अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद कमिश्नर को पीडीए के मुख्यालय इंदिरा भवन से 10 दिन के अंदर अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया है। इसके साथ ही 6 सितंबर को कमिश्नर को पीडीए के नक्शे के साथ कोर्ट में तलब किया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में पीडीए (प्रयागराज विकास प्राधिकरण) का खुद का नक्शा न होने के मामले को लेकर मोहम्मद इरशाद ने एक जनहित याचिका दायर कर रखी है। इस जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेश कुमार बिंदल की पीठ ने 2 अगस्त को इलाहाबाद कमिश्नर को पीडीए के नक्शे के साथ तलब किया था।
कोर्ट ने 2 अगस्त को इस मामले की सुनवाई करते हुए कमिश्नर से पीडीए का नक्शा पेश करने के लिए कहा। कमिश्नर विजय विश्वास पंत पीडीए का नक्शा नहीं पेश कर सके। इस पर कोर्ट ने कमिश्नर को कड़ी फटकार लगाई। चीफ जस्टिस राजेश कुमार बिंदल और जस्टिस जे जे मुनीर की पीठ ने मोहम्मद इरशाद की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए कमिश्नर से कहा कि, “10 दिन में पीडीए के मुख्यालय इंदिरा भवन से अवैध अतिक्रमण हटाया जाए।”
इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की पीठ ने कमिश्नर विजय विश्वास पंत से यहां तक कहा कि, “6 सितंबर को पीडीए का नक्शा लेकर आएं। अगर नक्शा नहीं है तो पीडीए की बिल्डिंग को सीज करें। यह अंतिम अवसर दिया जा रहा है।”
इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की पीठ के इस फैसले से यूपी सरकार तक सकते में आ गई है। यहां पर यह ज्ञात हो कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कई बार पीडीए से अपना नक्शा पेश करने के लिए कह चुका है। लेकिन पीडीए अपना नक्शा कोर्ट में नहीं पेश कर पाया है।
पीडीए के नक्शा न पेश करने के कारण कोर्ट ने 2 अगस्त की तारीख निर्धारित की थी और कोर्ट में इलाहाबाद के कमिश्नर को नक्शे के साथ तलब किया था। लेकिन 2 अगस्त की सुनवाई में इलाहाबाद के कमिश्नर विजय विश्वास पंत पीडीए का नक्शा नहीं पेश कर सके, जिस पर हाईकोर्ट की पीठ ने गहरी नाराजगी जाहिर की और कमिश्नर को कड़ी फटकार लगाई।
प्रयागराज विकास प्राधिकरण के मुख्यालय इंदिरा भवन में उसका व्यावसायिक काम्प्लेक्स है। बताया जाता है कि उसका नक्शा नहीं पास है। इंदिरा भवन से अवैध कब्जा हटाने के लिए मोहम्मद इरशाद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर रखी है। मोहम्मद इरशाद ने अपनी दायर की गई याचिका में कहा है कि, “बिना अनुमति के पीडीए की दीवार तोड़कर शटर लगा लिया गया है। ओपन एरिया, पोडियम, गैलरी कब्जा कर अवैध दुकान संचालित हो रही है। इंदिरा भवन में गंदगी का अंबार लगा है, बिजली के तारों का जाल बिछा है।”
इस मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट ने एडवोकेट कमिश्नर को भेजा था। एडवोकेट कमिश्नर ने याचिका में कही गई बातों की पुष्टि की। लेकिन हाईकोर्ट द्वारा बार-बार अवसर दिए जाने के बावजूद पीडीए इंदिरा भवन का पास हुआ नक्शा पेश नहीं कर सका। इस पर हाईकोर्ट ने इलाहाबाद के कमिश्नर को 2 अगस्त को पीडीए का नक्शा लेकर कोर्ट में आने का आदेश दिया था। लेकिन कमिश्नर हाईकोर्ट में पेश तो हुए पर पीडीए का नक्शा नहीं पेश कर सके।
पीडीए (प्रयागराज विकास प्राधिकरण) वही विकास प्राधिकरण है, जिसने जावेद पम्प की पत्नी परवीन फ़ातिमा का गलत तरीके से मनमानी करके मकान ध्वस्त कर दिया था। परवीन फ़ातिमा के मकान के ध्वस्त करने का कारण पीडीए ने नक्शा पास न होना बताया था। परवीन फ़ातिमा का मकान उनको उनके पिता ने गिफ्ट में दिया था और वह बहुत पहले से बना हुआ था। परवीन फ़ातिमा के मकान को पीडीए ने जावेद पम्प का मकान बताकर ध्वस्त किया था।
पीडीए के अधिकारियों ने परवीन फ़ातिमा के मकान को ध्वस्त कर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को खुश करने का काम किया था। गरीबों और मजलूमों के मकान पर बुलडोज़र चलाने वाले पीडीए के पास उसका खुद का नक्शा पास नहीं है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद इलाहाबाद कमिश्नर विजय विश्वास पंत की जान सांसत में फंस गई है। वह इससे बचकर निकलने के लिए तरीका ढूढ़ रहे हैं। लेकिन वे बुरी तरह से फंस गए हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से योगी आदित्यनाथ की सरकार भी फंस गई है, क्योंकि प्रयागराज विकास प्राधिकरण का खुद का नक्शा पास न होने से योगी आदित्यनाथ की सरकार की खूब फजीहत हो रही है।
प्रयागराज विकास प्राधिकरण का नक्शा न होने के कारण कोर्ट से फटकार खाए इलाहाबाद के कमिश्नर विजय विश्वास पंत हाईकोर्ट के फैसले पर कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। वे सिर्फ इतना ही कहते हैं, “यह मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है। मैं इसके बारे में जो कुछ बताना होगा, वह मैं कोर्ट में ही बताऊंगा.”