ख़ान इक़बाल
नई दिल्ली | फैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर के समर्थन में सोशल साईट ट्विटर पर #IStandWithZubair ट्रेंड कर रहा है. इस हैश टैग से अब तक 2 लाख से अधिक ट्वीट किये जा चुके हैं. ट्वीट करने वालों में पत्रकार सामजिक कार्यकर्त्ता और अन्य मशहूर हस्तियाँ शामिल हैं.
क्या है पूरा मामला
ज़ुबैर पर उत्तर प्रदेश में एक मामला दर्ज हुआ है, उन पर आरोप है कि उन्होंने कुछ विवादित धर्मगुरुओं, यति नरसिंहानंद सरस्वती, बजरंग मुनि और आनंद स्वरुप को “हेट मोंगर” यानी नफ़रत फैलाने वाला कहा है.
जिसके बाद जुबैर पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से) और साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 (इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री को प्रकाशित या प्रसारित करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
दरअसल 27 मई को मोहम्मद ज़ुबैर ने लिखा कि भारतीय समाचार चैनलों पर प्राइम टाइम की बहस “नफ़रत फैलाने वालों और अन्य धर्मों के बारे अपमानजनक भाषा बोलने के लिए प्रोत्साहित करने का मंच बन गई हैं”.
ज़ुबैर ने आगे ट्वीट करते हुए लिखा था कि, “हमें यति नरसिंहानंद सरस्वती या महंत बजरंग मुनि या आनंद स्वरूप जैसे नफरत फैलाने वालों की आवश्यकता क्यों है, जो एक समुदाय और धर्म के खिलाफ बोलने के लिए एक धर्म संसद करते हैं, जबकि हमारे पास पहले से ही एंकर हैं जो न्यूज़ स्टूडियो से बहुत बेहतर काम कर सकते हैं”.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने FIR रद्द करने से इनकार किया
मोहम्मद ज़ुबैर ने अपने ख़िलाफ़ हुई FIR रद्द करवाने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख़ किया था लेकिन 13 जून को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनपर हुई FIR को रद्द करने से मना कर दिया.
हाईकोर्ट में याचिका दाख़िल करते हुए ज़ुबैर ने ये दावा किया था कि अपने ट्वीट में उन्होंने किसी वर्ग की धार्मिक आस्था का अपमान करने का प्रयास नहीं किया है.
उसके बाद अदालत ने कहा कि अभी मामला शुरूआती चरण में है और इसमें जाँच होना अभी बाक़ी है.
ट्विटर पर मिला समर्थन
ट्विटर पर ज़ुबैर को काफ़ी समर्थन मिल रहा है. लोगों का कहना है की ज़ुबैर साहसिक पत्रकारिता कर रहे हैं और उन्हें टार्गेट किया जा रहा है.
पत्रकार आदित्य मेनन लिखते हैं, “मैं ज़ुबैर के साथ हूँ, उन्होंने जो काम किया है और जो साहस दिखाया है, उसके लिए हम ज़ुबैर के कर्जदार हैं. ईश्वर उसे सुरक्षित रखें.”
पत्रकार पुनीत कुमार सिंह लिखते हैं, “मैं ज़ुबैर के साथ हूँ, क्यूँकि ज़ुबैर सच के साथ है.”
कॉम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माले) के नेता दीपांकर ने ज़ुबैर के समर्थन में ट्वीट करते हुए लिखा, “मैं ज़ुबैर के साथ हूँ, क्योंकि वह नफ़रत और झूठ के खिलाफ सच्चाई और न्याय के लिए साहस पूर्वक लड़ता है. मजबूत रहो ज़ुबैर, जनता विजयी होगी, सच्चाई की जीत होगी! लोकतंत्र की जीत होगी.”
आरजे साएमा ने ट्वीट किया, “बेफिक्र और गर्व से कहती हूँ मैं ज़ुबैर के साथ हूँ. मोहम्मद ज़ुबैर एक असली देशभक्त है.”
धर्म संसद के नाम पर मुसलमानों के नरसंहार की बातें:
इसी साल जनवरी महीने में हरिद्वार और दिल्ली में धर्म संसदों का आयोजन किया गया था. ये “धर्म संसद” उस समय चर्चा में आईं जब इनमें मुसलमानों के ख़िलाफ़ भड़काऊ भाषण दिए गए. इसमें मुसलमानों के नरसंहार की बातें की गई थी.
इस धर्म संसद में यति नरसिंहानंद और आनंद स्वरूप की अहम भूमिका थी. बाद में हरिद्वार में इनके ख़िलाफ़ मामला भी दर्ज कर लिया गया था. यति नरसिंहानंद को हरिद्वार पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किया गया था और 7 फ़रवरी को ज़मानत भी मिल गई थी.
यति नरसिंहानंद कई बार मुसलमानों के ख़िलाफ़ भड़काऊ बयान देते रहा है. यति ने कुछ दिन पहले घोषणा की थी कि वो उस व्यक्ति को एक करोड़ रुपये देंगे जो “हिन्दू प्रभाकरण” बनेगा.
निशाने पर हैं मोहम्मद ज़ुबैर:
मोहम्मद ज़ुबैर फ़ैक्ट चेक वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक हैं. उन्होंने पिछले दिनों ऐसी कई फ़र्ज़ी ख़बरों का खंडन किया है जिससे समाज में वैमनस्यता फैल सकती थी.
हरिद्वार और दिल्ली में हुई धर्म संसदों में मुसलमानों के ख़िलाफ़ भड़काऊ भाषण और उनके नरसंहार के भाषणों कि वीडियो क्लिप्स मोहम्मद ज़ुबैर ने ही सोशल मीडिया पर जारी की थी.
पिछले दिनों भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगंबर मुहम्मद साहब के बारे में आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग किया, जिसका अनुवाद मोहम्मद ज़ुबैर ने अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट किया था, जिसके बाद पूरी दुनिया में भारतीय जनता पार्टी को भारी विरोध का सामना करना पड़ा था.