मसीहुज़्ज़मा अंसारी
नई दिल्ली | दिल्ली में बीते शनिवार को हनुमान जयंती के जुलूस में मस्जिद पर भगवा झंडा लगाने को लेकर शुरू हुए विवाद के बाद हुई हिंसा को लोग भूलने की कोशिश कर ही रहे थे तभी जहांगीरपुरी में MCD द्वारा अवैध निर्माण हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी गई और कई दुकानों और घरों पर बुलडोज़र चला दिया गया.
MCD द्वारा की गई इस कार्रवाई को बदले की भावना से प्रेरित कार्रवाई बताया गया, हालांकि MCD अधिकारियों का कहना है कि ये कार्रवाई केवल अवैध कब्ज़े को हटाने के लिए की गई है.
भारी पुलिस बल तैनात कर MCD द्वारा जहांगीरपुरी में अवैध कब्ज़े के नाम पर चलाए गए बुलडोज़र के कारण सैकड़ों परिवारों के सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है.
वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा कोर्ट का रुख करने पर सुप्रीम कोर्ट ने MCD की इस कार्रवाई को रोकने और यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश जारी किया.
हालांकि कोर्ट के आदेश के दो घंटे के बाद भी MCD कोर्ट का आदेश पहुंचने तक कार्रवाई करता रहा. इस बीच MCD द्वारा कई गुमटियों और दुकानों के बाहर निकले हिस्सों को तोड़ा जाता रहा.
MCD का मस्जिद और मंदिर को लेकर दोहरा रवैया
जहांगीरपुरी में अवैध निर्माण के नाम पर जामा मस्जिद के उस गेट और दीवार को गिरा दिया गया जिस गेट पर 16 अप्रैल को हिंसा वाली शाम अराजक तत्वों द्वारा भगवा झंडा लगाने का दुस्साहस किया गया था.
MCD ने मस्जिद की दीवार और गेट तो गिरा दिया लेकिन उससे चंद क़दम दूर मंदिर के अतिक्रमण पर कोई कार्रवाई नहीं कि और मंदिर प्रशासन को स्वयं अतिक्रमण हटाने का मौका दिया गया. MCD के इस रवैये पर लगातार सवाल उठ रहे हैं.
कई स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जिस प्रकार मंदिर को स्वयं अतिक्रमण हटाने का मौका दिया गया उसी प्रकार मस्जिद को भी यह मौका दिया जा सकता था.
MCD द्वारा पूर्व में नहीं दी गई कोई नोटिस
स्थानीय लोगों ने इंडिया टुमारो से बात करते हुए ये आरोप लागाया कि उन्हें इस कार्रवाई को लेकर MCD द्वारा पूर्व में कोई नोटिस नहीं दी गई.
कई पीड़ितों ने बताया कि उन्हें कुछ देर पहले भी प्रशासन सूचित कर देता तो वे अपनी दुकानें और ‘अवैध निर्माण’ स्वयं हटा लेते.
अवैध निर्माण गिराने की इस कार्रवाई में दर्जनों दुकानों और गुमटियों को निशाना बनाया गया. इसमें से कुछ गुमटियां और दुकानें हिंदुओं की भी थी जिसके कागज़ात दिखाने के बाद भी प्रशासन ने एक न सुनी और बुलडोज़र चला दिया.
दुकान तोड़े जाने से परेशान पीड़ित
इंडिया टुमारो से बात करते हुए दिल्ली के जहांगीरपुरी में अवैध निर्माण के नाम पर MCD द्वारा की गई कार्रवाई में रुकैया की दुकान तोड़ दी गई. रुकैया 2 नंबर गली में रोड़ के किनारे दुकान चलाती थीं जिसकी अनुमति MCD से मिली हुई है फिर भी बिना किसी पूर्व नोटिस के दुकान तोड़ दी गई.
रुकैया ने कागज़ दिखाते हुए बताया कि वह पिछले 10 सालों से यह दुकान चलाती हैं और MCD ने इसके लिए उन्हें अनुमति भी दी हुई है.
रुकैया ने बताया कि पिछले 5 दिनों से दुकान बंद थी और अब सरकार ने आमदनी का एकमात्र ज़रिया छीन लिया. उन्हें 30 हज़ार रुपये का नुकसान हुआ है. रुकैया के तीन बच्चे हैं और उनके सामने आजीविका का संकट है.
कुशल सिनेमा के पास नज़ीर के मकान की सीढ़ियों को भी प्रशासन ने तोड़ दिया. घर से निकलने के लिए लोहे की सीढ़ी थी जिसकी जगह अब बांस की सीढ़ियों के इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि MCD ने यह कार्रवाई अचानक की इसलिए हम कुछ कर नहीं सके.
एक और पीड़ित हन्नान ने इंडिया टुमारो को बताया कि प्रशासन हम से कुछ कहता इससे पहले उसने कार्रवाई कर दी. गली का गेट बंद कर दिया गया था ताकि हम बाहर न निकल सकें. उन्होंने बताया कि कुशल चौक से 2 नंबर गली तक लगभग 18 दुकानें तोड़ी गई हैं.
चिकेन की दुकान लगाने वाले शेख रबीउल की भी दुकान तोड़ दी गई. वो 15 सालों से अपनी दुकान लगा रहे थे. उन्होंने बताया कि उनका काफी नुकसान हुआ है और आगे आजीविका को लेकर परेशान हैं.
कई हिंदुओं की दुकान पर भी चला बुलडोज़र
जहांगीरपुरी में कई हिंदुओं की दुकानें भी MCD के बुलडोज़र की ज़द में आई हैं. पान की दुकान चलाने वाले रमन झा की गुमटी तोड़ दी गई. वह 1985 से जहांगीरपुरी में पान की दुकान चला रहे हैं और साथ में पूजा-पाठ भी करवाते हैं.
MCD अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया था कि उनकी दुकान नहीं तोड़ी जाएगी. हालांकि, कार्रवाई में उनकी दुकान भी तोड़ दी गई.
जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने के नाम पर की गई कार्रवाई की ऐसी ढ़ेरों कहानियां हैं जो दुकानों और गुमटियों के मलबे में दफ्न हो गई. रोज़गार के लिए संघर्ष करने वालों के लिए रमज़ान के पवित्र माह में आर्थिक संकट का बोझ काफी बड़ा है.
MCD द्वारा जहांगीरपुरी में अवैध कब्ज़े के नाम पर चलाए गए बुलडोज़र के कारण सैकड़ों परिवारों के सामने आजीविका का संकट पैदा हो गया है.
मीडिया का रोल निराशाजनक
दिल्ली के जहांगीरपुरी में ‘बदले की भावना’ से की गई इस कार्रवाई में मीडिया बराबर का सहयोगी दिखा. मुख्यधारा मीडिया के कुछ एंकर बुलडोज़र से ढाए गए दुकानों के मलबे पर पक्षपाती रिपोर्टिंग करते नज़र आए.
गरीबों की दुकानों के मलबे पर खड़े होकर जश्न मनाने के अंदाज़ में मुख्यधारा मीडिया की रिपोर्टिंग ने दर्शाया है कि जहांगीरपुरी में सिर्फ अवैध निर्माण के मलबे नहीं थे बल्कि कमज़ोर हो चुकी लोकतांत्रिक संस्थाओं के साथ-साथ दम तोड़ चुकी पत्रकारिता के भी मलबे थे.