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Thursday, March 28, 2024
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केरल के पूर्व मंत्री और UAE के पूर्व कौंसल जनरल ने माध्यमम पर ‘प्रतिबंध’ लगाने की रची साज़िश

सैयद ख़लीक अहमद

नई दिल्ली | केरल के चर्चित गोल्ड स्मगलिंग केस की मुख्य आरोपी स्वप्ना सुरेश ने अपने हलफनामे में केरल के पूर्व मंत्री पर गंभीर आरोप लगाया है, जिसके अनुसार कोरोना महामारी के दौरान केरल के मलयाली भाषा दैनिक समाचार पत्र ‘माध्यमम’ के खाड़ी देशों के संस्करण पर प्रतिबन्ध लगवाने की साज़िश में केरल के मंत्री और यूएई के पूर्व कौंसल जनरल शामिल हैं.

इस मामले में माध्यमम के वरिष्ठ प्रतिनिधियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से मुलाकात कर पूर्व मंत्री के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की. भूतपूर्व मंत्री, जो वर्तमान में एक विधायक हैं, केरल में सत्ता में पार्टी सीपीआई (एम) से संबंधित हैं.

माध्यमम केरल और पड़ोसी राज्यों में कई जगहों से प्रकाशित होता है और मलयालम भाषा के सबसे प्रमुख समाचार पत्रों में से एक है.

सीएम को भेजे ज्ञापन में माध्यमम ने कहा है कि विदेश मंत्रालय की अनुमति के बिना किसी मंत्री द्वारा किसी विदेशी सरकार को पत्र लिखा जाना बहुत ही गंभीर मुद्दा है.

गौरतलब है कि पूर्व मंत्री ने मीडिया के सामने स्वीकार किया है कि उन्होंने पत्र लिखा था लेकिन कहा कि उन्होंने प्रकाशन पर “प्रतिबंध” की मांग नहीं की थी.

ज्ञापन में कहा गया है कि भूतपूर्व मंत्री ने भारत के संविधान के तहत काम करने की शपथ ली थी, लेकिन उन्होंने भारत के एक मीडिया हाउस को नुकसान पहुंचाने के लिए संवैधानिक प्रावधानों और विदेश मंत्रालय के प्रोटोकॉल का खुले तौर पर उल्लंघन किया है.

मुख्यमंत्री को दिए ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि वाम दल सरकार को पूर्व मंत्री के ऐसे कृत्य का समर्थन नहीं करना चाहिए जो सीधे तौर पर संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करता हो.

माध्यमम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने संपर्क करने पर इंडिया टुमारो को बताया कि सीएम ने मामले को देखने और मंत्री के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है.

मामला भूतपूर्व मंत्री के टी जलील से सम्बंधित है जो पूर्व में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के नेता रहे हैं, जिन्होंने लीग नेतृत्व के साथ कुछ मतभेदों के कारण सीपीआई (एम) जॉइन कर लिया था.

जब जलील 2020 में पिनाराई सरकार में शिक्षा मंत्री थे तो उन्होंने कथित तौर पर तत्कालीन संयुक्त अरब अमीरात के कौंसल जनरल के साथ मिलकर संयुक्त अरब अमीरात के तत्कालीन प्रमुख को यूएई में माध्यमम पर “प्रतिबंध” लगवाने के लिए एक पत्र लिखा था.

हालांकि, यह अलग बात है कि संयुक्त अरब अमीरात के तत्कालीन शासक शेख खलीफा बिन ज़ायेद अल-नाहयान ने जलील के पत्र को नज़रअंदाज़ कर दिया था.

जलील ने कथित तौर पर सीपीआई(एम) में अपनी स्थिति को मज़बूत करने और केरल मुख्यमंत्री और संयुक्त अरब अमीरात के शासक को अपने पक्ष में कर यूएई के कौंसल जनरल के सहयोग से अपने व्यापारिक हितों को बढ़ावा देने के लिए माध्यमम के खिलाफ कार्रवाई के लिए पत्र लिखा था.

