सैयद ख़लीक़ अहमद
ज्वालापुर (हरिद्वार) | हरिद्वार, जो एक प्रसिद्ध हिन्दू तीर्थ स्थल है और जो स्वामी यति नरसिंहानंद के नेतृत्व में कट्टरपंथी सहयोगियों द्वारा किए गए मुस्लिम नरसंहार के आह्वान के बाद से अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बटोर रहा है, शायद भारत का एकमात्र ऐसा शहर है जहां मुसलमान संपत्ति नहीं खरीद सकते.
हरिद्वार के कनखल और मायापुर इलाकों में तो मुसलमानों का प्रवेश भी प्रतिबंधित है. कनखल और मायापुर तीर्थ नगरी का केंद्र हैं जहां दुनिया भर से हिंदू दर्शन के लिए आते हैं.
हरिद्वार की मेयर अनीता शर्मा के पति कांग्रेस नेता अशोक शर्मा ने इंडिया टुमारो को बताया कि यह पुराना कानून है.
हालांकि, मुस्लिम हरिद्वार शहर के बाकी हिस्सों में कहीं भी घूम सकते हैं और काम कर सकते हैं.
प्रेस क्लब ऑफ हरिद्वार के अध्यक्ष राजेंद्र नाथ गोस्वामी ने बताया कि स्थानीय हिंदू निवासियों को विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान करने, व्यापार करने के लिए सैकड़ों मुसलमान रोज़ाना हरिद्वार आते हैं.
वे आगे कहते हैं, “हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पूरी तरह से सौहार्दपूर्ण वातावरण है, और कोई भी इसे खत्म नहीं कर सकता है.”
एक हिंदी दैनिक में काम करने वाले पत्रकार दिलशाद अली के अनुसार, “गंगा नदी में डुबकी लगाने के बाद हिंदू तीर्थयात्रियों का मुंडन करने वाले सभी नाई मुसलमान ही हैं. ये नाई प्रतिदिन अपने गांवों से हरिद्वार काम करने के लिए आते हैं.”
हरिद्वार में प्लंबिंग, इलेक्ट्रिकल और ऑटोमोबाइल रिपेयरिंग समेत अन्य सभी प्रकार के काम मुस्लिम टेक्नीशियन भी करते हैं. इनमें से कुछ तकनीशियन किराए की दुकानों में काम करते हैं और कुछ हिंदुओं के स्वामित्व वाली दुकानों पर भी काम करते हैं.
‘कांवर’ या ‘बहंगी’, जिसका उपयोग “गंगा जल” ले जाने के लिए किया जाता है उसका निर्माण भी ज्वालापुर और हरिद्वार से सटे बिजनौर के मुसलमानों द्वारा किया जाता है. ‘कांवर’ का सालाना कारोबार करोड़ों रुपये का है.
हालाँकि, कुछ हिंदुत्ववादी कट्टरपंथियों ने मुसलमानों के सामूहिक नरसंहार का आह्वान करके शहर के सौहार्दपूर्ण वातावरण को खराब कर दिया है. यही नहीं, उन्होंने न केवल इस शहर में बल्कि पूरे भारत में दो धार्मिक समुदायों के लोगों के बीच सौहार्द को नष्ट करने का प्रयास किया है.
कट्टरपंथियों ने मुस्लिमों को मारने के लिए ‘हिंदू फतवा’ जारी कर हरिद्वार को अपवित्र करने का प्रयास किया है
मुसलमानों का खून बहाने का आह्वान करने के लिए हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथियों ने हरिद्वार को ही क्यों चुना? दुनिया भर में हिंदू हरिद्वार को एक पवित्र स्थान मानते हैं क्योंकि इस शहर से होकर गंगा नदी बहती है. गंगा नदी का हिन्दू धर्म में विशेष स्थान है. दुनिया भर के लाखों हिंदू इसे पवित्र नदी मानते हैं. हिंदू अपने पापों को धोने और सभी बीमारियों से खुद को मुक्त करने के लिए हरिद्वार में गंगा नदी के पानी में डुबकी लगाने के लिए आते हैं, क्योंकि हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि गंगा नदी में डुबकी लगाने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं.
