सैयद ख़लीक अहमद
नई दिल्ली | भारत की संसद से मात्र 30 किलोमीटर दूर स्थित गुरुग्राम में शुक्रवार को मुसलमानों ने जुमे की नमाज़ दक्षिणपंथी हिंदू समूहों द्वारा लगाए जा रहे “जय श्री राम” के नारों के बीच अदा की.
मुट्ठी भर दक्षिणपंथी कार्यकर्ता लगातार सरकारी जगहों पर नमाज़ अदा करने वाले मुसलमानों का विरोध कर रहे हैं. हालांकि स्थानीय जिला प्रशासन ने मुसलमानों को नमाज़ अदा करने की अनुमति दी हुई है, लेकिन फिर भी नमाज़ में व्यवधान उत्पन्न करने और मुसलमानों को नमाज़ पढ़ने से रोकने के लिए कट्टरपंथी समूह लगातार ऐसी हरकतें कर रहे हैं.
गौरतलब है कि प्रशासन ने इसकी अनुमति इसलिए दी है क्योंकि मुसलमान बिना किसी सरकारी संपत्ति को कोई नुकसान पहुंचाए केवल 15 से 20 मिनट तक के लिए ही नमाज़ अदा करने के लिए सरकारी ज़मीन का इस्तेमाल करते हैं.
मुसलमानों को नमाज़ अदा करने से रोकने की कोशिश करने वाले आधा दर्जन से अधिक कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया था. हालांकि नमाज़ खत्म होने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया.
कट्टरपंथी समूहों के कार्यकर्ताओं को नमाज़ में बाधा डालने से रोकने के लिए पुलिस ने प्रार्थना स्थल के चारों ओर घेराबंदी कर दी थी.
हालांकि फिर भी कट्टरपंथी लोग नमाज़ अदा किए जाने के दौरान लगातार “जय श्री राम” के नारे लगाते रहे, ताकि नमाज़ में व्यवधान उत्पन्न कर सकें.
स्थानीय मुस्लिम नेता हाजी शहज़ाद खान ने जुमे की नमाज़ में इमामत की. नमाज़ के आख़िर में उन्होंने अल्लाह से प्रार्थना की कि ईश्वर प्रदर्शनकारियों को सही रास्ते पर चलने के लिए उनका मार्गदर्शन करें और देश के बाकी हिस्सों के लिए गुड़गांव शहर को शांति और सद्भाव का उदाहरण बना दें.
इंडिया टुमारो से बात करते हुए शहज़ाद खान ने मांग की कि प्रशासन उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई करे. उन्होंने कहा कि सरकार के कमज़ोर रवैय्ये के कारण इन कट्टरपंथियों को हौसला मिलता है.
उन्होंने कहा कि उनके ग्रुप मुस्लिम एकता मंच ने संयुक्त हिंदू संघर्ष समिति के अध्यक्ष महावीर भारद्वाज, इसके कानूनी सलाहकार कुलभूषण भारद्वाज और हिंदू वाहिनी नेता दिनेश भारती के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करते डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस (पश्चिम) के पास एक लिखित शिकायत दर्ज कराई थी.
हालांकि पुलिस ने अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की है.
लॉकडाउन हटने के बाद से खुली सरकारी ज़मीन पर जुमे की नमाज़ अदा किये जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है और पुरानी सारी गतिविधियां फिर से सामान्य हो गई हैं.
शहज़ाद खान के मुताबिक सितंबर के महीने तक सरकारी ज़मीनों पर मुसलमानों द्वारा 116 से ज्यादा जगहों पर नमाज़ अदा की जाती थी.
जब दक्षिणपंथी समूहों ने विरोध किया, तो यह संख्या घट गई. आखिर प्रशासन ने 37 जगहों पर नमाज़ की इजाज़त दी. लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इसका भी विरोध किया. प्रदर्शनकारी इस बात पर अड़े हैं कि मुसलमान सरकारी ज़मीन पर नमाज़ बिल्कुल भी न पढ़ें. कुलभूषण भारद्वाज ने हमारे न्यूज़ पोर्टल के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि उन्हें डर है कि अगर मुसलमान वहां नमाज़ जारी रखेंगे तो वे स्थायी रूप से ज़मीन पर कब्ज़ा कर लेंगे. लेकिन मुसलमान उनके इस तर्क को खारिज करते हैं. प्रशासन का कहना है कि मुस्लिमों को दी गई नमाज़ की इजाज़त अस्थायी है. लेकिन प्रदर्शनकारी सुनने को तैयार नहीं हैं.
