इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित विवादित धर्म संसद की हेट स्पीच पर सेना के 5 पूर्व प्रमुख अधिकारियों सहित देश के 100 से अधिक गणमान्य लोगों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पीएम मोदी को पत्र लिखकर इन कार्यक्रमों में मुसलमानों के नरसंहार के आह्वान पर विरोध जताया है.
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में पूर्व नौसेनाध्यक्ष एडमिरल लक्ष्मीनारायण रामदास, एडमिरल विष्णु भागवत, एडमिरल अरुण प्रकाश, एडमिरल आरके धवन और पूर्व वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एसपी त्यागी और अन्य प्रमुख लोग शामिल हैं.
इन प्रमुख लोगों द्वारा लिखे गए पत्र में उत्तराखंड के हरिद्वार और देश की राजधानी दिल्ली में हुए कार्यक्रमों में भारतीय मुसलमानों के नरसंहार के भड़काऊ भाषणों पर चिंता जताई गई है. पत्र में ईसाई, दलित और सिख जैसे अन्य अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने की बात का भी ज़िक्र है.
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, पत्र में कहा गया है कि, “हम 17-19 दिसंबर 2021 के बीच हरिद्वार में आयोजित साधुओं और अन्य नेताओं के धर्म संसद नामक 3 दिवसीय धार्मिक सम्मेलन के दौरान दिए गए भाषणों से चिंतित हैं. इस धर्म संसद में हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए बार-बार आह्वान किया गया था. इसके साथ ही ज़रूरत पड़ने पर हिंदू धर्म की रक्षा के नाम पर हथियार उठाने और विशेष समुदाय की हत्या की बात कही गई थी.”
पत्र में आगे कहा गया है कि, “हम हरिद्वार में आयोजित हिंदु साधुओं और अन्य नेताओं द्वारा धर्मसंसद में दिए गए भाषणों के कंटेट से आहत हैं. इसमें लगातार हिंदू राष्ट्र की स्थापना के लिए हथियार उठाने और हिंदू धर्म की रक्षा के लिए भारत के मुस्लिमों को मारने की भी बात कही गई.”
ज्ञात हो कि पिछले दिनों हरिद्वार में हुए एक धर्म संसद में वक्ताओं के भड़काऊ भाषण को लेकर देशभर में नाराज़गी जताई गई थी. इस धर्म संसद में शामिल वक्ताओं ने मुसलमानों के खिलाफ हिंसा का आह्वान किया था. यह तीन दिवसीय धर्मसंसद हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर तक चली थी जो भूपतवाला स्थित वेद निकेतन धाम में आयोजित की गई थी.
इस विवादित धर्मसंसद का विषय था ‘इस्लामिक भारत में सनातन का भविष्य’ जिसमें स्वामी अमृतानंद, स्वामी सत्यव्रतानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरि, स्वामी वेदांत प्रकाश सरस्वती, स्वामी परमानंद, स्वामी ललितानंद महाराज, पंडित अधीर कौशिक समेत विभिन्न राज्यों के 500 से अधिक लोग शामिल हुए थे.
इस विवादित धर्मसंसद के भड़काऊ भाषणों की वीडियो वायरल होने के बाद दुनियाभर में भारत में इस प्रकार के धार्मिक आयोजनों और उनमें मुसलमानों के नरसंहार की बात की आलोचना की जा रही है. इस विवादित धर्मसंसद में भड़काऊ भाषणों की खबरें अंतराष्ट्रीय मीडिया ने भी प्रमुखता से प्रकाशित की है.