गंगा नदी का उद्गम स्थल उत्तरी हिमालय के पहाड़ों में स्थित गोमुख है, जो गंगोत्री ग्लेशियर का समापन बिंदु है और हरिद्वार से 140 किमी दूर है. जब गंगोत्री ग्लेशियर की बर्फ पिघलती है, तो वह भागीरथी नदी नामक धारा के रूप में आगे बहती है. अलकनंदा नाम की एक और नदी है जो तिब्बत सीमा के भारतीय हिस्से में स्थित हिमालय के दक्षिणी भाग से निकलती है, और इसकी चार सहायक नदियाँ – धौलीगंगा, नंदाकिनी, पिंडर और मंदाकिनी इसमें विलीन हो जाती है.
भागीरथी नदी और अलकनंदा दोनों नदियां आगे चलकर हरिद्वार में मिलती हैं, और इस जल धारा को गंगा नदी कहा जाता है जो 2,000 किमी से भी अधिक दूर जाकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है.
लेकिन शायद लगता है कि हिंदुत्ववादी कट्टरपंथी तत्व उस जगह के धार्मिक महत्व को भूल गए जहां से उन्होंने भारत से मुसलमानों के खात्मे का आह्वान करने के लिए ‘हिंदू फतवा’ या कहें कि एक तरह का फरमान जारी किया. नरसिंहानंद और उनके साथियों ने मुसलमानों के नरसंहार की अपील कर हरिद्वार जैसी पवित्र भूमि में दाग लगाने का प्रयास किया है. यही नहीं बल्कि इन कट्टरपंथी अराजक तत्वों ने पुलिस और सेना से भी मुस्लिम नरसंहार में साथ देने की अपील की.
नरसिंहानंद और उनके जैसे हिंदुत्ववादी कट्टरपंथियों का मानना है कि मुस्लिम आबादी अगले कुछ दशकों में बहुसंख्यक हिंदुओं से आगे निकल जाएगी. ये कट्टरपंथी अराजक तत्व झूठा प्रोपगेंडा फैला रहे हैं कि वर्तमान में मुसलमान भारत की आबादी का 15 प्रतिशत हैं, लेकिन वे अगले कुछ दशकों में राजनीतिक सत्ता पर कब्ज़ा कर लेंगे और हिंदुओं पर शासन करने लगेंगे. यह बातें पूरी तरह से निराधार है, क्योंकि भारत सरकार की हालिया रिपोर्ट्स के अनुसार मुस्लिम आबादी स्थिर है. कट्टरपंथी तत्वों द्वारा अपने एजेंडे को पूरा करने के लिए हिन्दुओं के मन में भय पैदा करने का काम किया जा रहा है.
हालांकि पुलिस ने देर सवेर यति नरसिंहानंद को उसके शिष्य वसीम रिज़वी के साथ जेल में डाल ही दिया है. वसीम रिज़वी ने हिंदू धर्म अपना लिया और कुछ महीने पहले जितेंद्र नारायण त्यागी के रूप नया नाम अपना लिया है. वसीम रिज़वी ने भी हरिद्वार के “धर्म संसद” में भड़काऊ भाषण दिया था, यह भड़काऊ आयोजन 17-19 दिसंबर, 2021 के बीच तीन दिनों तक चला. हालांकि, पुलिस ने अभी तक इस मामले में सभी अपराधियों को गिरफ्तार नहीं किया है.
हम नहीं जानते कि मुख्यधारा के हिंदू समाज में इन नफरत फैलाने वालों का कितना असर है. लेकिन उनके नफरत भरे भाषणों में मुसलमानों के खिलाफ हिंदू समुदाय के अंदर ज़हर घोलने की क्षमता है, हालांकि मुसलमान पहले ही कट्टरपंथी भारतीय जनता पार्टी के नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सत्ता में आने के बाद से हिंदू कट्टरपंथी तत्वों के निशाने पर हैं.
यदि इन हिंदुत्ववादी कट्टरपंथी तत्वों के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो पूरे देश में नफरत फैलाने के लिए उन्हें प्रोत्साहन मिलेगा. लेकिन सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि देश के प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह दोनों ने ही मुसलमानों के नरसंहार की अपील करने वाले इन कट्टरपंथियों की निंदा करना भी ज़रूरी नहीं समझा. इसके विपरीत, दोनों ने मौन धारण कर लिया, जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं. हालांकि इस मुद्दे पर कई एफआईआर दर्ज करवाई गई और राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा भी हुई है.
