अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | यूपी विधानसभा चुनाव में नोटा के कारण राजनीतिक पार्टियों के कई उम्मीदवारों को हार का स्वाद चखना पड़ा है। यूपी विधानसभा चुनाव में इस बार नोटा ने कमाल दिखाया है। नोटा ने पूरी ताकत के साथ चुनाव में राजनीतिक पार्टियों पर हमला बोला है और उसके उम्मीदवारों को पराजित किया है।
राजनीतिक पार्टियों को यह कतई उम्मीद नहीं थी कि नोटा का सोंटा इतना तगड़ा झटका देगा कि राजनीतिक पार्टियों के सारे समीकरण ध्वस्त हो जाएंगे और उनके उम्मीदवार चुनाव में पराजित हो जाएंगे। लेकिन नोटा ने राजनीतिक पार्टियों को सबक सिखाते हुए उनके उम्मीदवारों को हार का स्वाद चखा कर एक नया इतिहास लिख दिया है, जो राजनीतिक पार्टियों के लिए एक बड़ा संदेश दिया है।
नोटा की मार से जिन राजनीतिक पार्टियों को तगड़ा झटका लगा है, उनमें सपा और भाजपा दोनों शामिल हैं। आईये हम अब उन विधानसभा सीटों की चर्चा करते हैं जहां पर नोटा के कारण राजनीतिक पार्टियों को खामियाजा भुगतना पड़ा है। सबसे पहले हम बागपत जिले की बड़ौत विधानसभा क्षेत्र का जिक्र करते हैं। यहां पर नोटा को 579 वोट मिले हैं। भाजपा के उम्मीदवार कृष्णपाल मलिक 315 वोटों से रालोद उम्मीदवार जयवीर से जीत गए हैं। इस तरह नोटा ने भाजपा को जीत दिलाई है और रालोद को हार।
कुछ इसी प्रकार का कमाल नोटा ने बिजनौर के चांदपुर क्षेत्र में किया है। यहां पर नोटा को 854 वोट मिले हैं और सपा के स्वामी ओमवेश 234 वोट से जीत गए हैं। इन्होंने भाजपा के कमलेश सैनी को हराया है। इसी तरह सहारनपुर में नकुड़ सीट पर नोटा ने 710 वोट पाए हैं और सपा के धर्म सिंह सैनी 315 वोट से हार गए हैं। यहां पर भाजपा के मुकेश चौधरी जीते हैं।
इसी प्रकार नोटा ने बिजनौर के नहटौर में भी अपना कमाल दिखाया है। यहां पर 1057 वोट नोटा ने पाया है। भाजपा के ओम कुमार 258 वोट से विजयी हो गए हैं और उन्होंने रालोद के मुंशीराम को हराया है।
इसके बाद शाहजहांपुर के कटरा का नम्बर आता है। यहां पर नोटा को1091 वोट मिले। भाजपा के वीर विक्रम सिंह 357 वोट से सपा उम्मीदवार राजेश यादव से जीत गए।
कुछ इसी तरह कन्नौज के छिबरामऊ में हुआ। यहां पर नोटा ने 1775 वोट पाए। भाजपा उम्मीदवार अर्चना पांडेय 1,111 वोट से सपा उम्मीदवार अरविंद सिंह यादव से जीत गईं। सबसे मजेदार मामला बाराबंकी के रामनगर में देखने को मिला। यहां पर नोटा को 1,822 वोट मिले। यह नोटा को मिलने वाले सबसे ज्यादा वोट थे। यहां पर सपा के फरीद महफूज 258 वोट से जीत गए।
यूपी विधानसभा चुनाव में इस तरह नोटा ने अपना सोंटा चलाकर 7 सीटों पर अपना डंका बजाया है और जीत को हार में एवं हार को जीत में बदल कर राजनीतिक पार्टियों को बड़ा संदेश दिया है। नोटा के इस संदेश से राजनीतिक पार्टियों को सबक लेना होगा, नहीं तो नोटा अपना सोंटा चलाकर भविष्य में भी राजनीति को बड़े पैमाने पर प्रभावित करेगा, जिससे राजनीति की तस्वीर का रंग बदला हुआ नज़र आएगा।