इसके लिए उन्होंने कोविड-19 महामारी के दौरान खाड़ी देशों और विशेष रूप से संयुक्त अरब अमीरात में केरल के प्रवासियों के शवों की सैकड़ों तस्वीरों के मुद्दे का इस्तेमाल किया था.

माध्यमम द्वारा केरल के प्रवासियों की उक्त फोटो प्रकाशित करने के बाद केरल में यह एक बड़ा मुद्दा बन गया था. केरल में लोग सड़कों पर उतर आए थे और उन्होनें मांग की थी कि राज्य सरकार उन खाड़ी देशों से प्रवासियों की वापसी की व्यवस्था करे जहां चिकित्सा सुविधाएं कोविड-19 रोगियों के इलाज के लिए पर्याप्त नहीं हैं.

लेकिन यह मांग करने वाले केरला के निवासियों को मालूम नहीं था कि प्रवासियों की वापसी की व्यवस्था करना राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है. वंदे भारत मिशन के तहत केंद्र सरकार विभिन्न देशों से उन भारतीयों को वापस ला रही थी जो कोविड-19 महामारी के दौरान वापस लौटना चाहते थे. लेकिन केंद्र सरकार द्वारा की गई व्यवस्था विभिन्न देशों में फंसे प्रवासियों की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं थी.

इसलिए, बहुत से लोग समय पर केरल नहीं लौट सके और खाड़ी देशों में जहां वे काम कर रहे थे संक्रमण की चपेट में आ गए, उनमें से कई ने महामारी के कारण दम तोड़ दिया और जब उनके शवों को केरल में उनके पैतृक गांवों में ले जाया गया, जिसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार के खिलाफ काफी हंगामा हुआ.

हालांकि, महामारी के दौरान केरल राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली चिकित्सा सुविधाएं देश में सबसे उत्कृष्ट और सर्वश्रेष्ठ थीं. कोविड -19 के दौरान चिकित्सा सेवाओं के लिए राज्य सरकार और उसके स्वास्थ्य मंत्री की पूरे देश में सराहना भी हुई थी.

केरला के प्रवासियों की तस्वीरों का माध्यमम में प्रकाशित होना न तो केरल राज्य सरकार के खिलाफ था और न ही संयुक्त अरब अमीरात या किसी भी खाड़ी देशों की सरकार के खिलाफ था, लेकिन इस घटना की वजह से राज्य के लोगों की सरकार विरोधी प्रतिक्रिया देखने को मिली. राज्य की सीपीआई(एम) सरकार ने शवों की तस्वीरें प्रकाशित करने के लिए माध्यमम की तीखी आलोचना की थी.

यूएई के राजनयिक चैनल का दुरुपयोग कर 30 करोड़ रुपये के सोने की स्मगलिंग में अपना नाम आने से पहले जलील ने यह सब किया था. संयुक्त अरब अमीरात के पूर्व महावाणिज्य दूत और उनकी निजी सहायक स्वप्ना सुरेश ने खाड़ी में माध्यमम अखबार के खिलाफ साज़िश में जलील की कथित तौर पर मदद की थी.

लेकिन बाद में संयुक्त अरब अमीरात के राजनयिक चैनल का उपयोग करके सोने की तस्करी मामले में गिरफ्तार किये जाने के पश्चात जलील और स्वप्ना सुरेश के बीच संबंध खराब हो गए. मुख्य आरोपी के रूप में गिरफ्तार की गई स्वप्ना ने केंद्रीय जांच एजेंसियों को सीएम विजयन, उनकी पत्नी कमला, उनकी बेटी वीना, उनके सचिव सीएम रवींद्रन, सीएमओ में पूर्व प्रमुख सचिव एम शिवशंकर, पूर्व मुख्य सचिव नलिनी नेट्टो और केटी जलील के सोने की स्मगलिंग में शामिल होने के बारे में बताया.

कस्टम विभाग ने 5 जुलाई, 2020 को 30 करोड़ रुपये का 30 किलोग्राम 24 कैरेट सोना जब्त किया था. इस सोने की तस्करी राजनयिक सामान बताकर की गई थी, जिसे तिरुवनंतपुरम में संयुक्त अरब अमीरात के वाणिज्य दूतावास में पहुंचाया जाना था.

