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Thursday, March 28, 2024
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क्या धार्मिक मसलों की आड़ में देश के असल मुद्दों से जनता का ध्यान भटका रही मोदी सरकार?

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | देश के असल मुद्दों से जनता का ध्यान हटाने के लिए मोदी सरकार जानबूझकर धार्मिक मसलों को उछाल कर हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोगों को आपस में उलझा रही है। देश में इस समय मंहगाई और बेरोज़गारी जैसे बड़े मुद्दे बड़ी समस्या के रूप में सामने खड़े हुए हैं। इनसे देश की अधिकाधिक आबादी प्रभावित है। मोदी सरकार इन बड़े मुद्दों से मुंह चुरा रही है और भाग रही है।

भाजपा इन मुख्य मुद्दों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए जानबूझकर धार्मिक मसलों को उछाल रही है और हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोगों को आपस में उलझा रही है। इस समय देश में मंहगाई सबसे बड़ा मुद्दा है। इससे आम आदमी सीधे तौर पर प्रभावित है और वह मंहगाई की मार से परेशान है। लेकिन मोदी सरकार को जनता से जुड़े हुए इस मुद्दे की कोई चिंता नहीं है।

मोदी सरकार जनता को इससे छुटकारा दिलाने के लिए प्रयास नहीं कर रही है बल्कि मंहगाई को और बढ़ाने का काम कर रही है। आज आटा-दाल से लेकर तेल और साबुन की कीमतें तक बढ़ी हुई हैं। आम आदमी की रसोई सीधे तौर पर प्रभावित है। आम आदमी से जुड़ी हुई चीजों के कीमतों के लगातार बढ़ने को मोदी सरकार कंट्रोल में करने में फेल है।

आम आदमी की रसोई को चलाने में बड़ा योगदान करने वाली रसोई गैस सिलेंडर की कीमत लगातार बढ़ती जा रही है। रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 1000 रुपए से पार हो गई है। रसोई गैस सिलेंडर की कीमतों को लगातार बढ़ाकर मोदी सरकार जनता को मंहगाई के बोझ से और दबा रही है। इसकी कीमतों को जब पिछली सरकार में बढ़ाया जाता था, तो भाजपा के बड़े नेता रसोई गैस सिलेंडर लेकर सड़कों पर उतर कर सरकार का विरोध करते थे और तत्कालीन सरकार को लानत-मलानत भेजते थे। लेकिन अब सत्ता में बैठे इन राजनेताओं को रसोई गैस सिलेंडर की बढ़ती हुई कीमतें नहीं दिखाई देती हैं।

इन राजनेताओं ने अपनी आंखों पर काला चश्मा चढ़ा रखा है या फिर सत्ता की मलाई खाते-खाते अंधे हो गए हैं, जिससे रसोई गैस सिलेंडर की बढ़ती हुई कीमत इन्हें नहीं दिखाई दे रही है। दिसंबर 2020 में दिल्ली में रसोई गैस सिलेंडर की कीमत 644 रुपए थी। अब यह 1000 रुपए से पार हो गई है। लेकिन इन राजनेताओं को रसोई गैस सिलेंडर की बढ़ती हुई कीमत नहीं दिखाई दे रही है, क्योंकि यह सत्ता के गुरुर में जी रहे हैं।

मोदी सरकार ने उज्ज्वला योजना चलाकर देश में गरीबों को मुफ्त में गैस कनेक्शन दिया था और उनको गैस चूल्हा एवं गैस सिलेंडर फ्री में दिया था। मोदी सरकार ने इन गरीबों को यह फ्री में सुविधा उपलब्ध कराते समय कहा था कि इससे महिलाओं की आंखें नहीं खराब होंगी और उनको धुंए से छुटकारा मिलेगा। इसके साथ ही पर्यावरण को प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी।

रसोई गैस सिलेंडर की कीमत बढ़ने से इन गरीबों ने गैस सिलेंडर को निकाल कर घरों के कोनों में डाल दिया है और वह अब गैस सिलेंडर नहीं भरवा रहे हैं बल्कि पुरानी व्यवस्था से लकड़ी-चूल्हा जलाकर जीवन-चर्या चला रहे हैं। वे रसोई गैस की बढ़ती हुई कीमत को बर्दाश्त करने में सक्षम नहीं हैं। इस प्रकार मोदी सरकार की उज्ज्वला योजना धूल-धूसरित हो गई है। लेकिन नरेंद्र मोदी को यह सच्चाई नहीं दिखाई देती है।

महंगाई के साथ ही देश में बेरोज़गारी की समस्या से लोग जूझ रहे हैं। युवा बेरोज़गार रोज़गार के लिए परेशान हैं। लेकिन नरेंद्र मोदी बेरोज़गारी बढ़ाने में जुटे हुए हैं। उन्होंने देश के तमाम सरकारी संस्थान निजी क्षेत्र में बेंच दिया है। सरकारी संस्थान के बिकने से नौकरियों की कमी हो गई है, क्योंकि खरीदने वाले लोग अपने हिसाब से नौकरी देंगे और वह सरकार के दबाव में नहीं रहेंगे।मज़ेदार बात यह है कि जिनसे बेरोज़गार युवाओं को रोज़गार मिलता, उन कामों को भी मोदी सरकार ने विदेशी हाथों में सौंप दिया है।

