thursday, April 18, 2024
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भाजपा सरकार विद्युत संशोधन अधिनियम लागू करने की तैयारी में, हर माह होगा बिजली की दरों में बदलाव

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | देश में डीजल और पेट्रोल की तरह अब हर महीने बिजली की कीमतों में भी बदलाव होगा और बढ़ी हुई बिजली की कीमतों की वसूली उपभोक्ताओं से की जाएगी, क्योंकि मोदी सरकार विद्युत संशोधन विनियम- 2022 लागू करने की तैयारी कर रही है।

केंद्र की मोदी सरकार बिजली संशोधन विधेयक को पारित कर उसको कानून बनाकर अपने चहेते उद्योगपति मित्रों को लाभ पहुंचाने का काम कर रही। इसके लिए सरकार ने बाकायदा लोकसभा में बिजली संशोधन विधेयक भी पेश कर दिया था, लेकिन वह पारित नहीं हो सका और उसको जांच समिति के पास भेज दिया गया।

8 अगस्त को लोकसभा में पेश होने के बाद देशभर में विरोध हुआ. 27 लाख बिजली इंजीनियरों ने इस बिल के खिलाफ आवाज उठाई। विद्युत संशोधन विधेयक 2022 के का मुख्य उद्देश्य भारत में बिजली आपूर्ति का निजीकरण करना है, जिससे देश के बिजली उद्योग में बड़ा नुकसान और एकाधिकार होगा.

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने आज संसद सत्र के दौरान लोकसभा में विद्युत संशोधन विधेयक 2022 पेश किया और अनुरोध किया कि विधेयक को जांच के लिए स्थायी समिति के पास भेजा जाए.

इस विधेयक के खिलाफ देश भर के सभी बिजली विभागों के अधिकारी और कर्मचारी केंद्र सरकार के विरुद्ध लामबंद हो गए थे और उन्होंने समूचे देश की बिजली व्यवस्था को बंद करने और हड़ताल पर जाने की चेतावनी दे दी थी। इनकी चेतावनी से डरकर मोदी सरकार ने लोकसभा में विधेयक को पेश करने के बावजूद पारित नहीं कराया।

बिजली संशोधन विधेयक को जांच समिति के पास भेज दिया गया। ऐसा करके मोदी सरकार ने देश के बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की नाराज़गी को दूर करने का काम किया। लेकिन पर्दे के पीछे से बिजली संशोधन विनियम 2022 को लागू करने की तैयारी शुरू कर दी।

इसके लिए केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने विद्युत संशोधन विनियम- 2022 का एक मसौदा तैयार कर राज्यों को जारी कर दिया। ऐसा करके केंद्र सरकार ने विद्युत संशोधन विधेयक के प्रावधानों को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है।

केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के उप सचिव डी चट्टोपाध्याय की ओर से 12 अगस्त को सभी राज्य सरकारों समेत अन्य संबंधित इकाइयों को मसौदा भेजकर 11 सितंबर तक इससे संबंधित सुझाव मांगे हैं। मसौदे के पैरा 14 में यह प्रावधान है कि विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा बिजली खरीद की धनराशि की समय से वसूली के लिए ईंधन की कीमतों के आधार पर हर महीने बिजली की दरें तय की जाएंगी और इसकी वसूली उपभोक्ताओं से की जाएगी।

बिजली कम्पनियों की ओर से नियामक आयोग में वार्षिक राजस्व आवश्यकता(ए आर आर) के साथ दाखिल किए जाने वाले टू-अप प्रस्ताव में बढ़ी दरों का समायोजन किया जाएगा। इसके लिए विद्युत मंत्रालय ने फार्मूला भी तय किया है। 11 सितंबर के बाद विनियम को अंतिम रूप देकर अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। अधिसूचना जारी होने के बाद 90 दिन बाद यह व्यवस्था लागू हो जाएगी।

यहां पर यह ज्ञात हो कि लोकसभा में पेश किए गए बिजली संशोधन विधेयक 2022 में धारा 61(जी) में यह प्रावधान किया गया है कि बिजली कम्पनियां पूरी आपूर्ति लागत उपभोक्ताओं से वसूल करेंगी।