हालांकि, केटी जलील ने सोने की तस्करी में अपनी संलिप्तता से इनकार किया है और आरोप लगाया कि उनका नाम स्वप्ना सुरेश ने पूर्व विधायक पीसी जॉर्ज, भाजपा और यूडीएफ के इशारे पर पिनारयी सरकार की छवि खराब करने के इरादे से घसीटा है.

जब तस्करी की घटना हुई तब स्वप्ना सुरेश केरल में संयुक्त अरब अमीरात के महावाणिज्य दूतावास की निजी सहायक के रूप में काम कर रही थीं और इसी कारण उनपर मुख्य आरोपी के रूप में मामला दर्ज किया गया था. मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और कस्टम विभाग द्वारा की जा रही है. स्वप्ना को एनआईए ने 11 जुलाई, 2020 को गिरफ्तार किया था और 16 महीने बाद 6 नवंबर, 2021 को रिहा किया गया था.

देश विरोधी गतिविधियों में शामिल केटी जलील : स्वप्ना सुरेश

स्वप्ना ने, केटी जलील पर गुरुवार (21 जुलाई, 2022) को केरल उच्च न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत एक हलफनामे में “राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने का आरोप” लगाया, इस बयान से राजनीतिक और राजनयिक हलकों में एक तूफान खड़ा हो गया.

स्वप्ना ने आरोप लगाया कि, “केटी जलील ने विदेश मंत्रालय की जानकारी के बिना वाणिज्य दूतावास परिसर में यूएई के महावाणिज्य दूत के साथ विदेश मंत्रालय के प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए कई बंद कमरे में बैठक की”. फिलहाल इस आरोप की जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है.

स्वप्ना ने अपने बयान में आगे कहा कि, हालांकि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि जलील और यूएई के महावाणिज्य दूत के बीच क्या हुआ था. लेकिन उसने हलफनामे में कहा कि उसने जलील से व्हाट्सएप चैट की थी, जिसमें “यूएई में काम करने वाले बहुत केरल के प्रवासियों को वापस लाने में हुई देरी” पर बात की थी.

स्वप्ना ने हलफनामे में आरोप लगाया कि माध्यमम द्वारा प्रकाशित कोविड -19 के कारण संयुक्त अरब अमीरात में हुई प्रवासियों की मौत की खबर दिखाते हुए जलील ने उससे संपर्क किया और उसे कहा कि इसका उपयोग खाड़ी देशों में माध्यमम के “प्रकाशन पर प्रतिबंध लगाने के लिए” किया जा सकता है.

जलील ने स्वप्ना से कहा कि, “इससे उन्हें अपनी पार्टी में राजनीतिक लाभ हासिल होगा”. जलील ने स्वप्ना से कथित तौर पर ऐसे कदम उठाने का अनुरोध किया जिससे वह यूएई के शासकों की नज़रों में अच्छा बन सकें.

हलफनामे के मुताबिक, जलील ने स्वप्ना को बताया था कि वह माध्यमम के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने के लिए काम कर रहा है, जैसा कि खुद संयुक्त अरब अमीरात के महावाणिज्य दूत ने सुझाव दिया था.

स्वप्ना ने कथित तौर पर कौंसल जनरल से उस बारे में बात की जो जलील ने उसेसे कहा था. स्वप्ना ने हलफनामे में कहा है कि, कौंसल जनरल ने कथित तौर पर जलील के इस कदम का समर्थन किया था.

कॉन्सल जनरल ने कथित तौर पर स्वप्ना को भी बताया कि, “राजनयिक चैनल का दुरुपयोग कर की जाने वाली कॉन्सल जनरल की अनधिकृत व्यावसायिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए केटी जलील ने उनसे राज्य सरकार के साथ-साथ मुख्यमंत्री का भी सहयोग दिलाने का वादा किया है. आरोप की गंभीरता देखते हुए राजनयिक चैनलों का दुरुपयोग करके किसी विदेशी देश में अनधिकृत व्यापार करने के लिए कौंसल जनरल की जांच भी हो सकती है. तस्करी रैकेट का खुलासा होने के बाद संयुक्त अरब अमीरात के पूर्व कौंसल जनरल ने भारत छोड़ दिया.

