इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा को पैगंबर पर विवादित टिप्पणी के मामले में देश के विभिन्न हिस्सों में दर्ज प्राथमिकी रिपोर्ट (एफआईआर) में गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है.
नूपुर की याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने शर्मा की विवादित टिप्पणी के मामले में गिरफ्तारी पर 10 अगस्त तक के लिए रोक लगा दी है.
अलग-अलग एफआईआर को दिल्ली में स्थानांतरित करने की मांग वाली शर्मा की याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने नोटिस जारी किया.
ज्ञात हो कि इसी पीठ ने 1 जुलाई को शर्मा की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था.
बार & बेंच के अनुसार, पीठ ने आदेश दिया, “अदालत देख रही है कि याचिकाकर्ता वैकल्पिक उपाय कैसे प्राप्त करेगा. इस तरह के तौर-तरीकों का पता लगाने के लिए प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया जाए. इस मामले को 10 अगस्त, 2022 को सूचीबद्ध किया जाए. इस बीच अंतरिम उपाय के रूप में यह निर्देश दिया जाता है कि नुपुर शर्मा के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी.”
कोर्ट ने अपने आदेश में नोट किया, “याचिकाकर्ता ने अपने खिलाफ दर्ज सभी प्राथमिकी रद्द करने के लिए इस अदालत का दरवाजा खटखटाया था. चूंकि अनुच्छेद 226 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए हाईकोर्ट द्वारा रद्द करने की उसकी प्रार्थना दी जा सकती है, इस अदालत ने 1 जुलाई, 2022 को वैकल्पिक उपाय का लाभ उठाने के लिए याचिकाकर्ता को हटा दिया.”
कोर्ट ने कहा, “याचिकाकर्ता ने अब एक विविध आवेदन दायर किया है जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ यह इंगित किया गया है कि उसके लिए इस अदालत द्वारा दिए गए वैकल्पिक उपाय का लाभ उठाना असंभव हो गया है और अनुच्छेद 21 के तहत गारंटी के अनुसार उसके जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करने की एक आसन्न आवश्यकता है.”
नूपुर के खिलाफ अलग-अलग राज्यों में दर्ज है 9 FIR
ज्हैञात हो कि नूपुर शर्मा के खिलाफ 9 अलग-अलग राज्यों में मामले दर्ज हैं. कोलकाता पुलिस ने नूपुर के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर रखा है. नूपुर ने अपने खिलाफ दर्ज सभी केसों की सुनवाई दिल्ली में हस्तांतरित करने और गिरफ्तारी पर रोक लगाने की मांग की थी.
कोर्ट ने फिलहाल इन दर्ज मामलों में गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है साथ ही बेंच ने सभी मामलों को साथ मिलाने पर संबंधित राज्यों से उनका जवाब मांगा है.
नूपुर शर्मा को 1 जुलाई को कोर्ट ने लगाई थी फटकार
शर्मा ने पहले शीर्ष अदालत का रुख किया था जिसमें उन्होंने मांग की थी कि पैगंबर पर उनकी टिप्पणी के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में उनके खिलाफ दर्ज FIR को दिल्ली में स्थानांतरित कर दिया जाए.
हालांकि, इसी पीठ ने 1 जुलाई को शर्मा की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था और नूपुर शर्मा को कड़ी फटकार लगाई थी.
सुनवाई के दौरान पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि शर्मा पूरे भारत में आग की लपटों के लिए अकेले जिम्मेदार है और उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए.
न्यायमूर्ति कांत ने कहा था, “जिस तरह से उन्होंने पूरे देश में भावनाओं को आग लगा दी है. देश में जो हो रहा है उसके लिए यह महिला अकेले जिम्मेदार है. हमने इस बहस को देखा कि उसे कैसे उकसाया गया. लेकिन उन्होंने जिस तरह से यह सब कहा और बाद में कहा कि वह एक वकील थीं, यह शर्मनाक है. उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए.”
ज्ञात हो कि जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने एक जुलाई को शर्मा की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था.
सुनवाई के दौरान, पीठ ने शर्मा के खिलाफ कड़ी मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि वह “देश में जो हो रहा है उसके लिए जिम्मेदार हैं.”
अदालत ने कहा कि किसी राजनीतिक दल का प्रवक्ता होना गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी करने का लाइसेंस नहीं है. पीठ ने यह भी कहा था कि याचिका “अहंकार की बू आती है कि देश के मजिस्ट्रेट उसके लिए बहुत छोटे हैं.”
अपनी टिप्पणी में कोर्ट ने कहा था कि उसे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बजाय वैकल्पिक उपायों का लाभ उठाना चाहिए. पीठ की आलोचनात्मक टिप्पणी के बाद शर्मा के वकील ने याचिका वापस लेने का फैसला किया था.