इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | उच्चतम न्यायालय के 76 वकीलों ने रविवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना को एक पत्र लिखकर हरिद्वार और दिल्ली में हुए कार्यक्रमों में “मुसलमानों के नरसंहार की बातें करने वाले भाषणों” के ख़िलाफ़ स्वतः संज्ञान लेने की अपील की है.
ग़ौरतलब है कि 17-19 दिसंबर 2021 के बीच के दौरान हरिद्वार में यति नरसिंहानंद द्वारा “धर्म संसद” और दिल्ली में हिन्दू युवा वाहिनी की तरफ़ से एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. कार्यक्रम में कथित तौर पर भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने, मुसलमानों के नरसंहार की बातें और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ख़िलाफ़ घोर आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया गया था.
मुख्य न्यायाधीश को लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि, ”ये घटनाएँ और दिए गए भाषण केवल अभद्र भाषा नहीं हैं, बल्कि पूरे समुदाय की हत्या के लिए एक खुला आह्वान है. इस प्रकार, उक्त भाषण न केवल हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए गंभीर खतरा हैं, बल्कि लाखों मुस्लिम नागरिकों के जीवन को भी खतरे में डालते हैं.”
पत्र में कहा गया है कि, “घटनाओं की गंभीरता को देखते हुए आपसे निवेदन है कि आप इनका स्वतः संज्ञान लेते हुए यह निर्देशित करें कि आरोपियों के ख़िलाफ़ धारा 120 बी, 121 ए, 153 ए, 153 बी के तहत कार्रवाई की जाए.”
सुप्रीम कोर्ट के वकीलों द्वारा CJI को लिखे गए पत्र में नौ लोगों का नाम लिया गया है. जिनमें यति नरसिंहानंद गिरि, सागर सिंधु महाराज, धर्मदास महाराज, प्रेमानंद महाराज, साध्वी अन्नपूर्णा उर्फ पूजा शकुन पांडे, स्वामी आनंद स्वरूप, अश्विनी उपाध्याय, सुरेश चव्हाणके और स्वामी प्रबोधानंद गिरी.
इससे पहले उत्तराखंड पुलिस ने आईपीसी कि धारा 153 ए के तहत “धर्म संसद” में मौजूद और हाल ही में हिन्दू धर्म अपनाकर जितेंद्र त्यागी बने शिया वक़्फ़ बोर्ड उत्तर प्रदेश के पूर्व चेयरमैन वसीम रिज़वी और अन्य के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया था.