इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | गुरुग्राम नमाज़ मामले में हरियाणा के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. यह याचिका पूर्व राज्यसभा सांसद मोहम्मद अदीब द्वारा दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि अधिकारी, गुरुग्राम में जुमे की नमाज़ के दौरान अराजक तत्वों द्वारा बाधा उत्पन्न करने के मामलों की रोकथाम में विफल रहे हैं.
लाइवलॉ.इन के अनुसार, याचिका में हरियाणा राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक संजीव कौशल आईएएस और पीके अग्रवाल आईपीएस के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई.
पूर्व राज्यसभा सदस्य ने सुप्रीम कोर्ट का रुख कर हरियाणा राज्य के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग की. याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित निर्देशों का पालन करने में उनकी निष्क्रियता का भी आरोप लगाया गया है.
दायर की गई याचिका में इस आधार पर अवमानना कार्रवाई की मांग की गई कि हरियाणा के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने में विफल रहे हैं.
पूर्व राज्यसभा सांसद मोहम्मद अदीब द्वारा दायर याचिका में कहा गया कि, “पिछले कुछ महीनों में कुछ “पहचानने योग्य गुंडों” के इशारे पर जुमे की नमाज़ के इर्द-गिर्द प्रदर्शन करने की घटनाओं में लगातार वृद्धि हुई है। ये लोग धर्म के नाम पर और शहर भर में एक समुदाय के खिलाफ नफरत और पूर्वाग्रह का माहौल बनाना चाहते हैं.”
याचिका में तर्क दिया गया कि गुरुग्राम में इन घटनाओं की रोकथाम के लिए प्रभावी उपाय करने में राज्य मशीनरी गंभीर रूप से निष्क्रिय रही है.
लाइवलॉ.इन के अनुसार, याचिका में कहा गया, “इस नापाक मंसबू को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से घृणित सामग्री के प्रचार और प्रसार द्वारा झूठी बातें फैलाकर जुमे (शुक्रवार) की नमाज को जिम्मेदार बताया जा रहा है, जो कि मजबूरी में खुले में पढ़ी जा रही है. खुले में नमाज पढ़ने की अनुमति उपयुक्त अधिकारियों द्वारा दी गई है.”
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया गया कि अप्रैल, 2021 की शुरुआत में स्थानीय निवासियों और शुक्रवार की नमाज़ अदा करने के लिए आने वाले व्यक्तियों को ऐसी प्रार्थना स्थलों पर इस तरह के दुर्भावनापूर्ण और घृणित अभियानों का सामना करना पड़ रहा है.
याचिकाकर्ता के अनुसार पुलिस आयुक्त, गुरुग्राम में शिकायत दर्ज की गई है, लेकिन शिकायतों के बावजूद अवमाननाकर्ताओं के हाथों गंभीर निष्क्रियता बनी रही और गुरुग्राम में विभिन्न स्थानों पर हर शुक्रवार को घटनाएं बड़ी संख्या में होती गईं.
याचिकाकर्ता ने कहा कि तीन दिसंबर को उपद्रवी तत्वों के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं होने के कारण ऐसी घटनाएं और बढ़ गईं और एक बड़ा समूह नमाज के विभिन्न स्थलों पर सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी और घृणास्पद नारे लगा रहा है.
याचिका में कहा गया, “जबकि काफी संख्या में पुलिस बल मौजूद है. घटना के वीडियो सामने आने के बावजूद स्पष्ट रूप से ऐसे व्यक्तियों को कानून का कोई डर नहीं दिखा. पुलिस ने कथित तौर पर भीड़ से कुछ लोगों को हिरासत में लिया, लेकिन बाद में उसी दिन उन्हें छोड़ दिया गया.”
याचिका में तर्क दिया गया, “निरंतर निष्क्रियता, राज्य तंत्र की उदासीनता और स्थानीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों और प्रशासन की विफलता ऐसी घटनाओं का समाधान खोजने के लिए विफल रही है। इस तरह की प्रवृत्तियों को रोकने के लिए इस माननीय न्यायालय द्वारा तहसीन एस. पूनावाला बनाम भारत संघ और अन्य में दिए निर्देशों को लागू किया जाना चाहिए.”
याचिका एडवोकेट फुजैल अहमद अय्यूबी के माध्यम से दायर की गई है और एडवोकेट आशिमा मंडला, इबाद मुश्ताक और आकांक्षा राय द्वारा तैयार की गई है.
(लाइवलॉ.इन से इनपुट के साथ)