कट्टरपंथियों से परेशान होकर जब मुसलमान एक स्थान पर नमाज़ अदा करना छोड़ देते हैं तो प्रदर्शनकारी नमाज़ पढ़े जाने वाले दूसरे स्थानों को निशाना बनाते हैं.
उन्होंने पहले सेक्टर 47 में एक स्थान को निशाना बनाया जहां नमाज़ पढ़ी जाती थी. उन्होंने वहाँ नमाज़ पढ़ने से रोकने के लिए नारे लगाए और हिंदू भक्ति गीत गाए. फिर कट्टरपंथियों की धमकियों के कारण मुसलमानों ने वहां नमाज़ पढ़ना बंद कर दिया.
इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने सेक्टर 12 में एक प्रार्थना स्थल को निशाना बनाया. यह स्थान एक हिंदू की निजी संपत्ति था और एक मुस्लिम को किराए पर दी गई थी. संपत्ति के हिंदू मालिक ने शुक्रवार की प्रार्थना की अनुमति दी हुई थी. दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा लगातार कई हफ्तों तक किये गए विरोध के बाद, मुसलमानों ने इस साइट को भी दबाव और धमकी के बाद छोड़ दिया. मुस्लिम किराएदार को अब प्लॉट खाली करने को कहा गया है.
इसी बीच एक हिंदू युवक अक्षय यादव ने शुक्रवार की नमाज़ अदा करने के लिए सेक्टर 12 के ऑटोमोबाइल मार्केट में स्थित अपनी दुकान की पेशकश की. कुछ हफ्तों तक वहां नमाज़ अदा की गई लेकिन दक्षिणपंथी समूहों की धमकियों के कारण अब बंद कर दी गई है. यादव को कट्टरपंथी लोगों के भय के कारण कई दिन गुड़गांव से बाहर बिताने पड़े.
प्रदर्शनकारियों ने 11 नवंबर को सेक्टर 18 के सिरहौल गांव में भी नमाज़ में बाधा उत्पन्न की थी.
ध्यान देने योग्य बात यह है कि मुसलमान सरकारी ज़मीन पर इसलिए नमाज़ अदा करते हैं क्योंकि उनके पास इस आधुनिक शहर में पर्याप्त मस्जिदें नहीं हैं.
शहर में केवल आठ मस्जिदें हैं, जबकि मुसलमानों की आबादी पांच लाख से अधिक है. गुज़रे दस वर्षों में उत्तर प्रदेश और बिहार के ग्रामीण इलाकों से शहर में व्यापार और रोज़गार के लिए आने वाले लोगों के कारण मुस्लिम आबादी में कई गुना वृद्धि हुई है.
पूर्व सांसद मोहम्मद अदीब का कहना है कि राज्य सरकार को मस्जिदों के लिए ज़मीन का आवंटन करना चाहिए. सरकार मंदिरों, गुरुद्वारों, गिरजाघरों आदि के लिए तो बहुत पहले ही भूमि आवंटित कर चुकी है. मुस्लिम ही एकमात्र ऐसा धार्मिक समूह है जिसकी प्रशासन ने उपेक्षा की है.
अदीब के मुताबिक एक मुसलमान ने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) में 18 लाख रुपये मस्जिद की ज़मीन के लिए डिपॉज़िट किये हैं. हुडा अधिकारियों ने हाल ही में ट्रस्ट के सदस्यों का साक्षात्कार लिया और पूछा कि क्या उनके पास भुगतान करने के लिए पर्याप्त धन है. ट्रस्ट से जुड़े मोहम्मद अदीब ने अधिकारियों से कहा कि उनके पास ज़मीन का भुगतान करने के लिए पर्याप्त धन है. हालांकि, एक जैन ट्रस्ट द्वारा जैन ‘देरासर’ (मंदिर) के लिए भी उसी ज़मीन की मांग की जा रही है.
पूरे गुड़गांव शहर में आठ मस्जिदें हैं, पुराने गुड़गांव शहर में 19 पुरानी मस्जिदें 1947 से हिंदुओं के अवैध कब्ज़े में हैं. विभाजन के वक़्त दंगो के दौरान अपने जीवन के प्रति खतरा देखते हुए मुसलमानों ने वहां से प्रवास कर लिया था उसके बाद हिंदुओं ने इन मस्जिदों को अपने कब्ज़े में ले लिया था. हिंदू वर्तमान में इन मस्जिदों का उपयोग जानवरों को रखने और अन्य कार्यों के लिए करते हैं. उदाहरण के लिए, कुछ मस्जिदों का उपयोग गाय और भैंस का गोबर रखने के लिए भी किया जाता है.