मसीहुज़्ज़मा अंसारी
कुशीनगर | उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में ज़मीनी विवाद को लेकर एक दलित परिवार पर कथित रूप से उच्च जाति के लोगों द्वारा हमला करने का मामला सामने आया है. पीड़ित परिवार का आरोप है कि दबंगों ने परिवार की महिलाओं के साथ मारपीट की और जातिसूचक गालियां दीं.
आरोप है कि दबंगो ने दलित परिवार के पुराने मकान के एक हिस्से को ध्वस्त कर दिया, घर की दीवार गिरा दी, ज़मीन कब्ज़ा करने का प्रयास किया और विरोध करने पर दलित परिवार की महिलाओं को मारा पीटा.
पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया है कि, “हमले का विरोध करने पर घर की एक युवती को उठाकर पास के घर में ले गए, उसे मारा पीटा, छेड़छाड़ की गई और उसके कपड़े फाड़ दिए गए.”
घटना के 10 दिन बीत जाने के बाद भी किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है.
यह वही कुशीनगर है जहां कुछ हफ्तों पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन करते हुए योगी सरकार के क़ानून व्यवस्था की ख़ूब तारीफें की थी. पीएम मोदी ने कहा था कि 2017 से पहले यूपी में माफियाओं और दबंगों का बोलबाला था मगर अब प्रदेश में शांति है.
इंडिया टुमारो से बात करते हुए पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज नहीं की है और आरोपियों पर अब तक कोई कार्रवाई भी नहीं की गई है.
कुशीनगर, कसया सीओ पियूष कांत राय ने इस मामले में इंडिया टुमारो को बताया कि ये संपत्ति का विवाद जिसमें दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर आरोप लगाया है जिसकी विवेचना जारी है. इस मामले में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
पीड़ित दलित परिवार ने इंडिया टुमारो से बात करते हुए कहा, “मामले में एसपी के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया लेकिन हमने जो तहरीर दी थी उसके अनुसार रिपोर्ट नहीं लिखी गई और उसमें आरोपियों पर गंभीर धाराएं नहीं लगाई गईं. साथ ही आरोपियों के नाम, उनके पिता और पते में काफी गड़बड़ी की गई ताकि आरोपियों को बचाया जा सके.”
दलित परिवार के साथ मारपीट 28 दिसंबर की सुबह की गई. यह मामला उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के सपहा नौका टोला का है. पीड़ित दलित परिवार में हमले के समय परिवार की मुखिया और आंगनबाड़ी कार्यकत्री बसंती देवी व उनकी पुत्री अलका रावत अग्निहोत्री मौजूद थीं जो स्नातक की छात्रा हैं और मिशन गायिका से जुड़ी हुई हैं.
अलका ने इंडिया टुमारो को बताया कि, “जब मैंने घर पर तोडफ़ोड़ का और मेरी माँ के साथ मारपीट का वीडियो बनाने का प्रयास किया तो उच्च जाति के दबंगों ने मेरा मोबाइल छीन कर तोड़ दिया और जातिसूचक गालियां देते हुए मुझपर हमला किया, मुझे उठाकर पास के घर में ले गए और मेरे कपड़े फाड़ दिए.”
दलित छात्रा अलका ने बताया कि, “हमले में घायल मेरी माँ के सर से ख़ून बह रहा था और हम उसी हालत में थाने पहुंचे ताकि रिपोर्ट लिखाई जा सके मेडिकल हो लेकिन थानाध्यक्ष ने हमें डांटते हुए किनारे बैठने को कहा.”
पीड़ित परिवार ने आरोप लगाते हुए कहा कि, “पुलिस आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है और हम पुलिस की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं.”
पीड़ित दलित परिवार का दावा है कि विवादित ज़मीन पर 40 साल से उनका कब्ज़ा है. दंबगों द्वारा उनकी ज़मीन पर कब्ज़ा करने के लिए उन्हें डराया जा रहा है.
सीओ कसया पियूष कांत राय ने इस मामले में इंडिया टुमारो को बताया कि ये संपत्ति का विवाद है जिसमें दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर आरोप लगाया है और मामले में पुलिस उचित कार्रवाई कर रही है.
उन्होंने बताया कि दोनों पक्ष अलग-अलग दावों के साथ वीडियो साझा करते हुए साक्ष्य प्रस्तुत कर रहे हैं ऐसे में किसी भी आरोप की जांच के बाद ही किसी की गिरफ्तारी संभव है.
इस सवाल पर कि पीड़ित पक्ष द्वारा आरोप लगाया गया है कि महिलाओं के साथ अभद्रता की गई, पीयूष रॉय ने कहा, “ज़मीन के विवाद में मार पीट होती है मगर इसमें छेड़छाड़ का आरोप कहाँ तक सही है ये जांच का विषय है.”
सीओ ने बताया कि इस मामले में अब तक किसी की गुरफ्तारी नहीं हुई है.