अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | यूपी में बहुप्रतीक्षित योगी आदित्यनाथ की सरकार का गठन हो गया है और भारी -भरकम मंत्रिमंडल बना कर अभी से 2024 के लोकसभा चुनाव को जीतने के लिए समीकरण साधने का प्रयास किया गया है।
यूपी में 10 मार्च को विधानसभा चुनाव का परिणाम आ गया था, लेकिन नई सरकार का गठन नहीं हो पा रहा था। भाजपा आलाकमान राज्य में नई सरकार बनाने के लिए रोज़ बैठकें कर तानाबाना बुन रहा था। भाजपा राज्य में 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर नई सरकार बनाने का प्रयास कर रही थी।
राज्य में नई सरकार के गठन में देरी हो रही थी। क्योंकि भाजपा अभी से यूपी में 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर पार्टी की मज़बूती के लिए सारे समीकरण साधना चाहती है, जिससे आने वाले लोकसभा चुनाव में राज्य में भाजपा अधिकतम लोकसभा सीटें जीत सके। यूपी में आज बनी नई सरकार पर नज़र डालने से लोकसभा चुनाव 2024 की छाया और समीकरण स्पष्ट नज़र आते हैं।
आज यूपी में योगी सरकार-2 का गठन हुआ है और इसमें जिस तरह से मंत्री बनाए गए हैं, उससे यह साफ संदेश निकल कर सामने आया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए नई सरकार का गठन किया गया है। इस सरकार में अभी से सभी जाति और धर्मों के लोगों को संतुष्ट करने का काम किया गया है। इसके साथ ही नई सरकार में मंत्री बने लोगों पर ध्यान देने से यह पता चलता है कि योगी आदित्यनाथ को पूरी तरह से सरकार बनाने और चलाने की उनको खुली छूट नहीं दी गई है।
आईए हम योगी आदित्यनाथ की नई सरकार की चर्चा इनकी सरकार में शामिल डिप्टी सीएम बनाने से करते हैं। नई सरकार में शामिल डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को पिछड़े वर्ग को साधने के लिए फिर से डिप्टी सीएम बनाया गया है, जबकि केशव प्रसाद मौर्य सिराथू से विधानसभा चुनाव हार गए हैं। इनकी योगी आदित्यनाथ से कभी नहीं बनती है। योगी नहीं चाहते थे कि यह फिर से डिप्टी सीएम बनाए जाएं, लेकिन इनको फिर से डिप्टी सीएम बनाया गया है।
इसी तरह ब्राम्हणों की नाराज़गी दूर करने के लिए और ब्राह्मणों को अभी से अपने पाले में रखने के लिए लखनऊ कैंट से निर्वाचित विधायक और पूर्व कानून मंत्री बृजेश पाठक को भी डिप्टी सीएम बनाया गया है। बृजेश पाठक गृह मंत्री अमित शाह के क़रीबी माने जाते हैं।
सुरेश कुमार खन्ना को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, यह लगातार कई बार से विधायक चुने जाते हैं। इन्होंने ही योगी आदित्यनाथ को दोबारा भाजपा विधायक दल का नेता बनाने का प्रस्ताव रखा था। सूर्य प्रताप शाही को भी मंत्री बनाया गया है। यह देवरिया के पथरदेवा से विधायक चुने गए हैं और पिछली सरकार में कृषि मंत्री थे।
राज्य भाजपा के अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाकर उनको ईनाम दिया गया है। उत्तराखंड की पूर्व गवर्नर एवं आगरा ग्रामीण से विधायक बनी बेबी रानी मौर्य को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। इनको मंत्री बनाकर भाजपा ने दलितों को अपने साथ बनाए रखने का काम किया है। लक्ष्मी नारायण चौधरी, जयवीर सिंह, धर्मपाल सिंह, नन्द गोपाल गुप्ता नंदी, भूपेंद्र सिंह चौधरी, अनिल राजभर, जितिन प्रसाद को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।
इसके अलावा विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस को अलविदा कह कर भाजपा में शामिल हुए और भाजपा के विधायक चुने गए राकेश सचान को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।