जब देश में लोग ताजमहल, ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद और कुतुबमीनार के मसलों में उलझे हुए थे, तब मोदी सरकार ने चीन को चोरी-छिपे 39000 रेल पहिए बनाने का ऑर्डर दे दिया। अगर यही रेल पहिए भारत के रेल कारखानों में बनते, तो भारत के रेलवे को मज़बूती मिलती और भारत के युवा बेरोज़गारों को रोज़गार मिलता। लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार ने चीन को मज़बूत बनाने का काम किया और भारत के युवा को रोज़गार से दूर कर बेरोज़गारी बढ़ाने का काम किया।

नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश के हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोगों को आपस में उलझा कर चीन को आर्थिक रूप से मज़बूत बनाने का काम किया और युवा बेरोज़गारों को इसकी भनक तक नहीं लगी। लोग धार्मिक मसलों में उलझे रहे और मोदी सरकार ने अपना काम कर दिया। नरेंद्र मोदी ने अपने अंधभक्तों को धर्म की अफीम खिला रखी है कि उन्हें सच्चाई दिखाई नहीं देती है और वह केवल मुस्लिमों का विरोध करने तक में सीमित रह गए हैं। यह अंधभक्त जब मोदी सरकार की असलियत से रूबरू होंगे, तब वह कोई काम करने लायक नहीं रहेंगे। वे एक-एक रोटी के लिए सड़कों पर घूमते हुए नज़र आएंगे।

मोदी सरकार ने अपने 8 साल के कार्यकाल में अपने व्यापारी मित्रों को बड़ा आदमी बनाने और उनको आर्थिक रूप से मज़बूत बनाने का काम किया है। मोदी सरकार ने अपने व्यापारी मित्रों को तमाम सरकारी संस्थान औने पौने दाम पर बेंच कर उनको मज़बूती प्रदान किया है और भारत को कंगाल बना दिया है और आर्थिक रूप से देश को कमज़ोर कर दिया है। नरेंद्र मोदी अपने लोगों को लाभ पहुंचाने में आज भी जुटे हुए हैं।

“देश नहीं बिकने दूंगा” जैसा जुमला कहकर देश को बेवकूफ बनाने और देश से झूठ बोलने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा रामदेव को औने पौने में 211 करोड़ रुपए में पवनहंस हेलिकॉप्टर की 51 फीसदी हिस्सेदारी बेंच दी। जबकि इसकी कीमत 500 करोड़ रुपए से अधिक थी। हैरत की बात यह है कि बाबा रामदेव की जिस कम्पनी ने यह पवनहंस हैलीकॉप्टर खरीदा है, उनकी यह कम्पनी अभी 2021 में बनी है और उसके पास हैलीकॉप्टर संचालन का कोई अनुभव नहीं है।

इस तरह नरेंद्र मोदी ने बाबा रामदेव को सरकारी संपत्ति (पवनहंस हैलीकॉप्टर) बेच कर बाबा रामदेव को लाभ पहुंचाने का काम किया है। बाबा रामदेव पवनहंस हैलीकॉप्टर पाकर मालामाल हो गए और लोगों को पता ही नहीं चला। लोग हिंदू-मुस्लिम में लगे रहे और नरेंद्र मोदी ने बाबा रामदेव को कौड़ियों के मोल पवनहंस हैलीकॉप्टर दे दिया।

यहां पर यह समझने वाली बात है कि जब देश में कोई मुद्दा उछाला जाए, तो लोगों को यह समझ जाना चाहिए कि अब देश में कोई बड़ा खेल होने वाला है। चाहे वह सरकारी संस्थाओं का बिकना हो या कुछ और। मोदी सरकार इस तरह का काम यानि इस प्रकार से तमाम मुद्दे उठाकर लोगों को आपस में उलझा देती है और लोगों का ध्यान भटका कर सरकारी संस्थाओं को बेच देती है। जैसा कि अब तक किया गया है।

मोदी सरकार का चीन प्रेम उसको कटघरे में खड़ा करता है। अरुणाचल प्रदेश भारत का अंग है। यहां पर चीन ने अरुणाचल प्रदेश में अपना गांव बसा दिया है। इस पर मोदी सरकार ने अभी तक कोई भी सार्थक कदम नहीं उठाया है। यह मसला अभी हल भी नहीं हुआ है कि चीन ने भारत के लिए एक और खतरे की घण्टी बजा दी है। पूर्वी लद्दाख में चीन पैंगोंग झील के पास एक और नया पुल बना रहा है। सामरिक दृष्टि से यह भारत के लिए ठीक नहीं है। इसके बन जाने से चीन भारत की सीमा तक आसानी से आ-जा सकता है। लेकिन भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस मामले पर चुप्पी साधे रहना उनको कटघरे में खड़ा करता है।

देश के नागरिकों द्वारा सच कहने पर उनको देशद्रोही बताने वाले और नागरिकों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कराने वाली मोदी सरकार के मुंह में इस मामले पर दही जम गया है। मैं इस मामले को आप सभी के ऊपर छोंड़ता हूं कि आप इस पर मोदी सरकार को क्या कहेंगे?

पैंगोंग झील पर चीन द्वारा एक और दूसरा पुल बनाए जाने का मामला तब प्रकाश में आया है, जब देश में धार्मिक मसले छाए हुए हैं और हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोग आपस में उलझे हुए हैं। लेकिन लोग ऐसे नहीं उलझे हुए हैं बल्कि मोदी सरकार ने लोगों का असल मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए उनको आपस में उलझाया है, जिससे लोगों का ध्यान चीन, पैंगोंग झील और मोदी सरकार की नाकामी की ओर न जाए।

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