हरिद्वार जिले में मुस्लिम अच्छी खासी संख्या में हैं
उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में हरिद्वार एकमात्र जिला है जहां मुस्लिम आबादी अच्छी खासी संख्या में है. 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की कुल जनसंख्या 20 लाख से कुछ ही कम है. 64.27 प्रतिशत या लगभग 12.80 लाख हिंदू आबादी है तथा इसके मुकाबले मुसलमान 34.28 प्रतिशत या लगभग सात लाख है.
इस जिले के मंगलौर और पिरान कलियार विधानसभा क्षेत्रों से 2017 के विधानसभा चुनाव में दो मुस्लिम विधायक चुने गए थे. कलियर से फुरकान अहमद और मंगलौर से मोहम्मद निज़ामुद्दीन. 2012 में जिले से चार मुस्लिम विधायक चुने गए थे.
इस्लामिक मिशनरी और सूफी संत अलाउद्दीन अली अहमद साबिर, जिन्हें साबिर कलियारी के नाम से जाना जाता है, के मकबरे के कारण यह जिला अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर भी प्रसिद्ध है. प्रसिद्ध सूफी बाबा फरीद गंजशकर की बड़ी बहन के बेटे, साबिर कलियारी ने 13 वीं शताब्दी में इस्लाम का प्रचार किया और उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर, बिजनौर और सहारनपुर के पड़ोसी जिलों सहित एक विशाल क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग अनुयायी बने.
जब नरसिंहानंद ने मुस्लिमों का नरसंहार करने के आह्वान के साथ साथ इस्लाम और पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की तो हरिद्वार जिले के मुसलमानों ने कोई उग्र प्रतिक्रिया नहीं दी. हालांकि, हरिद्वार के प्रवेश द्वार पर ज्वालापुर के मुस्लिम युवकों ने विरोध प्रदर्शन किया और अपराधियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई, जिसके परिणामस्वरूप अब तक नरसिंहानंद सहित दो लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
हरिद्वार जिले में मुस्लिम समुदाय का कोई स्कूल, कॉलेज नहीं
हरिद्वार में मुस्लिम, जिले की आबादी का 34 प्रतिशत से अधिक हैं और आर्थिक रूप से संपन्न हैं, फिर भी यहाँ उन्होंने स्कूल, कॉलेज, अस्पताल या औषधालय स्थापित नहीं किए हैं. राज्य में कांग्रेस जब सत्ता में थी तब मुसलमान मंत्री रहे हैं, इसके बावजूद जिले की ऐसी स्थिति है.
इसके विपरीत दुसररे अल्पसंख्यक समुदायों जैसे ईसाई और सिख, जिनकी संख्या जिले में बहुत कम हैं, उन्होंने स्कूल से लेकर स्नातकोत्तर स्तर तक के शैक्षणिक संस्थान स्थापित किये हैं. सिखों ने एक इंजीनियरिंग और प्रबंधन कॉलेज भी स्थापित किया है.
पूर्व मंत्री नईम कुरैशी से जब यह सवाल किया गया कि मुसलमान स्कूल और कॉलेज स्थापित करने में विफल क्यों रहे हैं, तो वे खुश नहीं हुए. कुरैशी राज्य के सबसे वरिष्ठ मुस्लिम राजनेता हैं.
नरसिंहानंद और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने वाले छात्र गुलबहार खान का कहना है कि स्थानीय स्कूलों और कॉलेजों में कई कर्मचारियों द्वारा मुसलमानों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है. एक सामाजिक कार्यकर्ता के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में ज्वालापुर के कॉलेजों में पढ़ने वाली कम से कम 12 मुस्लिम लड़कियों ने हिंदू लड़कों के साथ भागकर शादी कर ली. उन्होंने कहा कि मुस्लिम रोगियों, विशेष रूप से स्त्री रोग के मरीज़ को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है और अक्सर स्थानीय डॉक्टरों द्वारा उनके साथ बुरा व्यवहार किया जाता है.