फादर सेड्रिक प्रकाश एसजे
अनादि काल से दूसरे को बदनाम करना, उन्हें बांटना और खत्म करना फासीवादियों और तानाशाहों की एक बहुत ही प्रभावी रणनीति रही है.
यह बात खासतौर से वहां सच हो जाती है जहां लोग सत्ता की गलत नीतियों का विरोध करते हैं, जो निस्वार्थभाव से कार्य करते हैं, जो कार्य फासीवादी करने में असमर्थ हैं. और सत्ता उन विरोधियों से निपटने में असमर्थ है.
भारत में पिछले कुछ हफ्तों में कई उदाहरण देखने को मिले हैं जहां ये फासीवादी देश के अल्पसंख्यकों को डराने के लिए अपने हिंसक और गंदे हथकंडों के इस्तेमाल का हर संभव प्रयास कर रहे हैं.
भारत के ईसाई हमेशा से ‘सॉफ्ट टारगेट’ रहे हैं. 1990 के दशक के उत्तरार्ध से सत्ता में आने के बाद भाजपा और संघ परिवार के जैसे लोगों ने अलग-अलग तरीकों से और पूरे देश में व्यवस्थित रूप से ईसाई समुदाय को निशाना बनाया है.
जबरन धर्म परिवर्तन का झूठा प्रोपगेंडा हो या ईसाई समुदाय के पवित्र प्रतीकों का अपमान, ईसाइयों और उनके पूजा स्थलों और संस्थानों पर हमले हो या उन्हें मिलने वाली असंख्य धमकियां और उत्पीड़न- ईसाइयों को बदनाम करके बहुसंख्यक समुदाय का ध्रुवीकरण करने करने के लिए की जाने वाली राजनीति के लिए चलाये जाने वाले एक बड़े गेम प्लान का हिस्सा हैं.
क्रिसमस के पहले और क्रिसमस के दिन देश के कई हिस्सों में और विशेष रूप से भाजपा द्वारा शासित राज्यों में ईसाइयों के खिलाफ इस सुनियोजित अभियान में तेज़ी देखी गई है.
मिशनरीज ऑफ चैरिटी (MCs- मदर टेरेसा द्वारा स्थापित सिस्टर्स एंड ब्रदर्स कॉन्ग्रिगेशन्स) इस धूर्तता और बदनाम करने के प्रोपगेंडा के सबसे पहला शिकार रहे हैं.
मदर टेरेसा और उनकी विरासत जो आज भी निस्वार्थ भाव से जारी है वह ईसाई धर्म के सर्वोच्च दान का प्रतीक है. मरते हुए बेसहारा, गरीब से गरीब, अनाथ और विधवा, ठुकराए हुए, खोये हुए और अकेले सभी के लिए उनकी धार्मिक आस्था से ऊपर उठकर यह संस्था काम करती रही है.
अब सिस्टर्स पर ‘धर्मांतरण’ जैसे झूठे मुकदमे थोपे जा रहे हैं. इसके अलावा हालिया रिपोर्टों से ज्ञात होता है कि एमसी के विदेशी खातों को भी फ्रीज़ कर दिया गया है.
यह सब बहुत दुखद है!
मदद का हिसाब रखे बिना एमसी रोज़ाना भारत के हज़ारों बेसहारा छोड़ दिये गए लोगों की देखभाल करती है. एमसी के लिए धन के प्रवाह को रोकना, मतलब सरल शब्दों में कहे तो भारत में सबसे गरीब लोगों को वंचित करना है- जिन मनुष्यों के लिए आश्रय और भोजन की बुनियादी मानवीय आवश्यकता की कोई परवाह नहीं करता है और जिन्हें स्वीकृति, गर्मजोशी और प्यार कही से भी नहीं मिलता है, जिसकी उन्हें सख्त ज़रूरत है और यह सब चीज़ ‘सिस्टर्स और ब्रदर्स” उन्हें प्रदान करते हैं.
सरकार को इस भयानक फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और एमसी के अच्छे नाम और काम को बहाल करना चाहिए. यदि कोई ढिलाई या कमियां हैं तो उन्हें दूर करने में एमसी की मदद की जानी चाहिए. और सबसे बढ़कर, जिन लोगों की देखभाल एमसी करती है वो यह बुनियादी मानवीय सहायता से वंचित नहीं हो यह सरकार सुनिश्चित करे.
एमसी का अच्छा काम सभी के सामने है!
देश के सभी हिस्सों से महिलाओं और पुरुषों को एमसी के समर्थन में आने की ज़रूरत है, एमसी के साथ जो हो रहा है उसे रोकने के लिए.
और अंत में केवल यह कहूंगा कि, भारत के संविधान का पालन करते हुए भारत में ईसाइयों के हर प्रकार के अपमान और बदनामी को तुरंत और बिना शर्त रोका जाना चाहिए और इन जघन्य अपराधों के लिए ज़िम्मेदार लोगों को बिना किसी देरी के गिरफ्तार किया जाना चाहिए.
(फादर सेड्रिक प्रकाश एक लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं. उनसे [email protected] पर संपर्क किया जा सकता है.)