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Friday, March 29, 2024
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लखीमपुर कांड को SIT ने साज़िश माना, आरोपी के मंत्री पिता ने सवाल पर पत्रकार को फटकारा

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | रस्सी जल गई, पर ऐंठन नहीं गई। यह कहावत उत्तर भारत में अक्सर कही जाती है। यह उन पर लागू होती है, जिनके गलत कृत्य सामने आने के बाद भी उनकी अकड़ नहीं जाती है। यह कहावत केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा टेनी पर लागू होती है। अजय मिश्रा टेनी का बेटा आशीष मिश्रा लखीमपुर खीरी कांड का मुख्य आरोपी है। इस पर निर्दोष किसानों के ऊपर चार पहिया वाहन चढ़ा कर उनकी हत्या कर देने का आरोप है।

लखीमपुर कांड को SIT ने सोची समझी साजिश माना है और मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा समेत 14 पर हत्या का केस दर्ज हुआ है. आरोपी के मंत्री पिता ने इस मामले में सवाल पूछने पर पत्रकार के साथ अभद्रता की. मंत्री अजय टेनी द्वारा पत्रकार के साथ दुर्व्यवहार किये जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

आशीष मिश्रा द्वारा जब 3 अक्तूबर को यह घटना अंजाम दी गई थी. उस समय अजय मिश्रा टेनी ने इस घटना में अपने बेटे आशीष मिश्रा का हाथ होने से इंकार किया था और उक्त घटना में उसका हाथ होने पर खुद केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने को कहा था। इस मामले को लेकर तत्कालीन समय में समूचे देश में किसानों ने आंदोलन किया था। इसके पश्चात योगी आदित्यनाथ की सरकार की खूब किरकिरी हुई थी, तब कहीं जाकर योगी आदित्यनाथ ने इस प्रकरण की जांच करने के लिए एसआईटी का गठन किया था।

एसआईटी के द्वारा नोटिस जारी करने के बाद भी आशीष मिश्रा एसआईटी के सामने हाजिर नहीं हो रहा था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेने और योगी आदित्यनाथ सरकार की कार्यशैली को लेकर सवाल खड़े करने से आशीष मिश्रा एसआईटी के सामने हाजिर हुआ था। एसआईटी ने उसको पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद अंकित दास और शेखर भारती ने एसआईटी के सामने सरेंडर कर दिया था। एसआईटी ने इसकी जांच तेज शुरू कर दी थी।

एसआईटी ने इस मामले की जांच शुरू की और वह तमाम लोगों के बयान लेकर एवं तमाम लोगों से पूछताछ कर इस मामले की तह में जाने की कोशिश करती रही। इसी बीच एसआईटी की नई जांच टीम के काम संभालने के बाद इस मामले में तेजी आई। एसआईटी जांच टीम ने इस मामले की जब जांच शुरू किया, तो उसके सामने नए तथ्य सामने आए। एसआईटी ने प्राप्त तथ्यों और जानकारी के आधार पर लखीमपुर खीरी के कांड को दुर्घटना मानने से इंकार कर दिया। एसआईटी ने इस घटना को हत्या करने की एक सोची-समझी साजिश बताया।

एसआईटी के मुख्य विवेचक विद्याराम दिवाकर ने इस मामले को लापरवाही पूर्वक और गलत तरीके से गाड़ी चलाते हुए दुर्घटना हो जाना और दुर्घटना में लोगों का मर जाना मानने से इंकार कर दिया। उन्होंने अपनी जांच में इसको सोची-समझी साजिश के चलते भीड़ को कुचलने, हत्या करने और हत्या के प्रयास के साथ ही अंग-भंग करने की साजिश का मामला बताया। उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट में केस को बदलते हुए हत्या और हत्या प्रयास के साथ ही अंग-भंग करने की धाराएं लगाए जाने की बात की।

उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट में इस संबंध में नई धाराएं लगाने की बात कही है। एसआईटी की जांच रिपोर्ट में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा समेत 14 लोगों के खिलाफ धाराएं बदली गईं हैं। एसआईटी ने धारा 279, 338, 304a की जगह अटेम्प टू मर्डर, मर्डर, समेत अन्य गम्भीर धाराएं लगाई हैं।

एसआईटी की जांच रिपोर्ट में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा समेत 14 लोगों को इस मामले का दोषी ठहराया गया है। इस मामले में एसआईटी की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद कांग्रेस, सपा और अन्य विपक्षी दलों ने अजय मिश्रा टेनी के इस्तीफे की मांग की है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अजय टेनी को बर्खास्त करने के लिए कहा है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजय टेनी को अभी तक बर्खास्त नहीं किया है और अजय टेनी ने भी अभी तक अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है।

लखीमपुर खीरी कांड के होने के बाद अजय मिश्रा टेनी ने अपने बेटे आशीष मिश्रा का बचाव करते हुए कहा था कि वह निर्दोष है। अगर वह दोषी पाया गया तो वह मंत्री के पद से इस्तीफा दे देंगे। लेकिन अब जब एसआईटी ने अपनी जांच में आशीष मिश्रा को दोषी ठहराया है, तो अजय टेनी की हालत खराब हो गई है।

एसआईटी की जांच रिपोर्ट के सामने आने के बाद अजय मिश्रा टेनी अब मंत्री पद की गरिमा के खिलाफ काम कर रहे हैं और वह बदहवास की स्थिति में आ गए हैं। वे अब पत्रकारों से दुर्व्यवहार करते हुए उन्हें धमकाने लगे हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। अजय मिश्रा टेनी लखीमपुर खीरी में एक ऑक्सीजन प्लान्ट का उद्घाटन करने गए थे कि वहीं पर मौजूद एबीपी समाचार चैनल के रिपोर्टर ने उनसे जब यह सवाल किया कि मंत्री जी आपके बेटे पर और धाराएं लग गईं हैं तो वह आग बबूला हो गए। उन्होंने पत्रकार से कहा कि, “बेवकूफी के सवाल न किया करो। तुम्हारा दिमाग खराब है, क्या बे।” मंत्री जी इस पर गुस्सा हो गए और पत्रकार का फोन बंद करवा दिया।

इसकी खबर जब अन्य पत्रकारों को लगी, तो वे मंत्री अजय टेनी के खिलाफ खड़े हो गए। इसकी सूचना दिल्ली दरबार तक पहुंच गई है। चुनावी मौसम में पत्रकारों की नाराज़गी को थामने के लिए अजय टेनी को दिल्ली तलब कर लिया गया है। अजय टेनी के भाग्य का फैसला अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को करना है। अब वह क्या निर्णय करते हैं, यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन अजय मिश्रा टेनी आज उत्तर भारत की उस कहावत को चरितार्थ करने में जुटे हुए हैं कि-रस्सी जल गई, पर ऐंठन नहीं गई।

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