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Tuesday, April 16, 2024
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ज्ञानवापी मस्जिद, मस्जिद है और मस्जिद ही रहेगी: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

इंडिया टुमारो

लखनऊ | ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वेक्षण के बाद वजू ख़ाने को सील करने की कड़ी निंदा की है.

पर्सनल लॉ बोर्ड ने सर्वेक्षण की रिपोर्ट पर न्यायालय द्वारा मस्जिद के वज़ूख़ाने को सील करने की प्रक्रिया को मुसलमानों के साथ घोर अन्याय बताया है.

बोर्ड ने सोमवार को जारी अपने बयान में कहा कि, “ज्ञानवापी मस्जिद के बारे में मौजूदा स्थिति मुसलमानों के लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य है और ज्ञानवापी एक मस्जिद थी और अंत तक एक मस्जिद ही बनी रहेगी.”

मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रह़मानी, महासचिव- ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने एक बयान में कहा है कि, “ज्ञानवापी मस्जिद बनारस, मस्जिद है और मस्जिद रहेगी, उसको मंदिर बनाने का कुप्रयास सांप्रदायिक घृणा पैदा करने की एक साजिश से ज़्यादा कुछ नहीं, यह ऐतिहासिक तथ्यों एवं कानून के विरुद्ध है.”

उन्होंने कहा, “1937 में दीन मुह़म्मद बनाम राज्य सचिव मामले में अदालत ने मौखिक गवाही और दस्तावेजों के आलोक में यह निर्धारित किया कि पूरा परिसर मुस्लिम वक़्फ़ की मिल्कियत है और मुसलमानों को इसमें नमाज़ अदा करने का अधिकार है, अदालत ने यह भी तय किया कि विवादित भूमि में से कितना भाग मस्जिद है और कितना भाग मंदिर है, उसी समय वज़ू ख़ाना को मस्जिद की मिल्कियत स्वीकार किया गया फिर 1991 ई0 में (Place of Worship Act 1991) संसद से पारित हुआ, जिसका सारांश यह है 1947 ई0 में जो धार्मिक स्थल जिस स्थिति में थे उन्हें उसी स्थिति में बनाए रखा जाएगा.”

एआईएमपीएलबी के महासचिव, मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने कहा कि ज्ञानवापी एक मस्जिद है और एक मस्जिद रहेगी. इसे मंदिर में बदलने का प्रयास सांप्रदायिक ताकतों द्वारा नफरत फैलाने की साजिश से ज्यादा कुछ नहीं है.

ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति के एक वकील रईस अहमद अंसारी ने मस्जिद में शिवलिंग पाए जाने के बारे में याचिकाकर्ताओं के दावे को गलत बताया है. अंसारी ने कहा कि मस्जिद के वजू खाना में केवल एक फव्वारा है.

उत्तर प्रदेश के वाराणसी की एक अदालत द्वारा उस स्थान को सील करने का आदेश दिया गया है जहां शिवलिंग पाए जाने का दावा किया गया है. ऐसा दावा हिंदू याचिकाकर्ताओं ने किया है.

वाराणसी अदालत का आदेश एक वकील द्वारा दायर एक याचिका पर आधारित था जिसमें कहा गया था कि कुछ ठोस सबूत हैं जिन्हें संरक्षित करने की आवश्यकता है.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण और वीडियोग्राफी करने की अनुमति दी थी.

18 अप्रैल, 2021 को, दिल्ली की पांच महिलाएं – राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, सीता साहू, अन्य लोगों ने अपनी याचिका के साथ अदालत का रुख किया था, जहां उन्होंने मस्जिद की बाहरी दीवारों पर हिंदू देवताओं की मूर्तियों के सामने दैनिक प्रार्थना की अनुमति मांगी थी.

याचिकाकर्ताओं ने अपने विरोधियों को मूर्तियों को कोई नुकसान पहुंचाने से रोकने की भी मांग की थी.

हिंदू पक्ष के एक वकील मदन मोहन यादव ने दावा किया है कि शिवलिंग नंदी के सामने है और 12 फीट 8 इंच व्यास का है.

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपने बयान में यह भी कहा है, “अदालत की इस कार्रवाई ने न्याय की आवश्यकताओं का उल्लंघन किया है इसलिए सरकार इस निर्णय के कार्यान्वयन को तुरंत रोके, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा करे और 1991 ई0 के क़ानून के अनुसार सभी धार्मिक स्थलों की रक्षा करे, यदि इस प्रकार के काल्पनिक तर्कों के आधार पर धार्मिक स्थलों की स्थिति परिवर्तित की जाएगी जाती है तो पूरे देश में अराजकता फैल जाएगी.”

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