पीएम मोदी के खास पूर्व नौकरशाह अरविंद कुमार शर्मा को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। इनको पिछली बार भी पीएम मोदी ने मंत्री बनाने के लिए योगी आदित्यनाथ से कहा था, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने इनको मंत्री नहीं बनाया था। इनके जरिए पीएम मोदी योगी आदित्यनाथ पर निगरानी रखने का काम करेंगे।
आगरा जिले से योगेंद्र उपाध्याय को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल को अपने साथ बनाए रखने के लिए इनके पति आशीष पटेल को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। अनुप्रिया पटेल डिप्टी सीएम का पद मांग रही थीं और नहीं तो भाजपा गठबंधन से अलग होने की धमकी दे रही थीं। इसलिए अनुप्रिया पटेल को साधने के लिए उनके पति आशीष पटेल को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।
निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। संजय निषाद और योगी आदित्यनाथ के बीच छत्तीस के रिश्ते हैं और योगी एवं इनके बीच नहीं बनती है।
योगी आदित्यनाथ की सरकार में स्वतंत्र प्रभार वाले 14 मंत्री बनाए गए हैं। इनमें पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष नितिन अग्रवाल भी हैं। मुज़फ्फरनगर दंगे के आरोपी और मुज़फ़्फ़रनगर के विधायक कपिल देव अग्रवाल को भी स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया गया है।
यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान के पूर्व गवर्नर कल्याण सिंह के नाती संदीप सिंह को भी स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री बनाया गया है। रविंद्र जायसवाल, गुलाब देवी, गिरीश चन्द्र यादव, धर्मवीर प्रजापति, असीम अरुण, दयाशंकर सिंह, जेपीएस राठौर, दिनेश प्रताप सिंह, नरेंद्र कश्यप, अरुण कुमार सक्सेना और दयाशंकर मिश्र दयालू को राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया है।
योगी आदित्यनाथ की सरकार में मयंक सिंह, दिनेश खटिक, संजीव गौर, बलदेव सिंह औलख, बृजेश सिंह, संजय गंगवार, केपी मलिक, सुरेश राही, सोमेंद्र तोमर, अनूप प्रधान बाल्मीकि, प्रतिभा शुक्ला, राकेश राठौर गुरु, रजनी तिवारी, सतीश शर्मा, दानिश आजाद अंसारी और विजयलक्ष्मी गौतम राज्यमंत्री बनाई गईं हैं।
इस तरह से यूपी की नई सरकार में ब्राम्हणों, पिछड़ों, दलितों, वैश्य(बनियों) और क्षत्रिय जातियों को अपने साथ बनाए रखने के लिए भाजपा ने बड़ा प्रयास ही नहीं किया है बल्कि बड़ा दांव खेला है। योगी आदित्यनाथ की नई सरकार में मुसलमानों को भी रिझाने और अपने साथ लाने का इंतजाम किया है। इसके लिए उत्तर प्रदेश में भाषा समिति के सदस्य दानिश आजाद अंसारी को योगी आदित्यनाथ की सरकार में राज्यमंत्री बनाया गया है। दानिश आजाद अंसारी बलिया जिले के रहने वाले हैं और भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चे के उत्तर प्रदेश में महामंत्री हैं।
इस बार भाजपा सरकार में डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा का पत्ता काट दिया गया है। इसके साथ ही मथुरा के विधायक और पूर्व ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पोते और इलाहाबाद पश्चिम के विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह, लगातार 8 बार से जीत रहे भाजपा विधायक कानपुर के बड़े भाजपा नेता सतीश महाना, भाजपा नेता और पूर्व गवर्नर लालजी टंडन के बेटे आशुतोष टंडन, महेंद्र सिंह और मोहसिन रजा एवं नीलिमा कटियार को नई योगी आदित्यनाथ की सरकार में जगह नहीं दी गई है। इसको लेकर राजनीतिक क्षेत्र में तरह -तरह की चर्चा हो रही है।
भाजपा आलाकमान यानि पीएम मोदी ने 2024 को लेकर यूपी में बड़ा दांव जरूर खेला है, लेकिन योगी आदित्यनाथ सरकार के कामकाज करने के तरीके से ही भाजपा का आगे का भविष्य तय होगा।