स्वप्ना के हलफनामे के अनुसार कौंसल जनरल ने याचिकाकर्ता (स्वप्ना) को यह बताया था कि उसने और केटी जलील ने केरल के अंदर और बाहर कई व्यवसायों की योजना बनाई है. यह भी कि केटी जलील को संयुक्त अरब अमीरात के शासकों की नज़रो में ऊंचा स्थान दिलाना ज़रूरी है. इसी दिशा में यह पहला कदम होगा और यह कि संयुक्त अरब अमीरात के शासकों के समक्ष खाड़ी देशों में माध्यमम की गतिविधियों को यूएई के खिलाफ चित्रित किया जाए जिससे आगे के लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी.

कॉन्सल जनरल ने कथित तौर पर स्वप्ना को बताया कि माध्यमम पर प्रतिबंध लगावाने से अपने राजनीतिक दल में केटी जलील को राजनीतिक लाभ मिलेगा इससे वह वाणिज्य दूतावास का दुरुपयोग करने वाले कौंसल जनरल की व्यावसायिक गतिविधियों में सहयोग करने के लिए पार्टी और सरकार को प्रभावित कर सकेंगे. स्वप्ना ने आगे आरोप लगाया कि इसके बाद वह माध्यमम के खिलाफ यूएई के शासक को पत्र भेजने में केटी जलील की मदद करने के लिए तैयार हो गई.

स्वप्ना के हलफनामे के अनुसार बातचीत के दौरान स्वप्ना के एक सवाल के जवाब में जलील ने कहा कि उनके पत्र की सामग्री यूएई के खिलाफ नहीं थी. जलील ने स्वप्ना को बताया कि वह समाचार रिपोर्ट का अंग्रेजी अनुवाद नहीं बल्कि तस्वीरों के साथ मलयालम भाषा की मूल प्रति भेज रहा है.” अर्थात के टी जलील की कोशिश संयुक्त अरब अमीरात के शासक और उसके प्रशासन को अपने राजनीतिक लाभ के लिए धोखा देना और मूर्ख बनाने की थी.

स्वप्ना ने यूएई के पूर्व कौंसल जनरल पर लगाए गंभीर आरोप

अपने पूर्व बॉस पर गंभीर आरोप लगाते हुए स्वप्ना ने हलफनामे में खुलासा किया कि यूएई के कौंसल जनरल द्वारा उस पर केटी जलील और कौंसल जनरल का साथ देने के लिए दबाव डाला गया और कौंसल जनरल के ईमेल के माध्यम से केटी जलील के पत्र को यूएई के शासक को अग्रेषित करने के लिए कहा गया.

जलील ने भारत से ज्यादा यूएई के हितों की रक्षा की

स्वप्ना ने हलफनामे में कहा कि केटी जलील ने संयुक्त अरब अमीरात और उसके शासकों के हितों की रक्षा के नाम पर बिना किसी कानूनी अधिकार या शक्ति के सीधे एक राज्य के प्रमुख को पत्र लिखा था जो कि ऐसा करना देश के खिलाफ है.

उन्होंने कहा कि केटी जलील की कार्रवाई “उनके पद और उसके लिए ली गई शपथ” का पूरी तरह से उल्लंघन करती है क्योंकि उनका यह कृत्य हमारे देश, उसके नागरिकों और देश के एक जाने माने मलयाली दैनिक समाचार पत्र (माध्यमम) के भी खिलाफ है.

स्वप्ना के हलफनामे के अनुसार केटी जलील की हरकत न सिर्फ भारत के एक संवैधानिक पद पर रहते हुए इस देश के नागरिकों और संगठनों के खिलाफ साजिश थी बल्कि “एमईए प्रोटोकॉल” का भी उल्लंघन करती है और यह “असंवैधानिक”, “राष्ट्र-विरोधी” भी है.

वह अपने हलफनामे में कहती हैं, “केटी जलील के पत्र की सामग्री से, यह स्पष्ट हो जाता है कि उनकी निष्ठा भारत के मुकाबले संयुक्त अरब अमीरात के प्रति अधिक है.”

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