यूपी में राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि, “इससे विद्युत कम्पनियों को मनमानी करने की छूट मिल जाएगी। केंद्र ने निजी व्यापारिक घरानों के दबाव में राज्यों के नियामक आयोग के अधिकार पर अतिक्रमण करते हुए यह फैसला किया है। इससे उपभोक्ताओं पर संकट खड़ा हो सकता है, क्योंकि बिजली वितरण करने वाली कम्पनियों द्वारा मनमाने तरीके से बिजली की कीमतें बढ़ाने की संभावना अधिक है। इसका खामियाजा आम उपभोक्ताओं को उठाना पड़ेगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि, “यूपी में नियामक आयोग ने पहले से ही यह प्रावधान कर रखा है कि अगर कोयले और तेल के दामों में व्रद्धि के कारण बिजली दरें बढ़ाने की जरूरत पड़ती है, तो इसका प्रस्ताव दाखिल किया जाएगा और नियामक आयोग के अनुमोदन के बाद ही इंक्रीमेंटल कॉस्ट लागू की जा सकती है। केंद्र ने पहले कोयले की कमी और उसकी दरों में वृद्धि से माहौल बनाया है और अब इंक्रीमेंटल कॉस्ट के जरिए दरों में वृद्धि का अधिकार बिजली कम्पनियों को दे दिया है, जो सरासर गलत है। उपभोक्ता परिषद इसका विरोध करेगा।”

बिजली संशोधन विनियम- 2022 लागू करके केंद्र सरकार बिजली वितरण का निजीकरण करना चाहती है। मोदी सरकार के इस फैसले से आम उपभोक्ताओं को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि बिजली कम्पनियों द्वारा अपने फायदे के लिए समय-समय पर बिजली की कीमतें बढ़ाई जाएंगी, जिससे आम उपभोक्ता सीधे तौर पर प्रभावित होगा।

ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे मोदी सरकार के फैसले का विरोध करते हैं और वह कहते हैं कि, “विद्युत संशोधन विधेयक 2022 के जरिए केंद्र सरकार बिजली वितरण का निजीकरण करना चाहती है। निजी क्षेत्र के जो वितरण लाइसेंसी होंगे, उनके हितों को देखते हुए विद्युत विनियम 2005 में संशोधन किया जा रहा है, ताकि विद्युत वितरण करने वाली कम्पनियों को कोई दिक्कत न हो। इसकी कीमत हर हालत में आम उपभोक्ता को चुकानी पड़ेगी।”

देश में अभी तक प्रतिदिन डीजल और पेट्रोल की कीमतों में बदलाव होता है। इसका असर आम आदमी से लेकर खेती-किसानी और व्यापार पर सीधे तौर पर पड़ता है। इससे आम आदमी के जीवन से जुड़ी हुई चीजें मंहगी हो गई हैं और देश में आम आदमी मंहगाई से जूझ रहा है। बेरोज़गारी से युवा परेशान है और वह दर-दर भटक रहा है। आम आदमी मंहगाई से त्रस्त है और मंहगाई ने उसकी कमर तोड़ दी है।

मोदी सरकार द्वारा युवाओं के लिए न तो रोजगार की कोई व्यवस्था की जा रही है और न ही आम आदमी को मंहगाई से छुटकारा दिलाने का कोई प्रयास किया जा रहा है। ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने उद्योगपति मित्रों और चहेते उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए बिजली संशोधन विधेयक में संशोधन कर आम आदमी की जेब काटने के लिए बिजली वितरण कम्पनियों को लूट करने का सरल रोडमैप तैयार किया गया है।

बिजली वितरण करने वाली कम्पनियां उद्योगपतियों की हैं। यह अपने फायदे के लिए घाटा होने का रोना रोकर आम आदमी के लिए आने वाले दिनों में संकट का सबब बनेंगी और आम आदमी को बढ़े हुए बिजली के दामों से अपनी जेब पर बढ़ते भार को सहन करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।

अगर सब कुछ ठीकठाक रहा, तो अगले साल की शुरुआत से बिजली के आम उपभोक्ताओं को बढ़ी हुई बिजली कीमतों का सामना करना पड़ेगा। सबसे मजेदार बात यह है कि समूचे विश्व में भारत ऐसा अकेला देश होगा, जहां पर हर महीने बिजली की कीमतों में बदलाव होगा।

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